ज़रूरी है, ग्राम पंचायत विकास योजना पर बल देना!
गांधी जी का कहना था कि आजादी का अर्थ व्यक्तियों की आजादी होनी चाहिए, हर गांव में अपना प्रजातंत्र हो उनके पास पूरी सत्ता और ताकत हो। यह तभी संभव होगा जब हर गाँव अपने पैरों पर खड़ा हो, अपनी जरूरतों का आकलन एवं अपनी सत्ता का संचालन स्वयं करे। यह एक ऐसे समाज की संकल्पना है, जो पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर हो। तभी देश में सच्चे अर्थों में ग्राम स्वराज शब्द सार्थक होगा।
लेकिन इस सबके लिए जरूरी है जमीनी स्तर पर एक बेहतर योजना का निर्माण किया जाए, जिसमें आम लोगों की भी भागीदारी हो।
ग्राम पंचायत विकास योजना:
ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) गाँव के विकास और बुनियादी सेवाओं के निर्माण हेतु लिए एक वार्षिक योजना है, जिसे पंचायत के मुखिया, वार्ड सदस्य, पंच और ग्रामीण मिलकर तैयार करते हैं। ग्राम पंचायत विकास योजना में आम नागरिकों की जरूरतों और उनकी प्राथमिकताओं को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। स्थानीय लोगों को बुनियादी सुविधाएं एवं गरीब लोगों की समस्याओं को दूर करना पंचायत का मुख्य दायित्व होता है तथा यह सब बेहतर योजना के क्रियान्वयन से ही प्राप्त किया जा सकता है।
बिहार में पंचायती राज विभाग ने इसकी शुरुआत 2006 में की। बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की धारा 22 के अंतर्गत दिए ग्राम पंचायत के कार्य में जो सबसे पहला कार्य है, वह है पंचायत क्षेत्र के विकास के लिए वार्षिक योजना तैयार करना। इसके लिए ग्राम सभा की बैठक हर 3 माह पर होनी आवश्यक है, इसलिए आसानी से याद रखने के लिए 26 जनवरी गणतंत्र दिवस, 1 मई श्रमिक दिवस, 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस एवं 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन किया जाना सुनिश्चित किया जाता है।
बिहार में ग्राम सभा की सूचना 15 दिन पहले ग्राम पंचायत कार्यालय के सूचना पट पर नोटिस चिपका कर देनी आवश्यक है, और साथ ही डुगडुगी बजाकर, व्यक्तिगत सम्पर्क के आधार पर दिए जाने का प्रावधान है। ग्राम सभा की बैठक बुलाने की जिम्मेवारी मुखिया की होती है, पर उनके ऐसा नहीं करने पर पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी खंड विकास अधिकारी की जिम्मेवारी होती है।
ग्राम सभा की बैठक तथा कोरम:
- ग्राम सभा की सामान्य बैठक साल में 4 बार मुखिया द्वारा बुलाई जाती है। ग्राम सभा की विशेष बैठक मुखिया अपनी मर्जी से या पंचायत समिति या 1/10 ग्राम सभा सदस्यों द्वारा लिखित में दिए जाने पर बुलाई जा सकती है।
- ग्राम सभा की बैठक में सभी पंच, ग्राम सचिव, प्रखंड विकास व पंचायत अधिकारी, शिक्षा अधिकारी इत्यादि का भाग लेना आवश्यक है।
- ग्राम सचिव द्वारा ग्राम सभा की कार्यवाही को लिखना होता है। बैठक की कार्यवाही लिखने के पश्चात सरपंच, पंच तथा उपस्थित सभी लोगों के हस्ताक्षर करवाए जाने या अंगूठे के निशान लगवाने का प्रावधान है।
ग्राम पंचायत विकास योजना बनाने की प्रक्रिया :
गाइडलाइन्स के मुताबिक़, ग्राम पंचायत विकास योजना के तहत मुख्य रूप से तीन उद्देश्य होते हैं:
- पंचायतें अपनी ग्राम पंचायत का स्वरूप किस प्रकार का देखना चाहती हैं, इसके अंतर्गत उन सबका एक विज़न दिखता है।
- पंचायतें उस विज़न को प्राप्त करने के लिए स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करती हैं।
