प्रशासन के सितारे – श्री अमित कुमार
‘प्रशासन के सितारे’ सेक्शन में आईये आपको अमित कुमार जी से मिलवाते हैं जो कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश में बतौर पंचायत सचिव अपनी भूमिका निभा रहे हैं। आईये इनसे जानते हैं कि आखिर एक पंचायत सचिव की भूमिका नागरिकों के लिए कितनी महत्वपूर्ण होती है तथा कैसे इन्होने अपनी पंचायत की आय के स्रोतों को बढ़ाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है:
सवाल: आप अपने बारे में कुछ बताएं?
जवाब: मेरा नाम अमित कुमार है, वर्ष 2005 में स्नातकोत्तर की डिग्री पूर्ण करने के पश्चात मन में इच्छा और दृढ़संकल्प लिया कि अपने गाँव के लिए कुछ अलग करना है। गाँव को मॉडल गाँव के रूप में विकसित करना है, जहाँ पर रोज़गार, सड़क, बिजली, पानी जैसी सुविधायें सभी के पास हो। इसी प्रबल इच्छा और लक्ष्य निर्धारित करने के पश्चात मैंने जिला स्तर पर पंचायत सचिव की परीक्षा में सफलता हासिल की जोकि मेरे लिए सपना साकार जैसा साबित हुआ। वर्तमान समय में मैं ग्राम पंचायत स्तर पर पंचायत सचिव के पद के रूप में अपना कार्यभार संभाल रहा हूँ।
सवाल: आप अभी किस विभाग में तथा किस पद पर कार्य कर रहे हैं?
जवाब: मैं पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग में ग्राम पंचायत सचिव के पद पर कार्यरत हूँ। मैं, वर्तमान में ग्राम पंचायत टऊ, ब्लॉक धर्मशाला, जिला कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश में अपनी सेवायें दे रहा हूँ।
सवाल: अपने मुख्य कार्यों को बताते हुए ये बतायें की आपके ऐसे कौन से प्रमुख कार्य हैं, जो सीधे तौर पर नागरिकों से जुड़े हुए हैं?
जवाब: मेरा मानना है कि ग्राम पंचायत सचिव, एक ग्राम पंचायत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मेरा मुख्य कार्य केंद्र और राज्य सरकार एवं स्थानीय सरकार द्वारा सार्वजनिक कल्याण के लिए संचालित की गई योजनाओं को नागरिकों तक पहुंचाना है। प्रमुख योजनाओं के रूप में अगर मैं बात करूँ, तो मनरेगा आमजन को रोज़गार के साथ आर्थिक रूप से सम्पन्न बनाती है। मैं प्रयास करता हूँ कि ग्राम पंचायत में जिन्हें रोज़गार मिलना है, उन्हें रोज़गार दिला कर उन्हें लाभान्वित करने में अपनी जिम्मेदारियों को निभा सकूं ताकि ग्राम पंचायत का समुदाय आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सके। प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से निर्धन वर्ग के परिवार को आवास योजना से जोड़ना, कृषि को लेकर वाटरशेड योजना के माध्यम से विभिन्न पेयजल टैंक, सिंचाई के उपकरण उपलब्ध करवाना प्रमुख है। मेरा प्रयास रहता है कि आमजन के लिए सरकार द्वारा जो कल्याणकारी योजनायें बनाई गयी हैं, उन्हें उनमें लाभ मिलने में किसी प्रकार की कठिनाई न हो। विभिन्न प्रकार के प्रमाण-पत्रों जैसे जन्म-मृत्यु, विवाह का पंजीकरण, बी.पी.एल प्रमाण पत्र, राशन कार्ड के लिए पंजीकरण में हम नागरिकों से सीधे रूप से जुड़ते हैं और उनकी आवश्यकता से सम्बन्धित सभी प्रकार से प्रमाण पत्र जारी करते हैं, जिसे ग्राम पंचायत के नागरिकों को विभिन्न प्रकार की सुविधाओं को लेने में मदद मिलती है।
सवाल: एक अधिकारी के तौर पर आपकी अभी तक की क्या बड़ी सफलताएं रही हैं? क्या आप एक या दो सफलताओं के बारे में बता सकते हैं?
