गैर सरकारी संगठनों की भूमिका

मैं अमित कुमार जोगी, राजस्थान के अलवर ज़िले का रहना वाला हूँ| हर वर्ष की तरह प्रत्येक फरवरी माह में एनजीओ दिवस मनाया जाता है| एनजीओ या गैर सरकारी संगठनों की आखिर समाज में क्या भूमिका है, ये सवाल शायद कई लोगों के मन में उभरता होगा| गैर सरकारी संगठन सरकार के कार्यक्रमों में ख़ामियों को दूर करने का प्रयास करते हैं और उन लोगों तक सेवाओं को पहुंचाने का काम करते हैं, जो अक्सर सरकार की योजनाओं से अछूते रह जाते हैं।

बहुत सारे गैर सरकारी संगठन मानव और श्रम अधिकारों, लैंगिक मुद्दों, स्वास्थ्य देखभाल, पर्यावरण, शिक्षा, कानूनी सहायता और यहाँ तक कि अनुसंधान से संबंधित विविध गतिविधियों में लगे हुए हैं। हर किसी का उद्देश्य बस यही है कि हम किस तरह सरकार के साथ जुड़कर सेवाओं को बेहतर कर पाएं|कोविड-19 भले ही एक संकट के रूप में हम सभी के सामने आया हो लेकिन इस दौरान गैर सरकारी संगठनों के प्रयास किसी से छुपे नहीं है| सभी गैर सरकारी संगठनों ने सरकार के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर इस मुश्किल वक्त का सामना किया है तथा लोगों को सेवाएं पहुंचाने का काम किया है|

मैं पिछले 12 वर्षों से इब्तिदा संस्था अलवर में लोकेशन कोर्डिनेटर के तौर पर काम कर रहा हूँ| हमारी संस्था ग्रामीण महिलाओं के साथ महिला सशक्तिकरण के लिए विभिन्न प्रकार के कार्य करती हैं जैसे बालिका शिक्षा, स्वयं सहायता समूह बनाना व उनको सशक्त करना, आजीविका संवर्धन के लिए खेती, पशु पालन, खेती में नवाचार गतिविधियाँ, सरकारी योजनाओं की जानकारी आदि| मैं इब्तिदा संस्था से वर्ष 2008 से जुड़ा हूँ तथा संस्था से जुड़ने से पहले मेरा कोई भी संस्थागत अनुभव नहीं था|

अपनी संस्था की बात करूँ तो मैंने हमेशा यही पाया है कि सीनियर और जूनियर जैसा कुछ भी नहीं दिखाई देता बल्कि हर कोई हर किसी से सीखता और मदद करता है| मेरे कई मित्र विभिन्न संस्थाओं में काम करते हैं और एक चीज़ जो मैंने सभी में समान पायी है कि गैर सरकारी संगठनों के तौर पर हम सभी को सदैव अपनी क्षमताओं को बढ़ाने का मौका मिलता है और जहाँ भी ज़रूरी लगता है हमें सहयोग मिलता है जिसकी वजह से हम अपना काम और भी बेहतर कर पाते हैं|

हम अपनी संस्था में मुख्य रूप से महिलाओं को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त करने पर भी विशेष ध्यान रखते हैं| महिलाओं का समाज में वैसे तो दर्जा बहुत ऊँचा माना जाता है लेकिन हमेशा से किसी न किसी रूप में वह खुद को पिछड़ा हुआ महसूस करती हैं| अपनी संस्था की तरफ से मैंने भी महिलाओं को सशक्त करने पर काफी काम किया है और आगे भी कर रहा हूँ| गाँव स्तर पर महिलाओं को खेती व पशुपालन की उन्नत तकनीक सिखाना, विभिन्न स्तर पर महिलाओं में नेतृत्व क्षमता विकसित करना, बालिकाओं व किशोरी बालिकाओं के लिए कार्य करना मुझे बहुत गौरवान्वित करता है|

आज हमारी संस्था के साथ जुड़कर महिलायें:

1.किसी भी मंच पर बेहिचक अपने विचार व्यक्त करने में सक्षम हो रही हैं तथा वह स्वयं पंचायत, तहसील एवं ज़िला स्तर पर जाकर अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रही हैं|
2.गाँव स्तर पर उन्नत पशु पालन की गतिविधियों का पालन करते हुए पशु पालकों को अपनी सेवायें दे रही हैं|
3.वह स्वयं अब बैंक में जाकर लेन-देन करने में सक्षम हो रही हैं तथा महिला उद्यमी के रूप में स्वयं के रोज़गार के साधन बना रही हैं|
4.लिंग समानता पर स्वयं कार्य कर रही हैं तथा किशोरी बालिकायें दुसरे शहरों में जाकर डिग्री प्राप्त कर रही हैं|

मैंने संस्था में रहते हुए अपनी क्षमताओं को नियमित रूप से बढ़ाया है तथा उन क्षमताओं को लोगों की सहायता के लिए इस्तेमाल किया है| मैं अपने अन्य संस्थाओं के साथ जुड़े साथियों को कहना चाहूँगा कि हम सभी ने सरकार और पूरे समाज के सामने अपनी अहमियत को रखा है| इसलिए अपना कार्य हमेशा बेहतर से बेहतर करते रहें और प्रत्येक नागरिक तक सेवाओं को पहुंचाने का नियमित प्रयास जारी रखें|