पोषण सम्बन्धित आंकड़े – पोषण माह विशेष
आईये पोषण माह के अवसर पर अकाउंटिबिलिटी इनिशिएटिव रिसर्च ग्रुप के वार्षिक बजट ब्रीफ संस्करण 2022-23 के अंतर्गत सक्षम आँगनवाड़ी एवं पोषण अभियान 2.0 से जुड़े परिणामों के बारे में बात करते हैं।
पोषण अभियान, जोकि इससे पूर्व राष्ट्रीय पोषण मिशन के नाम से जाना जाता था, इसका उद्देश्य पोषण से जुड़े परिणामों में सुधार लाना है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य छः वर्ष से कम आयु के बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं में कुपोषण की व्यापकता को तीन वर्ष की अवधि में कम करना है।
पोषण ट्रैकर:
आँगनवाड़ी केंद्र स्तर पर होने वाली विभिन्न गतिविधियों के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं और बच्चों की रियल टाइम हेतु 360 डिग्री मोनिटरिंग ट्रैकर बनाया गया है। 30 नवम्बर 2021 तक पोषण ट्रैकर 27 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जा चुका है।
कवरेज:
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य परिवार सर्वेक्षण राउंड 5 के अनुसार 2019-21 में 6 वर्ष से कम आयु के 70 प्रतिशत बच्चों को पोषाहार प्राप्त हुआ।
योजना परिणाम :
- पोषण योजना के लिए जारी राशि और खर्च में कमी आई है। योजना की शुरुआत के बाद से, केंद्र सरकार वित्तीय वर्ष 2020-21 में 5313 करोड़ जारी किये थे, जोकि कुल आवंटन का 53 प्रतिशत था। उसी प्रकार से 31 मार्च 2021 तक केंद्र सरकार द्वारा जारी गई राशि में से 56 प्रतिशत राशि खर्च किया जा चुका था।
- पूरक पोषक आहार और प्री-स्कूल शिक्षा के लाभार्थियों में 2016 से निरंतर कमी आई है। मार्च 2016 और 2021 के बीच में पूरक पोषाहार लाभाथियों में 19 प्रतिशत की गिरावट आई है।
- राज्यवार तुलना की जाये तो विश्लेषण किये गए राज्यों में झारखंड, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश राज्यों में मार्च 2020 और मार्च 2021 (महामारी से पहले) पूरक पोषाहार के लाभार्थियों में कमी आई है।
- अधिकतर राज्यों में कुपोषण सुधार को लेकर बहुत अधिक प्रगति नहीं हुई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य परिवार सर्वेक्षण के चौथे और पांचवें राउंड के अनुसार 13 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की लम्बाई (आयु के अनुरूप लम्बाई) में गिरावट आई है। इसी तरह 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वजन वृद्धि (लम्बाई के अनुरूप वजन) हुई है।
- गर्भवती महिलाओं एवं धात्री माताओं को स्वास्थ्य और पोषण सम्बन्धी शिक्षा में एनएफएचएस-4 (राष्ट्रीय स्वास्थ्य परिवार सर्वेक्षण-4) की अपेक्षा एनएफएचएस-5 में सुधार हुआ है, लेकिन बिहार, मेघालय, नागालैण्ड और मणिपुर राज्यों में 40 प्रतिशत से कम गर्भवती महिलाओं एवं धात्री माताओं को स्वास्थ्य और पोषण से सम्बन्धित शिक्षा मिली है।
पेयजल एवं शौचालय स्थिति:
- पेयजल सुविधा को लेकर 31 मार्च 2021 तक 86 प्रतिशत क्रियाशील आँगनवाड़ी केन्द्रों में पेयजल की व्यवस्था थी जबकि झारखंड, कर्नाटक, मणिपुर, असम और मेघालय सहित राज्यों में 70 प्रतिशत से भी कम आँगनवाड़ी केन्द्रों में पेयजल की व्यवस्था नहीं थी ।
- 31 मार्च 2021 तक क्रियाशील (ऑपरेशनल) आँगनवाड़ी केन्द्रों में शौचालय का प्रतिशत 72 प्रतिशत में स्थिर है। वहीं कुछ राज्यों तेलंगाना, मणिपुर, ओडिशा, असम और अरुणाचल प्रदेश में प्रतिशत का मानक 50 प्रतिशत से भी कम रहा है।