पंचायती राज संस्थाओं का महत्व

पंचायती राज संस्थाओं का महत्त्व क्या है? आख़िर पंचायती राज संस्थाओं को सरकार का दर्जा क्यों प्राप्त हुआ?

पंचायती राज व्यवस्था तथा उसका महत्त्व भारतीय संविधान के 73वें संशोधन में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है। इसके तहत सभी राज्यों को प्रत्येक पांच वर्ष में पंचायत चुनाव करवाना भी अनिवार्य है।

मध्य प्रदेश राज्य में पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल मार्च 2020 में समाप्त हो चुका था, तथा इसके लिए सरकार की गतिविधियों के बारे में मीडिया में काफी चर्चाएं भी चल रहीं थी। बाकी राज्यों की तरह यहाँ भी लोगों द्वारा यह उम्मीद की जा रही थी कि चुनाव तय समय पर ही कराये जाएंगे, लेकिन कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए प्रदेश में चुनाव स्थगित कर दिए गए।

आख़िरकार राज्य में दो वर्ष से अधिक का समय बीत जाने के बाद अब इस वर्ष 2022 में जाकर तीन चरणों में पंचायती राज चुनाव होने जा रहे हैं। सभी पंचायतों में मतदान 25 जून, 1 जुलाई और 8 जुलाई 2022 को विभिन्न चरणों में होने जा रहे हैं।

अब सवाल यह उठता है की हमें पढ़ाया और बताया गया है कि पंचायती राज संस्थाओं का महत्व बहुत अधिक है, पर आख़िर क्यों इतना महत्वपूर्ण है? आईये इस पर थोड़ी बात करते हैं!

यह समझना बेहद ज़रुरी है कि जब पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया तो उसके पीछे मंशा यही थी कि एक ऐसी सरकार हो जो स्थानीय लोगों की आवाज़ बन पाए तथा उन्हें वे सभी हक़ मुहैया करवाये, जिसके वे हकदार हैं।

पंचायती राज संस्थाएं यह सुनिश्चित करती हैं कि:

1. स्थानीय स्तर पर जनता का प्रतिनिधित्व करते हुए स्थानीय समस्याओं को सुनने और सुलझाने का प्रयास किया जाए।
2. उच्च सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ समाज के कमज़ोर और वंचित तबके तक बिना किसी भेदभाव के पहुँच पाए।
3. विकास कार्य बिना किसी रूकावट के चलते रहें।
4. लोगों को भरोसे में लेते हुए शासन में उनकी भागीदारी को बढ़ाया जाए।
5. एक ऐसा मंच हो जहाँ लोग बिना किसी दबाव के खुले मन से अपनी बात पंचायत के समक्ष रख सकें जहाँ यह उम्मीद हो की उनकी मांगों/समस्याओं पर तुरन्त एक्शन हो।

कोविड-19 महामारी के दौरान पंचायतों के प्रतिनिधियों ने हर तरह से प्रशासन के साथ जुड़कर अपनी भूमिका के महत्व को दर्शाया है चाहे व मास्क एवं सेनेटाईजर के वितरण की बात हो या फिर ज़रूरतमंद लोगों तक राशन पहुँचाने की व्यवस्था हो। पंचायती राज संस्थाओं ने यह साबित किया है कि वे किसी भी तरह के संकट से निपटने में सक्षम हैं तथा लोगों को एकजुट करने में व जागरूक करने में भी इनकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है।

अब जब हम सभी को मालूम है कि पंचायती राज संस्थाओं का आवश्यकता बहुत महत्वपूर्ण है तो उच्च सरकारों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए की जो भी ज़रूरी संसाधन एक स्थानीय सरकार को चलाने के लिए आवश्यक हों, वो सभी बिना समय गंवाये उन्हें उपलब्ध कराये जाएँ ताकिअपनी बढ़ी हुई क्षमता से यह संस्थाएं ग्रामीण लोगों के लिए बेहतर सुविधाएं प्रदान करने में और भी सक्षम हों।