‘राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस’ विशेषांक
हर साल 16 मार्च को राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह पहली बार उस समय मनाया गया था, जब 1995 में राष्ट्रीय पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान शुरू किया गया था।
इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत ने साल दर साल टीकाकरण के क्षेत्र में गंभीरता दिखाई है! हालाँकि जिस तरह कोविड-19 का आगमन हुआआन, उससे सारी व्यवस्थाएं शिथिल पड़ गयीं। कोविड की वजह से स्वास्थ्य केन्द्रों तथा आंगनवाड़ी केन्द्रों में होने वाली जांच व टीकाकरण की गतिविधियों पूरी तरह से थमा गयीं।
अब सवाल उठता है कि समय पर टीकाकरण न होने की वजह से मूल लाभार्थियों जैसे महिलाओं व बच्चों पर इसका क्या असर पड़ा? ऐसे में बेहद गंभीर बीमारियों के लिए जो समय पर आवश्यक टीकाकरण की ज़रूरत है उनका समय पर न मिलने की वजह से आगे चलकर किस तरह की भरपाई करनी होगी, ये हम सभी के लिए बड़ा सवाल है!
- भारत का यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है, जो कि प्रति वर्ष 2.67 करोड़ नवजात शिशुओं और 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं को लक्षित करता है।
- टीकाकरण कार्यक्रम का मकसद हेपेटाइटिस-बी, खसरा, पोलियो, टिटनेस, और तपेदिक जैसे टीके-रोकथाम योग्य बीमारियों के खिलाफ मुफ्त टीकाकरण प्रदान करके पांच साल से कम उम्र की मृत्यु दर को कम करना है।
आइयें जाने बजट ब्रीफ 2022-23 के अनुसार कोविड-19 महामारी का राष्ट्रव्यापी टीकाकरण कार्यक्रम पर प्रभाव :
- कोविड-19 महामारी ने टीकाकरण कवरेज बढ़ाने की प्रगति को धीमा किया । इस दौरान मार्च और अप्रैल 2021 के बीच, नियोजित टीकाकरण सत्रों की 10.58 लाख से 5.84 लाख तक में 45 प्रतिशत की गिरावट आई।
- पहली लहर के दौरान नियोजित सेशन में से आयोजित टीकाकरण की संख्या में भी गिरावट आई। मार्च 2020 में, 93 प्रतिशत नियोजित सैशन आयोजित किए गए, जबकि अप्रैल 2020 में केवल 70 प्रतिशत सैशन आयोजित किए गए।
- कोविड-19 महामारी की दुसरे वेव के दौरान, पिछले महीने की तुलना में अप्रैल 2021 में नियोजित सेशन और आयोजित सैशन की संख्या में क्रमशः 11 प्रतिशत और 15 प्रतिशत की गिरावट आई है।
‘इनसाइड डिस्ट्रिक्ट’ सीरीज़ के तहत कई स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साक्षात्कार किये जिसके कुछ अंश इस प्रकार हैं:
राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में किस प्रकार की बाधाएँ आई :
अप्रैल माह में हमारे गाँव में टीकाकरण नहीं हुआ था ! इस माह में 9 मई को टीकाकरण हुआ था ! पहले गर्भवती महिलाएं केंद्र पर आती थी अब हम घर-घर जाकर टीकाकरण कर रहे हैं!– श्रीमती विमला देवी, आशा, राजस्थान
हमारे यहाँ कन्टेंटमेंट ज़ोन होने के कारण टीकाकरण नहीं हो पा रहा है। टीकाकरण के लिए टीके की सप्लाई तो पर्याप्त है, हमने आख़िरी महीने को टीकाकरण रखा था तो बच्चों को तो लेकर मातायें नहीं आई : श्रीमती सरिता, एनएनएम, राजस्थान
अतः किसी भी बीमारी से जुड़ा टीकाकरण कार्यक्रम नागरिकों की भलाई के लिए ही चलाया जाता है तो इसके लिए नागरिकों को भी यह समझना बेहद ज़रूरी है कि जो भी सरकार की तरफ से सम्बंधित गाइडलाइन्सज़ अथवा निर्देश जारी हों, उन पर अवश्य अमल करें तथा भ्रांतियों से बचना चाहिए।