‘प्रशासन के सितारे’: श्री मिथिलेश कुमार
‘प्रशासन के सितारे’ सेक्शन में आईये आपको औरंगाबाद, बिहार के मिथिलेश कुमार जी से मिलवाते हैं जो प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के अंतर्गत जिला कार्यक्रम समन्वयक के तौर पर आम जन तक सेवा की पहुँच सुनिश्चित करने में लगे हैं।
सवाल: आप अपने बारे में कुछ बताएं?
जवाब: मेरा नाम मिथलेश कुमार है और मैं औरंगाबाद, बिहार से हूँ। मैंने अपना स्नातकोत्तर ग्रामीण विकास प्रबंधन में किया है। उसके बाद करीब पांच वर्षो तक एक स्वयंसेवी संस्था ‘करुणा सचिन’ में बतौर जिला समन्वयक के रूप में कार्य किया। तदोपरांत, दो वर्षों तक पंचायती राज विभाग में जिला अनुश्रवन मूल्यांकन समन्यवक के रूप में कार्य किया है।
सवाल: आप अभी किस विभाग में तथा किस पद पर कार्य कर रहे हैं?
जवाब: मैं वर्तमान में समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत संचालित समेकित बाल विकास परियोजना के सहयोग से चलाई जा रही केंद्र प्रायोजित योजना प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के लिए ‘जिला कार्यक्रम समन्वयक’ के पद पर कार्यरत हूँ।
सवाल: अपने मुख्य कार्यों को बताते हुए ये बतायें की आपके ऐसे कौन से प्रमुख कार्य हैं, जो सीधे तौर पर नागरिकों से जुड़े हुए हैं?
जवाब: मेरा मुख्य कार्य इस प्रकार है:
- सभी प्रखंड कर्मियों का योजना सम्बन्धित क्षमता समवर्धन करना
- समेकित बाल विकास परियोजना के अंतर्गत सभी जिला स्तरीय टीम को अपने प्रोग्राम के संचालन में आवश्यक सहयोग करना
- सभी लाइन डिपार्टमेंट के साथ समन्वय स्थापित करना ताकि प्रोग्राम धरातल पर सही रूप में अमल में लाया जा सके
- अनुश्रवन करना
योजना के तहत सभी प्रथम बार गर्भवती महिला को 5000 रुपये की राशि सरकार द्वारा मुहैया कराई जाती है, जिससे प्रत्येक गर्भवती महिला अपना गर्भवस्था का ध्यान सही से रख पाए। यह कार्यक्रम सीधा नागरिकों से जुड़ा हुआ है।
सवाल: एक अधिकारी के तौर पर आपकी अभी तक की क्या बड़ी सफलताएं रही हैं? क्या आप एक या दो सफलताओं के बारे में बता सकते हैं?
जवाब: मेरे कार्य क्षेत्र के अंतर्गत एक टोला था, जो राजस्व गांव से काफी दूरी पर था। वहां पर सरकार के तरफ से चलाई जा रही तमाम योजनायें ज़मीनी स्तर तक पहुंचने में असफल थीं। मुझे इसके बारे में मेरे ही एक कर्मी ने जानकारी दी। मैं अनुश्रवण के दौरान उस वक्त फिल्ड में ही था। मैंने और मेरे कर्मी ने उस गाँव में जाकर लोगों से बात की तथा समस्या जानने की कोशिश की। समस्या मालूम चलने के पश्चात उस गाँव के सम्बंधित प्रखंड कार्यालय में जाकर वहां के कर्मचारियों को योजना के तहत मिलने वाली सुविधा को तत्काल पहुँचाना सुनिश्चित करवाया। इसके बाद उस गाँव में जितने भी गर्भवती महिलायें मेरे कार्यक्रम के मानक के अंतर्गत आ रही थीं मैंने सम्बंधित प्रखंड से सभी आवेदन मंगवाये और बिना देरी किये सबके खाता में पैसा निर्गत करवाया।
इसके साथ ही साथ मैंने इस विषय को जिला की मासिक बैठक में जो जिला अधिकारी के समक्ष होती है, वहां पर भी उठाया। जिला अधिकारी तुरंत एक्शन में आये तथा सभी विभाग के अधिकारीयों को निर्देश दिया की अगले दो महिने में उस गांव में सभी को सरकारी लाभ मिलने शुरू हो जाने चाहिए। परिणामस्वरूप, आज उस गांव में सभी लोग सरकारी सेवाओं का लाभ ले रहे हैं।
सवाल: आपके अभी तक के सफ़र में क्या प्रमुख चुनौतियाँ रही हैं? क्या आप एक या दो उदाहरण दे सकते हैं? आपने इनका समाधान कैसे किया?
