सरकारी प्रक्रियाओं की समझ होना ज़रूरी है!

‘हम और हमारी सरकार’ कोर्स एक ऐसा कोर्स है, जो बताता है कि आख़िर सरकार के तीनों स्तर यानी केंद्र, राज्य एवं स्थानीय स्तर किस तरह से कार्य करते हैं तथा किस तरह से सरकार का पूरा सिस्टम एक साथ काम करता है।

पिछले कुछ सालों से हम शासन-प्रशासन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों को अलग-अलग राज्यों में कार्य कर रही विभिन्न  संस्थाओं के साथ साझा करते आ रहे हैं। इस तरह से हमारा एक बड़ा परिवार बन चूका है जहाँ हमें भी बहुत सी संस्थाओं के बहुआयामी साथियों के साथ मिलने का अवसर मिला। ऐसे साथी जो चाहते हैं कि सिस्टम में बदलाव आये, जो चाहते हैं कि सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ जल्द से जल्द उनके मूल लाभार्थियों तक पहुंचे।

इस कोर्स से अलग-अलग राज्यों में सफलता की कई कहानियां निकलकर आई हैं। ऐसी ही एक कहानी हम आपके साथ साझा करना चाहते हैं।

सरिता देवी  बिहार की रहने वाली हैं और वह पिछले 5 सालों से जनप्रतिनिधि के रूप में अपने गाँव में सेवाएं देती आ रही हैं। सरिता अपने गाँव की वार्ड सदस्या हैं और साथ ही वह एक संस्था के साथ भी जुड़ी हुई हैं जो बिहार में पंचायतों के साथ मिलकर जनप्रतिनिधियों के कौशल विकास तथा सामाजिक सुरक्षा पर कार्य करती हैं।

सरिता जिस गाँव से आती हैं वह शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पानी इत्यादि क्षेत्रों में काफी पिछड़ा हुआ है । इसलिए सरिता चाहती थीं कि वह किसी तरह अपने गाँव का विकास कर पाए। वह निरंतरअपनी पंचायत के मुखिया और पंचायत सचिव से बातचीत करती रहती थी ताकि उनके सहयोग से गाँव में विकास हो। वह बार–बार अपनी पंचायत से अनेकों सवाल करती थीं, जैसे कि

“पंचायत में जो सरकार के द्वारा पैसा भेजा जाता है उसका क्या हो रहा है, तथा उस पैसे से मेरे गाँव की समस्या क्यों दूर नहीं हो रही है? बिहार में  जो सात निश्चय कार्यक्रम हमारे मुख्यमंत्री द्वारा चलाया जा रहा है, जिसमें हम सुने हैं कि काफी पैसा पंचायत को दिया गया है तो  हमारी पंचायत में कोई भी विकास कार्य क्यों  नहीं हो रहे हैं?”

इस तरह के कई सवाल सरिता मुखिया और पंचायत सचिव से पूछा करती थी और हमेशा जवाब यही मिलता था की पंचायत में पैसा बहुत कम आता है जिसके कारण गाँव का विकास संभव नहीं है।

एक दिन की बात है, सरिता जिस संस्था से जुड़कर काम कर रही थीं, उसके जिला समन्वयक ने उन्हें हम और हमारी सरकार’ कोर्स में जाने का निमंत्रण दिया। सरिता ने इसे स्वीकार किया और यह कोर्स पटना में जाकर किया। कोर्स में इन्हें काफी महत्वपूर्ण चीजें बतायी गयीं जैसे सरकार कैसे चलती है, सरकार में कौन क्या कार्य करता है, सरकार की वितीय व्यवस्था किस तरह से चलती है यानी केंद्र व राज्य से पैसा किस तरह से नीचे स्थानीय स्तर पर पहुँचता है इत्यादि।

कोर्स के माध्यम से यह जानकारी मिलने के बाद सरिता ने सोचा कि क्यों न अब इसका इस्तेमाल अपनी पंचायत में जाकर किया जाए। अब वह मुखिया और पंचायत सचिव से जवाब मांगते समय इस बात पर ज़ोर डालने लगीं की उन्हें मालूम है की सरकार का पैसा किस तरह से पंचायतों के पास आता है और कहाँ-कहाँ से आता है। वह अपनी पंचायत में आने वाले तथा खर्च किये पैसे का हिसाब मांगने लगी।

मुखिया और पंचायत सचिव शुरू ने शुरू में थोड़ा बहुत आनाकानी कि लेकिन वह जल्द ही समझ गए की सरिता को सरकारी प्रक्रियाओं की पक्की समझ हो चुकी है और अब पंचायत किसी भी जानकारी को केवल अपने तक ही सीमित नहीं रख सकती। आज सरिता द्वारा उठाये गए मुद्दों के कारण उनके गाँव में विकास हो रहा है। अब पंचायत में भी इस तरह का माहौल बनना शुरू हो चुका है जहाँ मुखिया और पंचायत सचिव अब पंचायत के हर पैसा का हिसाब देते हैं।

यह कहानी आपसे साझा करने का मकसद बस यही था कि चाहे हम विभिन्न संस्थाओं में अपनी सेवायें दे रहे कार्यकर्ता हों, छात्र हों या फिर पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि, हमें पहले यह सुनिश्चित करना होगा की हम सरकार और उसके तंत्र को भली-भांति समझ लें। जब हमारा ज्ञान और क्षमता बढ़ेगी तो निःसंदेह हम सेवा वितरण को और  बेहतर करने में  सक्षम हो पाएंगे।

 

उदय शंकर अकाउंटेबिलिटी इनिशिटिव में वरिष्ठ पैसा एसोसिएट के पद पर कार्यरत हैं।