जवाब: मेरा मानना है कि जीवन की उपलब्धियों को बताना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि मैं इसे अपनी सफलता नहीं मानता बल्कि इसे मैं अपने कर्तव्य के रूप में देखता हूँ कि किस प्रकार ग्राम पंचायत को आर्थिक, समाजिक रूप से विकसित किया जा सके। मैंने अपनी पंचायत में पंचायत प्रधान, वार्ड मेम्बर की सहमति से एक रेजुलेशन पारित किया, जिसमें हम ग्राम पंचायत में सम्पति कर व वाणिज्य कर के माध्यम से ग्राम पंचायत को समाजिक और आर्थिक रूप से विकसित कर एक मॉडल पंचायत बनाने की दिशा में बढ़ सकते हैं। इसको लेकर मुझे ब्लॉक कार्यालय से जल्द ही अप्रूवल मिल गई। इसी क्रम में ग्राम पंचायत के लिए तकरीबन 8-10 लाख रूपये पंचायत के स्वयं के आय स्त्रोतों से राशि एकत्रित की गई। मेरे इन्ही सभी कार्यो और प्रयासों के लिए ब्लॉक स्तर पर सभी ग्राम पंचायतों में सबसे अधिक आय एकत्रित करने वाली पंचायत के लिए मैं पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जा चुका हूँ।
सवाल: आपके अभी तक के सफ़र में क्या प्रमुख चुनौतियाँ रही हैं? क्या आप एक या दो उदाहरण दे सकते हैं? आपने इनका समाधान कैसे किया?
जवाब: जी हाँ, निश्चित रूप से कार्य को करने में चुनौतियाँ तो काफी रहीं। ग्राम पंचायत के कुछ वर्गों ने टैक्स लेने पर अपना रोष भी प्रकट किया और किसी भी प्रकार के टैक्स देने से मना कर दिया। मैंने और पंचायत के अन्य वार्ड प्रतिनिधियों ने उन्हें समझाया कि यह हम अपने स्वार्थ या किसी प्रकार के निजी लाभ के उद्देश्य से नहीं ले रहे हैं। मैंने उन्हें इस बात से अवगत करवाया कि पंचायती राज एक्ट में यह प्रावधान है कि ग्राम पंचायत अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए स्थानीय स्तर पर ग्राम पंचायत टैक्स एकत्रित कर सकती है। इसमें वह वाणिज्य कर को लेकर सम्बधित होटल, दुकानों व उद्योगों से टैक्स लेना, सम्पति कर के अंतर्गत प्रति घर चूल्हा टैक्स ले सकती है। ब्लॉक और जिला पंचायत कार्यालय के माध्यम से पत्राचार होने के पश्चात धीरे-धीरे उनका असंतोष कम होने लगा। समुदाय को विश्वास होने लगा कि उनके द्वारा दिए जाने वाले कर को ग्राम पंचायत के विकास के कार्यों में खर्च किया जाएगा, पैसों का किसी प्रकार से दुरूपयोग नहीं किया जाएगा।
सवाल: आप जिस क्षेत्र में काम करते हैं, उसमें ऐसी कौन सी एक या दो प्रमुख चीजें हैं जिनका अनुसरण करते हुए लाभार्थी आसानी से लाभान्वित हो सकते हैं?
जवाब: मैं यह समझता हूँ कि हमारे कार्य में फील्ड स्तर पर ज़मीनी स्तर पर लाभार्थी से जुड़ने का अवसर मिलता है। यह हमारे कार्य की विशेषता के साथ हमे मिला एक अवसर है जिसको लेकर मैं बेहद उत्साहित हूँ कि हमें ग्राम पंचायत सदस्यों, समुदाय के साथ प्लानिंग और उसे क्रियान्वन करने का मौका मिला है। इसको लेकर अगर लाभार्थी सभी मापदंडों को पूरा करते हैं तो मैं उनको लाभ दिलवाने में पूरा प्रयास करता हूँ। ऐसे ही अगर कुछ योजनाओं की बात की जाये तो प्रमुख रूप से मनरेगा के अंतर्गत निजी विकास कार्यों में वाटर टैंक निर्माण, रिटेनिंग वॉल, पक्के रास्ते, आवास योजना के तहत मकान उपलब्ध करवाना, स्वच्छ भारत के अंतर्गत शौचालय के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना मुख्य रूप से है।
सवाल: कई बार देखने को मिलता है कि सरकार की बेहतर योजनाओं के बावजूद भी लाभार्थियों को उनका लाभ समय पर नहीं मिल पाता, आपके अनुसार इसके क्या प्रमुख कारण हो सकते हैं?
