राजस्थान में स्वास्थ्य का अधिकार कानून

एक नागरिक के लिए स्वास्थ्य का अधिकार के क्या माईने हैं?  

राजस्थान, भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य तो है ही लेकिन साथ ही आर्थिक विषमताओं के मामले भी कम नही हैं। ऐसे में राज्य में नागरिकों को ‘स्वास्थ्य का अधिकार’ कानून मिलना नागरिक दृष्टि से काफी अहम है। 

तो आईये आज ‘फील्ड के तरीके’ सेक्शन के अंतर्गत जानते हैं कि एक नागरिक के तौर पर राजस्थान के निवासियों इस कानून में आख़िर क्या मिल रहा है- 

राज्य के प्रत्येक व्यक्ति के पास स्वास्थ्य से जुड़े संबंधित कुछ अधिकार होंगे, जैसे –

  • सार्वजनिक (सरकारी) स्वास्थ्य संस्थानों में मुफ्त आउटडोर (सामान्य डॉक्टरी परामर्श) और इनडोर (भर्ती) पेशेंट डिपार्टमेंट सेवाएं, दवा और डायग्नॉस्टिक्स की सुविधा 
  • देरी किए बिना सभी स्वास्थ्य सेवा केंद्रों में इमरजेंसी उपचार और देखभाल, पूर्वभुगतान करने या पुलिस जांच या मंजूरी हासिल करने का इंतजार किए बिना
  • बीमारी की प्रकृति और कारण, नतीजों, उपचार की जटिलताओं और लागत की सूचना हासिल करना तथा रिकॉर्ड्स को एक्सेस करना 
  • किसी खास टेस्ट या उपचार से पहले सूचित सहमति हासिल करना (यानी सहमति देने से पहले व्यक्ति को पूरी बात पता होनी चाहिए)
  • सभी (निजी एवं सरकारी) स्वास्थ्य सेवा केंद्रों में उपचार में गोपनीयता और प्राइवेसी
  •  रेफरल परिवहन 
  • सुरक्षित और उत्तम क्वालिटी की स्वास्थ्य सेवा 
  • शिकायत निवारण
  • किसी क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट (पंजीकरण और रेगुलेशन एक्ट, 2010 में परिभाषित है) में मुफ्त स्वास्थ्य सेवा
  • सड़क दुर्घटनाओं की स्थिति में सभी (निजी एवं सरकारी) स्वास्थ्य केंद्रों में मुफ्त परिवहन, उपचार और बीमा कवरेज। इन सेवाओं को एक्सेस करने का तरीका नियमों के तहत निर्दिष्ट होगा।  

इसके साथ ही इस कानून में उपरोक्त सुविधाओं को बेहतर संचालित करने के लिए राज्य सरकार के कुछ दायित्व निर्धारित किये गये हैं, जैसे –  

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य मॉडल को तैयार और निर्दिष्ट करना
  • राज्य के बजट में उपयुक्त प्रावधान करना
  • दूरी, भौगोलिक क्षेत्र या आबादी का सघनता पर विचार करते हुए स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना
  • सभी स्तरों पर क्वालिटी और सुरक्षा के मानक तैयार करना
  • सुरक्षित पेयजल, सैनिटेशन और पौष्टिक रूप से पर्याप्त सुरक्षित खाद्य की आपूर्ति सुनिश्चित करने की व्यवस्था तैयार करना, और
  • महामारियों और स्वास्थ्य से संबंधित सार्वजनिक आपात स्थितियों को रोकने, उसका उपचार करने और उसे नियंत्रित करने के उपाय करना। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार को मानव संसाधन नीति विकसित और स्थापित करनी चाहिए ताकि स्वास्थ्यकर्मियों का समान वितरण सुनिश्चित हो।

स्वास्थ्य प्राधिकरण: 

इस क़ानून के अनुसार, बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए राज्य और जिला स्तर पर स्वतंत्र निकायों को स्थापित किया जाएगा, जिन्हें क्रमशः राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण (एसएचए) और जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण (डीएचए) कहा जाएगा। ये प्राधिकरण उत्तम श्रेणी  की स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था तैयार, उन्हें लागू और उनका निरीक्षण करेंगे तथा स्वास्थ्य से संबंधित सार्वजनिक आपात स्थितियों का प्रबंधन करेंगे। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की अध्यक्षता भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी करेगा, जो संयुक्त सचिव से नीचे का अधिकारी नहीं होना चाहिए। इसकी नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाएगी। जिला कलेक्टर, जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण की अध्यक्षता करेगा। सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े किसी भी मामले में राज्य प्राधिकरण सरकार को सलाह देगा। 

शिकायत निवारण: 

कानूनन सेवाएं न मिलने और अधिकारों के हनन से संबंधित शिकायतों के निवारण के लिए एक व्यवस्था प्रदान करता है। शिकायतें दर्ज कराने के लिए एक वेब पोर्टल और हेल्पलाइन सेंटर बनाया जाएगा। संबंधित अधिकारी को 24 घंटे में शिकायत का जवाब देना होगा। जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण उपरोक्त समय सीमा के बढ़ने पर अनसुलझी शिकायतों पर कार्रवाई करेगा। जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण को उपयुक्त कार्रवाई करनी होगी और 30 दिनों के भीतर वेब पोर्टल पर ऐक्शन टेकन रिपोर्ट को अपलोड करना होगा। अगर जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण 30 दिनों के भीतर शिकायत को नहीं सुलझाता तो शिकायत को राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण को भेज दिया जाएगा। राज्य प्राधिकरण जिला प्राधिकरण के फैसलों के खिलाफ अपील की सुनवाई करेगा।

चुनौतियाँ :

इस कानून में काफी अहम नागरिक सुविधाओं की बातें तो कही गयी हैं परन्तु इसमें अभी भी काफी चुनौतियाँ हैं। उदाहरण के लिए, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि कानून में राज्य के लिए बजट का अतिरिक्त भार बढ़ सकता है तथा उसके लिए बिल में अतिरिक्त प्रावधान उल्लेखित नहीं हैं। निजी संस्थानों को साथ काम करना अलग चुनौती है। इसके अलावा गठित राज्य एवं जिला स्तर के प्राधिकरण से नौकरशाही का अधिक हस्तक्षेप बढ़ेगा। इसके अलावा मरीज़ों की निजी बीमारियों के डेटा सार्वजनिक होने पर भी कुछ विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की है। 

कुल मिलाकर राजस्थान राज्य की नागरिकों को स्वास्थ्य के अधिकार देने की चर्चायें काफी हो रही हैं। आपको क्या लगता है तथा आपकी नज़र में इस कानून के क्या मायने हैं, हमें ज़रुर बताईये! 

यदि आप इस कानून या इसके किसी पहलु के सम्बन्ध में और जानना चाहते हैं अथवा ऐसी ही और रोचक जानकारियाँ, योजनाओं से सम्बंधित, प्रशासनिक अथवा वित्तीय व्यवस्था से जुड़े ऑनलाइन/ऑफलाइन पहलुओं को जानना चाहते हैं तो आप हमें ज़रूर लिखें। शासन-प्रशासन से जुड़े किसी भी तरह के सवालों के लिए आप हमें humaari.sarkaar@cprindia.org पर लिखें। हमारी टीम जल्द से जल्द आपके सवालों का जवाब देगी।