सामाजिक सुरक्षा एवं नागरिक परिदृश्य
सामाजिक सुरक्षा क्या है ?
सामाजिक सुरक्षा से तात्पर्य उस सुरक्षा से है, जिसके अंतर्गत सरकार अपने नागरिकों को विभिन्न प्रकार के जोखिमों से सुरक्षा प्रदान करती है जैसे बीमारी, अपंगता, प्रसूति, सामाजिक और आर्थिक कार्य से सम्बन्धित बाधाएँ आदि।
सामाजिक सुरक्षा में वे सभी नीतियाँ और कार्यक्रम शामिल होते है जिनका उद्देश्य जन्म से वृद्धावस्था तक(जीवन चक्र) जीवन में आने वाली रूकावटो के कारण उत्पन्न होने वाली आर्थिक और सामाजिक कठिनाइयों की रोकथाम कर उसे समाप्त करना है।
भारत में नागरिकों की सुरक्षा के लिए कल्याणकारी योजनाओं और सामाजिक सहायता कार्यक्रमों की एक लम्बी सूची है, लेकिन फिर भी देश में अभी तक सामाजिक सुरक्षा ढांचें का अभाव है।
भारत के सन्दर्भ में :
स्वतंत्रता के बाद, भारत में स्वास्थ्य और शिक्षा तक पहुंच में सुधार होने से जीवन स्तर में व्यापक सुधार हुआ है, लेकिन भारत अभी भी स्वास्थ्य और पोषण के विभिन्न मानकों विशेषकर महिलाओं और बच्चों के मानकों पर उसका प्रदर्शन खराब है, और यह मानक गरीबी और सामाजिक असमानता को दर्शाते है।
भारत में वर्तमान में सामाजिक सुरक्षा नीति का अभाव है, केंद्र और राज्य सरकार अपनी कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा देने का प्रयास करती है। जोकि विभिन्न वर्गों के लिए होते है, इन योजनाओं का दायरा काफी विस्तृत है यह मुख्य रूप से बुनियादी शिक्षा और स्वास्थ्य, रोजगार, श्रमिको की सामाजिक सुरक्षा, भोजन और पोषण की सुरक्षा और सामाजिक पैंशन को कवर करते है।
आइयें सामाजिक सुरक्षा को लेकर वैश्विक आंकड़ों पर नजर डालें :
कोविड-19 के संकट के दौरान सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में वृद्धि हुई है, लेकिन इसके बावजूद विश्व के अभी भी 410 करोड़ लोग सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से वंचित है। यह जानकारी अन्तराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा जारी वर्ल्ड सोशल प्रोटेक्शन रिपोर्ट 2020-22 की नवीनतम रिपोर्ट से पता चलती है।
- विश्व की केवल 47 प्रतिशत आबादी को ही प्रभावी रूप से कम से कम एक सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ मिला है ।जबकि करीब 53 प्रतिशत आबादी योजनाओं का लाभ मिलने से वंचित है।
- 55 प्रतिशत जरूरतमंद महिलाओं को नकद मातृत्व लाभ नही मिलता है, इसी तरह से गंभीर रूप से दिव्यांग 66 प्रतिशत लोग दिव्यांग योजनाओं के लाभ से वंचित है।
- रिपोर्ट के अनुसार 26 प्रतिशत बच्चों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ मिल पाता है। वही बेरोजगारो को दिए जाने वाले लाभ में से 18 प्रतिशत तक ही लाभ पहुंचता है, हलांकि 77 प्रतिशत वृद्ध व्यक्तियों को किसी न किसी रूप से पैंशन का लाभ मिलता है।
- यूरोप और मध्यएशिया में 84 प्रतिशत आबादी कम से कम एक सामाजिक योजना का लाभ ले रही है, जबकि यू,एस.ए. 64 प्रतिशत, एशिया और प्रशांत क्षेत्र 44 प्रतिशत, अरब राष्ट्रों 40 फीसदी और अफ्रीका में केवल 17 प्रतिशत आबादी सामाजिक सुरक्षा से जुडी योजनाओं का लाभ ले रही है।
सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के विभिन्न उपक्रम :
- सामाजिक सहायता कार्यक्रम : नगद हस्तांतरण, स्कूल भोजन, लक्षित खाध सहायता कार्यक्रम।
- सामाजिक इंशोरेंस कार्यक्रम : वृद्धवस्था एवं दिव्यांग पैंशन, बेरोजगार बीमा।
- लेबर मार्किट कार्यक्रम : कौशल उत्सर्जन कार्यक्रम, जाब सर्च मेचिंग कार्यक्रम, श्रमिकों नियमों में सुधार।
सामाजिक सुरक्षा लाभ व्यक्ति जीवन चक्र के अनुसार :
ऐसा नही है कि भारत के सामाजिक सुरक्षा के व्यवस्थित ढाँचे पर बात नही हुई, 2013 में, ILO द्वारा भारत के लिए यूनिवर्सल सोशल प्रोटेक्शन फ्लोर पर एक ढांचा सुझाव हेतु प्रकाशित किया गया था।
हालांकि, हमे एक प्रभावी और कुशल सामाजिक सुरक्षा प्रणाली बनाने की आवश्यकता है, जिसकी स्पष्ट कार्यान्वयन रणनीति हो। ऐसे ही एक ढांचे पर नीति आयोग में काम होने की बात हुई थी, जिसे फरवरी 2020 में COVID-19 महामारी से पहले घोषित किया गया था। इसका उद्देश्य सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए लक्षित क्षेत्रों की पहचान करना है। हालांकि यह आधिकारिक तौर पर अभी तक जारी नही हुआ है।
भारत में सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्थित प्रणाली पर आपकी क्या राय है।इस पर आपके विचार जानना हमारे लिए काफी अहम है, यदि आपके पास सामाजिक सुरक्षा की योजनायो एवं लक्षित क्षेत्रों के बारे में कोई सुझाव या सवाल है तो आप ‘हमसे सवाल पूछे ’ सेक्शन में सवाल या सुझाव दे सकते है।
यह लेख अकाउंटेबिलिटी इनिशिएटिव वेबसाइट पर प्रकाशित अंग्रेजी संस्करण का अंश है यदि आप पुरे लेख को विस्तार से पढना चाहते है तो यहाँ पढ़ सकते है।