जवाब: योजनाओं का लाभ सही प्रकार से लाभर्थियों तक न पहुंचने के निम्नलिखित कारण होते हैं: पहला: तकनीकी कारणों में जैसे कि एकाउंट नम्बर मिसमैच होना, लाभार्थी के रिकार्ड डाटा में ख़ामियां, दस्तावेज़ पूरे न होना जैसी समस्यायें आती हैं। अतः इन कारणों की वजह से वे योजनाओं से नहीं जुड़ पाते हैं।
दूसरा: लाभार्थियों को योजनाओं से सम्बन्धित जानकारी का अभाव होना भी एक बड़ा कारण है जैसे वे किस प्रकार योजना में पंजीकरण कर सकते हैं, कौन-कौन से दस्तावेजों की उन्हें आवश्यकता होगी और उन्हें वह कहाँ जाकर तैयार कर सकते हैं।
तीसरा: कुछ हद तक मुझे लगता है कि हम पर राजनैतिक दबाव होने के कारण योजना में लाभार्थी के नाम की जगह पर किसी अन्य के लाभ देने के लिए दबाव डाला जाता है, जिससे जरूरतमंद लाभ से वंचित रहते हैं। मुझे लगता है कि ये कुछ ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से मूल लाभार्थीयों को लाभ देने में अड़चनें पैदा होती हैं।
सवाल: अपने काम से जुड़ा ऐसा कौन सा पहलु है जिसको करने में आपको गर्व महसूस होता है?
जवाब: मैं अपने आप को खुश किस्मत समझता हूँ कि मुझे ग्राम स्तर पर समुदाय के साथ जुड़कर कार्य करने का अवसर मिला है। समुदाय से जिन कार्यों की डिमांड हमें प्राप्त होती है, उन्हें हम अपने ग्राम पंचायत विकास योजना में डालते हैं और उन्हें प्राथमिकता के तौर पर शुरू करने का प्रयास रहता हैं। मुझे बेहद प्रसन्नता है कि मैं ऐसे पद पर हूँ जहाँ पर मैं सीधे रूप से नागरिकों से जुड़ा हूँ, उनसे सीधा रूप से सम्पर्क कर सकता हूँ, उनकी समस्या जान सकता हूँ। पिछले वर्ष कोविड काल की पहली लहर के समय में मैंने ग्राम सचिव के तौर पर मेरे पंचायत में रहने वाले प्रवासी मजदूरों को मैंने स्वयं के खर्च से भोजन उपलब्ध करवाया, और उनकी मूलभूत जरूरतों के लिए हर सम्भव प्रयास किया। मैं यह मानता हूँ कि कोई भी व्यक्ति मेरे कार्यालय में अपने कार्य को लेकर आया है तो मैं इसके लिए मैं अपना शत प्रतिशत दूँ।
सवाल: यदि आपको अपना काम करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्रता मिले, तो ऐसा एक कौन सा कार्य है जो आप ज़रूर करना चाहेंगे?
जवाब: यह मेरे अपने निजी विचार है कि जब योजनाओं का प्लानिंग केंद्र, राज्य और जिला स्तर पर होता है। मेरा मानना है कि इसके प्रारूप तैयार करते समय फील्ड से जुड़े समुदाय वर्ग को जरुर शामिल करना चाहिए ताकि उस क्षेत्र की भौगौलिक परिस्थितियों को समझते हुए ज़मीनी वास्तविकताओं का आंकलन करने में किसी प्रकार की कोई त्रुटियाँ न रह जाए। यदि प्लानिंग मीटिंग में खंड विकास अधिकारी, पंचायती राज प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए तो योजना का बेहतर से क्रियान्वयन हो पायेगा और योजना का लाभ सही ढंग से पहुंच पायेगा। मैं उदाहरण 15वें वित्त आयोग का देना चाहूँगा, जहाँ पर टाईड ग्रांट के तौर पर पेयजल (30%) और स्वच्छता (30%) पर प्रतिशत खर्च करना होता है। यदि यह कार्य पंचायत में पहले से हो चुके होते हैं, तो बजट खर्च करने की अनुमति नहीं होती है, और न ही इसे किसी और कार्य में खर्च किया जा सकता है। ऐसे में ग्राम पंचायत असमंजस की स्थिति में वह क्या करे। मैं चाहूँगा कि ग्राम पंचायत को ग्राम सभा में तैयार की गई योजना के अनुरूप विकास कार्यों पर खर्च करने का प्लान बनाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए ताकि ग्राम पंचायत के समग्र विकास की परिकल्पना को साकार किया जा सके।