- उन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक एक्शन प्लान तैयार करती हैं।
ग्राम पंचायत विकास योजना एक ऐसा मंच प्रदान करती है, जिसके माध्यम से स्थानीय मुद्दों एवं समस्याओं पर चर्चा कर उन्हें प्राथमिकता दी जाए। यह मंच शासन के निर्णयों में लोगो को उनके करीब लाकर उनकी सक्रीय भागीदारी को बढ़ाने लिए है। प्राथमिकताओं एवं संसाधनों का मेल करके ग्राम पंचायत को मजबूती देने के साथ ही सरकार के रूप में उसकी पहचान को स्थापित करता है।
ग्राम पंचायत मुख्य रूप से विज़न को ध्यान में रखकर ग्राम पंचायत विकास योजना के दीर्घकालीन एवं वार्षिक उद्देश्यों का निर्धारण करती है| ग्राम पंचायत विकास योजना तैयार करते समय ग्राम पंचायत के अपने कुछ कार्यात्मक क्षेत्र होते हैं, जिस पर ध्यान केन्द्रित करना होता है, यह प्रत्येक पंचायत के लिए अनिवार्य होते हैं।
ये कार्यात्मक क्षेत्र इस प्रकार से हैं:
- गरीबी को दूर करना- ग्राम पंचायत विकास योजना तैयार करने का मुख्य उद्देश्य स्थानीय लोगों की वास्तविक जरूरतों/समस्याओं का आकलन करके उन्हें दूर करने के लिए आवश्यक तरीकों की पहचान करना है। ग्राम पंचायत विभिन्न कार्यक्रमों अभिसरण (converge) के माध्यम जैसे- मनरेगा के माध्यम से आजीविका सामाजिक एवं खाद्य सुरक्षा के मुद्दों के अलावा विभिन्न कानूनों के तहत गरीबों के हक़ को संरक्षित करना शामिल है।
- मानव विकास- ग्राम पंचायत विकास योजना में साक्षरता, शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास एवं पोषण इत्यादि से सम्बंधित घटक होने चाहिए। आंगनबाड़ी केंद्र, विद्यालय एवं स्वास्थ्य केंद्र के माध्यम से मानव विकास सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार एवं उन तक पहुँच बढ़ाने के लिए ध्यान केन्द्रित किया जाता है।
- सामाजिक विकास- ग्राम पंचायत विकास योजना का उद्देश्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति जैसे कमजोर और हाशिये पर रहने वाले समूहों, अल्पसंख्यकों, विकलांग लोगों, बुजुर्गों, महिलाओं, बाल बंधुआ मजदूरों, बाल मजदूरों, गैर-अधिसूचित जनजातियों और खानाबदोशों, संकटग्रस्त प्रवासियों, हाथ से मैला ढोने वालों के विकास हेतु सुधार करना है।
- आर्थिक विकास- आर्थिक विकास के लिए, ग्राम पंचायत को उन गतिविधियों को अपनाना चाहिए जो प्राथमिक उत्पादकता जैसे पशुधन विकास, बागवानी विकास, मत्स्य पालन, भूमि विकास और लघु सिंचाई आदि के तहत बुनियादी ढांचा तैयार करके स्थानीय उत्पादकता को बढ़ाएंगे।
- पर्यावरण विकास- ग्राम पंचायत विकास योजना के तहत होने वाली सभी गतिविधियां पर्यावरण के अनुकूल और जैव विविधता को बढ़ाने वाली होनी चाहिए। इसलिए ग्राम पंचायत को विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों जैसे जल निकायों, चरागाहों, घास भूमि आदि का रखरखाव अधिक बढ़ाना चाहिए।
- सार्वजनिक सेवा वितरण- ग्राम पंचायत विकास योजना में सेवा वितरण की गुणवत्ता और मौजूदा ग्राम पंचायत परिसंपत्तियों के उचित रखरखाव और उपयोग पर अधिक ध्यान देना चाहिए। स्थानीय सार्वजनिक सेवाओं में सुधार जैसे प्रमाण पत्र जारी करना, जन्म और मृत्यु का पंजीकरण, लाइसेंस जारी करना / परमिट और सामाजिक सुरक्षा पेंशन को विशेष प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ग्राम पंचायत स्तर पर सेवाओं के ई-वितरण पर ज़ोर देना चाहिए।
