ग्रामीण क्षेत्र में रोज़गार हेतु गैर सरकारी संगठनों की भूमिका

मैं अमित कुमार जोगी एक गैर सरकारी संगठन इब्तिदा, अलवर में पिछले 14 वर्षों से जुड़ा हूँ। जैसा की हम सभी जानते हैं कि मौजूदा समय में बेरोज़गारी एक गंभीर समस्या है, जिसका प्रभाव न केवल शहरी क्षेत्रों में पड़ा है बल्कि इससे ग्रामीण क्षेत्र भी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। यह समस्या तब और भी गंभीर हो जाती है जब युवा अच्छी पढ़ाई-लिखाई करने के बाद तथा निजी व सरकारी नौकरी की महत्वाकांक्षा के बावजूद भी रोज़गार हासिल नहीं कर पाते।

पिछले कुछ दशकों में मानव जीवन शैली में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। संचार, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य व मनोरंजन के क्षेत्रों में बहुत तेज़ी से विकास हुआ है। ग्रामीण जीवन पर भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ा है जिसमें यदि कोविड-19 की स्थिति को छोड़ दें तो आमतौर पर ग्रामीण लोगों का बड़ी संख्या में शहरों की ओर पलायन बढ़ा है। तो अब सवाल यह उठता है कि आख़िर इस पलायन को कैसे रोका जाए क्योंकि शहरों की भी तो अपनी एक क्षमता है, जिसे अगर पार किया गया तो निश्चित तौर पर परिणाम विपरीत ही देखने को मिलेंगे। 

हमारा कार्य क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों में रहा है जिसमें हमारी संस्था विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में खेती व पशु पालन के क्षेत्र में अपनी भूमिका निभा रही है। दूर-दराज़ के ग्रामीण किसानों को खेती व पशुपालन की उन्नत तकनिकी के उपयोग कर अधिक उत्पादन मिले, यही हमारा उद्देश्य है। इस कार्य में मुख्य रूप से युवा महिला किसानों को आधार बनाकर कार्य किये जा रहे हैं ताकि हमारे युवा साथी भी खेती की उन्नत विधियों को अपनाकर अपना जीवन यापन कर सकें। हम किसानों को बागवानी, मिश्रित खेती, सब्ज़ी उत्पादन, व्यवसायिक फसलों का उत्पादन, सिंचाई की पद्धति में बदलाव, फूलों की खेती के साथ-साथ पशुओं में नस्ल सुधार के साथ उनके स्वास्थ्य, आहार व्यवस्था, आवास व्यवस्था में सुधार व उत्पादों का सही विपणन जैसी गतिविधियों से जोड़कर उनकी आमदनी बढ़ाने की ओर अग्रसर है, जिसके अपेक्षाकृत परिणाम मिल रहे हैं। 

दूसरी ओर अगर देखें तो कृषि विज्ञान के क्षेत्र में बहुत परिवर्तन हुए हैं। कृषि में नयी-नयी तकनीकें, अधिक उत्पादन देने वाले बीजों की खोज व बुवाई से लेकर सिंचाई, कटाई के लिए यंत्रों का विकास हुआ है। एक ओर अधिक रसायनों को खेती में उपयोग कर उत्पादन में वृद्धि हो रही है, वहीं दूसरी ओर प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

हालांकि सरकार द्वारा समय-समय पर किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं का लाभ व सहायता दी जाती हैं, लेकिन अभी भी देखने को मिलता है कि दूर-दराज़ के गाँवों के किसान उनका लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं। किसान की आर्थिक स्थिति कमज़ोर होने के कारण नयी तकनीक का उपयोग बहुत कम हो पाता है।

अंत में मेरा यही मानना है कि हमारी तरह अन्य सभी गैर सरकारी संगठनों की यह कोशिश होनी चाहिए कि हम किस तरह से युवाओं को कृषि एवं पशुपालन से जुड़े व्यवसायिक तरीकों से जोड़ पायें, उन्हें जागरूक कर सकें। साथ ही हमें उन्हें सरकार की व्यवस्था तथा सम्बंधित क्षेत्रों में संस्थागत प्रावधानों के बारे में भी विस्तार से जागरूक करना होगा। इससे वे न केवल स्वयं स्वरोज़गार उपलब्ध करने में सक्षम हो पाएंगे बल्कि दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित कर पाएंगे।