सिस्टम में बदलाव के बावजूद सरकारी नीतियां असफल रही
By तुफैल अहमद | 2nd May 2018 | In first_post | National
इस ब्लॉग में लेखक सामाजिक योजनाओं की जमीनी हकीकत से पाठकों को रूबरू कराते हैं| इस लेख में वह बताते हैं कि भारत में अभी भी सामाजिक योजनाओं और निति निर्माण के बीच में काफी अन्तर है | नीतियाँ ऐसे लोग बनाते हैं जिनका जमीनी वास्तविकता के साथ कोई सम्बन्ध ही नहीं होता | इस लेख में लेखक ने अलग-अलग राज्यों में जाकर जमीनी स्तर के लाभार्थियों के अनुभवों को जाना है, जिसके आधार पर लेखक का कहना है कि सेवा प्रदाता अभी भी जनता के प्रति वास्तव में जवाबदेही नहीं है| इसलिए पंचायतों को ज्यादा अधिकार एवं शक्तियां देकर सशक्त करना होगा ताकि वे जमीनी जरूरतों का आकलन करके लाभार्थियों तक ज्यादा बेहतर सेवाएं पहुंचा सकें|
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