- बुनियादी ढांचे का विकास- ग्राम पंचायत को बुनियादी ढांचे के अंतर अथवा कमी का पता करना चाहिए। ग्राम पंचायत के अंतर्गत जो भी गाँव या बस्तियां सड़क से वंचित हैं, उन्हें सूचिबद्ध करना।
- सुशासन- शासन के मामले में, अक्षमता के कारणों जैसे निष्फलता, देरी, भ्रष्टाचार तथा अन्य कारणों को दूर करने पर बल देना आवश्यक है। प्रभावी सार्वजनिक सेवा वितरण के लिए, ग्राम पंचायत के बजट और व्यय की पारदर्शिता और सक्रिय प्रकटीकरण और समुदाय आधारित निगरानी पर बल देने की आवश्यकता है।
पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में ग्राम पंचायत विकास योजना के लिए विशेष प्रक्रिया एवं फोकस:
क्षेत्र में सभी विकास कार्यक्रमों की योजना और कार्यान्वयन के उद्देश्य से अनुसूचित क्षेत्रों के लिए पंचायतों का विस्तार अनुसूचित क्षेत्र अधिनियम 1996 (PESA) ग्राम सभाओं के माध्यम से स्थानीय समुदायों के सशक्तिकरण की वकालत करता है। ग्राम पंचायत विकास योजना के निर्माण के अंतर्गत इस तरह के विशेष क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए योजना तैयार करना आवश्यक है।
बिहार में कुल 8387 पंचायत है तथा पंचायतों द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए ग्राम पंचायत विकास योजना तैयार किया गया है। आपके पंचायत के योजना मद में क्या चीजें रखी गयी हैं, यह सब आप भी विस्तृत रूप देख सकते है। यह सब आप ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार की वेबसाइट पर देख सकते हैं। यदि आप अपनी पंचायत की अनुमोदित ग्राम पंचायत विकास योजना को देखना चाहते हैं तो आप इस निम्न प्रक्रिया के माध्यम से देख सकते हैं।
- सबसे पहले आपको https://egramswaraj.gov.in/ के वेबसाइट पर जाना होगा।
- वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए अनुमोदित ग्राम पंचायत विकास योजना देखना चाहते हैं तो आप अपने राज्य का चयन कीजिये।
- राज्य – जिला पंचायत – ब्लॉक पंचायत तथा ग्राम पंचायत, आप जिस भी स्तर की पंचायत की ग्राम विकास योजना देखना चाहते हैं तो आप ऊपर दिए गए लिंक के माध्यम से आसानी से देख सकते हैं।
भारत के 2.5 लाख पंचायतों में से 240 पंचायतों को नई दिल्ली में केंद्रीय पंचायती राज मंत्री द्वारा राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2019 प्रदान किया गया। पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए केन्द्रीय मंत्री ने आह्वान किया कि ग्राम पंचायतों और सरपंचों को उन्हें प्रदान की गई शक्तियों का पूरा उपयोग करना चाहिए तथा सभी पंचायतों को अपनी विकास योजनाएं बनानी चाहिए ताकि सरकारी कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन किया जा सके।
तो इस तरह से हमने अभी तक यह तो जान लिया कि ग्राम पंचायत विकास योजना लोगों के सर्वांगीण विकास के लिए बेहद जरुरी है लेकिन अक्सर यह देखने को मिलता है कि लोग इस तरह की प्रक्रियाओं में अपनी भागीदारी नहीं निभाते। इस वजह से कुछ ही लोगों के द्वारा योजना तैयार कर ली जाती है। एक जागरूक नागरिक होने के नाते हमें यह समझना बेहद जरूरी है कि सरकार ने जो भी संस्थागत व्यवस्थाएं बनायी हैं, उनका हमें इस्तेमाल करना चाहिए ताकि जमीनी स्तर की जरूरतों का बेहतर आकलन हो पाए। अत: यह कहना गलत नहीं होगा कि देश का सर्वांगीण विकास, ग्रामीण विकास से ही संभव है।