ज़रूरी है, पेयजल की पहुँच को बढ़ाना!
जल इस प्रकृति के हर जीव के लिए जीवन जीने का एक महत्वपूर्ण अंग है। जहाँ तक मानव जीवन का सवाल है तो इसके बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। जहाँ तक पेय जल की बात है तो ऐसा पाया गया है कि पृथ्वी में केवल 3 प्रतिशत ही पानी पीने योग्य है बाकी का खारा व नमकीन है। इसलिए यह ज़रूरी हो जाता है कि मानव जीवन के लिए स्वच्छ पेय जल उपलब्ध कराया जाए ताकि जीवन सुगम हो पाये।
भारत में इसी दिशा की तरफ बढ़ने के लिए सरकार द्वारा जल जीवन मिशन की शुरुआत 15 अगस्त 2019 की गयी। इस योजना का मुख्य लक्ष्य यह है की ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले 50 प्रतिशत से अधिक ऐसे परिवार है जिन्हें पानी की समस्याओं से जूझना पड़ता है। पानी प्राप्त करने के लिए उन्हें दूर क्षेत्रों में कई मीलों पैदल जाना पड़ता है, उन्हें घर-घर में पानी की सुविधा पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
जल जीवन मिशन पानी की आपूर्ति प्रदान करने के लिए भारत सरकार की प्रमुख योजना है, जिसके तहत 2024 तक कार्यात्मक घरेलू नल का कनेक्शन के माध्यम से प्रत्येक ग्रामीण परिवार को कम से कम 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन (एलपीसीडी ) की क्षमता पर पानी उपलब्ध कराये जाने का लक्ष्य है! यह योजना जल शक्ति मंत्रालय में शामिल पेयजल और स्वच्छता विभाग द्वारा कार्यान्वित है।
अकाउंटबिलिटी इनिशिएटिव के विश्लेषण के अनुसार भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 में जल जीवन मिशन के लिए ₹60,000 करोड़ का बजट आवंटित किया। जल जीवन मिशन (जेजेएम) के अनुमानित बजट में पिछले वर्ष 2021-22 के संशोधित अनुमान की तुलना में 33% की वृद्धि देखी गयी है।
निधि का आवंटन की बात की जाए तो वित्त वर्ष 2021-22 में 1 जनवरी 2022 तक भारत सरकार द्वारा राज्यों को जारी आवंटन धनराशी का हिस्सा कई राज्यों को आधा व उससे भी कम मिला है। इसमें अगर बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश को 75 प्रतिशत, मध्यप्रदेश 50 प्रतिशत, महाराष्ट्र को 24 प्रतिशत व राजस्थान को 23 प्रतिशत ही मिला।
अगर विश्लेषण किये गए राज्यों की बात की जाये तो 13 राज्यों ने योजना के तहत वित्त वर्ष 2021-22 में भारत सरकार द्वारा जारी आवंटित धनराशी का 50 प्रतिशत से कम खर्चा किया है। इसमें 1 जनवरी 2022 तक बिहार ने 2 प्रतिशत, महाराष्ट्र ने 7 प्रतिशत, राजस्थान 12 प्रतिशत खर्च किया जबकि वहीं हिमाचल प्रदेश ने 80 प्रतिशत खर्च किया।
1 जनवरी 2022 तक कार्यात्मक घरेलु नल कनेक्शन के माध्यम से बिहार के 89 प्रतिशत परिवारों को लाभ मिला है। वहीं हिमाचल प्रदेश में 91 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 69 प्रतिशत, मध्यप्रदेश 37 प्रतिशत, राजस्थान 22 प्रतिशत कार्य ही हुआ है। इसके अलावा भारत में 79 प्रतिशत ग्रामीण परिवार 40 एलपीसीडी द्वारा और 47 प्रतिशत परिवार 55 एलपीसीडी द्वारा कवर किए गए हैं। 1 जवनरी 2022 तक 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन परिवार पूरी करने वाले राज्यों में बिहार 98 प्रतिशत, मध्यप्रदेश 63 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश 44 प्रतिशत, राजस्थान 11 प्रतिशत, महाराष्ट्र में सिर्फ 5 प्रतिशत ही विस्तार कर पाया है।
इसके आलावा केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने 2 अक्टूबर 2020 को एक अभियान मोड शुरू किया। इसके तहत 100 दिनों के भीतर देश के सभी ग्रामीण स्कूलों और आंगनवाड़ी केन्द्रों में पीने योग्य पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराया जाना था। जिसके तहत 1 जनवरी 2022 तक हिमाचल प्रदेश में 100 विद्यालयों और आंगनबाड़ी केन्द्रों पर यह सुविधा प्रदान की गई है। वहीं बिहार में 99 प्रतिशत विद्यालयों तथा 98 प्रतिशत आंगनवाड़ी केन्द्रों, मध्य प्रदेश में क्रमशः 74 प्रतिशत व 60 प्रतिशत, राजस्थान में 68 प्रतिशत व 54 प्रतिशत केन्द्रों पर यह सुविधा प्रदान की गयी। काफी राज्य इस मिशन मोड के तहत 100 दिन में अंदर कार्य नहीं कर पाए, और यह कार्यक्रम आगे बढ़ाया गया ।
घरों तक नल से पानी पहुंचा या नहीं इसके लिए कोई भी व्यक्ति इस वेबसाइट से जानकारी प्राप्त कर सकता है।
जल जीवन मिशन के उदेश्यों और दृष्टिकोण तथा नीतिगत उपायों और क्षेत्रीय सुधारों और सामुदायिक सशक्तिकरण के नज़रिये से देखे तो घर-घर को पेय जल से जोड़ने का यह प्रयास सराहनीय है। लेकिन इसके क्रियान्वयन में किस तरह की चुनौतियाँ पेश आएँगी ये तो ज़मीनी हक़ीकत की पड़ताल करने से ही मालूम चलेगा।
अतः बेशक सरकार हमारे लिए कोई भी योजना लेकर आये लेकिन उसका सही क्रियान्वयन या बेहतर परिणाम तब तक हासिल नहीं किया जा सकता, जब तक हम एक जागरूक नागरिक के तौर पर उसे सफल बनाने में अपनी ज़िम्मेदारी न उठायें।