जवाब: ऐसे तो बहुत सारे चुनौतियां कार्य करने के दौरान आती हैं लेकिन मैं एक–दो चुनौतियों के बारे में जरुर बताना चाहूँगा। सबसे पहली चुनौती यह है कि विभाग के सभी कर्मियों का असमय वेतन भुगतान होता है जोकि 5-6 महीने पर एक बार मिलता है जिससे कहीं न कहीं कर्मचारी का मनोबल एवं लग्न को प्रभावित होती है। दूसरा, अगर आप स्वयं से कोई कार्य में अनुसंधान या प्रयोग करना चाहते हैं, तो उसके लिए बहुत जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है जिस वजह से कार्य बीच में ही रुक जाता है। इसके अलावा कई बार अधिकारियों द्वारा अपेक्षित सहयोग भी नहीं मिल पाता तथा कार्य क्षेत्र में काम में तेज़ी लाने में मुश्किलें पेश आती हैं। जैसे मैं एक बार चाह रहा था कि अपने फिल्ड लेवल कर्मियों के लिए क्षमतावर्धन हेतु कार्यशाला आयोजित की जाए ताकि लाभार्थीयों को सेवा का लाभ दिलाने में अधिक मददगार रहे लेकिम मेरा यह विचार, विचार ही बनकर रह गया।
सवाल: आप जिस क्षेत्र में काम करते हैं, उसमें ऐसी कौन सी एक या दो प्रमुख चीजें हैं जिनका अनुसरण करते हुए लाभार्थी आसानी से लाभान्वित हो सकते हैं?
जवाब: मैं जिस क्षेत्र में फिलहाल कार्य कर रहा हूँ, उसमें लाभार्थी का लाभ आसानी से मिल जाता है बशर्ते उनको इस योजना के बारे में मालूम हो। दूसरा, आवेदन में पूछी गयी जानकारी सही से भरी हुई हो तथा आवेदन के साथ सभी ज़रूरी दस्तावेज़/कागज़ात अनिवार्य रूप से संलग्न हों। अगर कोई भी लाभार्थी इन सभी मानकों को पूरा करता है तो उसे आसानी से योजना का लाभ मिल सकता है और अगर फिर भी लाभार्थी को लाभ मिलने में देरी हो या लाभ न मिले तो वो तुरंत अपने प्रखंड में जाकर समेकित बाल विकास परियोजना के कार्यालय में जाकर अपने आवेदन सम्बन्धित बात कर सकते हैं।
सवाल: कई बार देखने को मिलता है कि सरकार की बेहतर योजनाओं के बावजूद भी लाभार्थियों को उनका लाभ समय पर नहीं मिल पाता, आपके अनुसार इसके क्या प्रमुख कारण हो सकते हैं?
जवाब: हाँ बिल्कुल, कई बार देखने को मिलता है कि सरकार की बेहतर योजनाओं के बावजूद भी लाभार्थियों को उनका लाभ समय पर नहीं मिल पाता। मेरे अनुसार इसके कई प्रमुख कारण हैं : पहला- सरकारी योजनाओं को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी दूसरा- राजनैतिक महत्वाकांक्षा के तहत समुदाय विशेष पर अधिक फोकस करना और तीसरा. फ्रंटलाइन वर्कर का पक्षपात करना जैसे अपने मर्जी से लाभार्थी का चयन कर लेना आदि । इसके लिए लोगों को स्वयं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना ज़रूरी है ताकि उन्हें सरकार की योजना का सही से और समय पर लाभ मिल पाए।
सवाल: अपने काम से जुड़ा ऐसा कौन सा पहलु है जिसको करने में आपको गर्व महसूस होता है?
जवाब: जैसा की मैंने आपको एक गाँव की कहानी बताई थी कि वहां के लोग कैसे सभी सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित थे और उन्हें मेरे एक छोटे से प्रयास से अब जाकर सभी योजना का लाभ उठा पा रहे हैं। इसी तरह की कोई भी समस्या अगर मुझ तक पहुँचती है तो मैं उस समस्या को दूर करने के लिए अथक प्रयास लगा देता हूँ और जब उन्हें सेवा का लाभ मिलने लगता है तो हमें बहुत खुशी मिलती है।
सवाल: यदि आपको अपना काम करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्रता मिले, तो ऐसा एक कौन सा कार्य है जो आप ज़रूर करना चाहेंगे?
जवाब: यदि मुझे अपना कार्य करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्रता मिले, तो सबसे पहले मैं सरकार के भीतर नीति निर्माण, योजना क्रियान्वयन जैसी जटिल प्रक्रिया को सरल करने का प्रयास करूंगा ताकि आम जनता को सरकार की किसी भी प्रकार की सेवा में जटिल प्रक्रिया से ना गुजरना पड़े तथा उसे सीधा लाभ मिले सके।