आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ती पंचायतें – सीरीज़

आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ती पंचायतें! 

‘हम और हमारी सरकार’ वेबसाइट के ज़रिये से हम अलग-अलग राज्यों की ऐसी पंचायतों के लिए एक सीरीज़ शुरू करने जा रहे हैं जो स्वयं अपने प्रयासों से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं

तो आईये शुरुआत करते हैं हिमाचल प्रदेश के जिला काँगड़ा की ग्राम पंचायत टाऊ से और जानते हैं कि कैसे ग्राम पंचायत स्वयं से आय स्त्रोतों को अर्जित कर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। यह पंचायत बाकि ग्राम पंचायतों के लिए आय सृजन का उदाहरण प्रस्तुत कर रही है जिससे इसी दिशा में दुसरी ग्राम पंचायतें उनके अनुभवों का आधार पर योजना निर्माण में जुड़ रही हैं। 

पंचायती राज एक्ट के अनुसार : 

ग्राम पंचायत सचिव अमित कुमार जी के अनुसार हिमाचल पंचायती राज एक्ट 1993 के अनुसार वित्तीय प्रावधान है कि ग्राम पंचायत के सर्वांगीण विकास के उद्देश्य के लिए केंद्र और राज्य सरकार और स्थानीय सरकार से प्राप्त अनुदानों के अलावा ग्राम पंचायत स्वयं की आय स्त्रोत को अर्जित कर (टैक्स) से राशि इकठ्ठा कर सकते हैं, इसके दो बड़े उदाहरण गृह सम्पति कर, वाणिज्यक कर स्वयं के आय स्त्रोत हो सकते हैं।

ग्राम सभा में टैक्स एकत्रित से सम्बन्धित एजेंडा कैसे रखा :  

ग्राम पंचायत सचिव ने बताया कि मैंने ग्राम सभा मीटिंग में एजेंडा प्रस्तुत करने के बाद ग्राम सरपंच, उपसरपंच और वार्ड मेम्बर को प्रेरित किया कि अभी केंद्र, राज्य और स्थानीय सरकार से प्राप्त होने वाली अधिकतर राशि टाईड फंड के रूप में आता है, जिसे कि पहले से निर्धारित विकास कार्यों पर खर्च करना होता है। यदि पंचायत स्वयं के राजस्व को एकत्र करना शुरू करेगी, तो हम अपनी इच्छा के अनुसार राशि को अपनी कार्य प्राथमिकता के आधार पर खर्च कर सकते हैं। इसके लिए हमने दो तरह के कर (टैक्स) भू-राजस्व कर और वाणिज्य कर को ग्राम पंचायत स्तर पर लेना शुरू किया। भू-राजस्व कर में हर घर से वार्षिक रूप से न्यूनतम 20 रूपये और अधिकतम 75 रूपये का कर लिया जाता है। दूसरा, वाणिज्य कर में दूकान, होटल इत्यादि को ग्राम पंचायत में संचालित करने के लिए पंचायत से एनओसी (नॉन ओब्जेक्शन सार्टिफिकेट) हासिल करने के लिए रजिस्ट्रेशन फीस के रूप में 2500 रूपये प्रति दूकान रखा गया है। अगले चरण में हम जो भी गेस्ट हाउस, होटल व्यवसायी हैं उनसे 500 रूपये वार्षिक कर के रूप में लेने का प्रस्ताव रखा है, जिसको लेकर ग्राम सभा में जल्द प्रस्ताव रखा जाएगा। 

चुनौतियाँ क्या आईं: 

ग्राम पंचायत ने जब ग्राम सभा में स्वयं के आय स्त्रोत अर्जित का प्रस्ताव पास किया। इसके बाद वाणिज्य कर को लेकर दूकानदार व होटल व्यवसायी को ग्राम पंचायत की ओर से नोटिस भेजा गया। इसको लेकर वाणिज्यक भवनों में कार्य करने वाले दूकानदार, तहबाजारियों व होटल व्यवसायी इस प्रकार के कर पर आपत्ति जाहिर करना शुरू करने लगे। नोटिस मिलने के बावजूद किसी भी प्रकार का कर जमा नहीं करवाया। सरपंच, सचिव और वार्ड मेम्बर के साथ हमने फील्ड में जाकर समझाया कि पंचायती राज एक्ट में प्रावधान है कि ग्राम के विकास के ग्राम पंचायत टैक्स वसूल कर सकती है। जिसके बदले ग्राम पंचायत आपको आवश्यक सुविधायें भी प्रदान करेगी और यह सब ग्राम पंचायत के विकास के लिए ही खर्च किया जायगा। इसके पश्चात धीरे धीरे सभी होटल, दुकानदार व्यवसायी इस बात को समझने लगे और अब काफी सकारात्मक रूप से ग्राम पंचायत के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं।  

परिणाम क्या हासिल हुआ : 

ग्राम पंचायत टाऊ आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में के इस कदम को काफी प्रशंसा मिल रही है। राज्य सरकार की अधिसूचना का पालन करते हुए ग्राम पंचायत स्तर पर आवासीय और वाणिज्यक भवनों के करों की अलग-अलग दरें  निर्धारित की है। इसी कड़ी में  ग्राम पंचायत ने वाणिज्यक कर से इस वर्ष में 80 से 85 हजार की राशि इकट्टा कर ली गई। वहीं, चूल्हा कर (सम्पति कर आवासीय भवन पर वर्ग मीटर क्षेत्र आधार पर लिया जाता है, सम्पति कर आवसीय भवन पर वर्ग मीटर क्षेत्र आधार पर कर लिया जाता है, यह न्यूनतम 20 रूपये से अधिकतम 75 रूपये वसूल किया जा सकते हैं) से 5000 रूपये की राशि जमा की है। इन्ही प्रयासों के चलते ब्लॉक स्तर पर पंचायत को स्वयं के आय स्त्रोतों को बढ़ाने के लिए पुरस्कृत भी किया जा चूका है। ग्राम पंचायत ने इस वर्ष के ‘ग्राम पंचायत विकास योजना’ में इस राशि को स्वास्थ्य, शिक्षा और आवश्यक बुनियादी सुविधाओं पर खर्च जाएगा।