हमें अपनी गलतियों पर नियमित काम करना होगा!

नमस्ते साथियों! आशा करता हूँ कि आप सभी साथी पूरी तरह से स्वस्थ होंगे! मेरा नाम आनन्द सैनी है और मैं जिला अलवर, राजस्थान का रहने वाला हूँ। मैं पिछले दो वर्षों से इब्तिदा नाम की संस्था में महिला अधिकार कार्यक्रम से जुड़ा हूँ। इस कार्यक्रम के तहत गाँव की महिलाओं के समूहों में ही बैठकर उनकी समस्याओं का निस्तारण करना व उनके हक व अधिकारों के प्रति उन्हें जागरूक करना होता है। महिला अधिकार कार्यक्रम के तहत महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति तैयार करके उन्हें प्रत्येक योजना की पूरी जानकारी देकर पात्रता लाभ और आवेदन प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया जाता है। इसके साथ ही यदि योजना का लाभ ना मिले तो उस स्थिति में किस तरह के कदम उठाये जाने चाहिए, इसको लेकर भी उन्हें सशक्त किया जाता है।

संस्था द्वारा मेरे अंदर कार्य की समझ और सामाजिक क्षेत्र में अच्छी पकड़ को देखते हुए मुझे समाज से जुड़ी योजनाऐं जैसे बीपीएल, आवास योजना व सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना का कार्यभार दिया गया। इस दौरान मुझे पंचायत समिति में कार्य करने के साथ-साथ समाज में चल रहे कार्यक्रम व अन्य योजनाओं की जानकारी ग्रहण करने का मौका मिला। कोविड-19 का यह दौर हम सभी के लिए बहुत मुश्किल भरा रहा है लेकिन अब हमें इसके साथ जीना सीखना होगा बल्कि मुझे लगता है कि हमें भविष्य में भी अपने आपको इस तरह से तैयार करना होगा ताकि हम हर स्थिति में अपने काम को जारी रख पाएं । 

कुछ ऐसे अनुभव हैं जो मैंने इस कोविड के दौरान महसूस किये हैं जिन्हें मैं आप सभी के साथ साझा कर रहा हूँ । 

  • हम आप जैसे कई सारे साथी संस्थाओं में काम करते हैं, इस नाते हम ज्यादातर फील्ड में रहते हैं। लेकिन इस दौर में मजबूरीवश हमने तकनीक के प्रयोग को सीखा और यह अनुभव किया कि यह हमारे काम को काफी हद तक सरल बनाने में अपनी भूमिका निभा रही है। अतः मुझे लगता है कि हमें नयी-नयी तकनीक को सीखना होगा तथा ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जहाँ हम एक दुसरे से यह सब समय-समय पर सीखते रहें।
  • किसी भी विकसित समाज में महिलाओं की भूमिका बहुत अहम होती है और कोविड में भी हमने देखा की महिलाओं ने हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज की है तथा ज्यादा से ज्यादा लोगों तक राहत पहुँचाने में अपना रोल निभाया है। इसलिए मेरा मानना है कि कोई भी योजना तब तक सफल नहीं हो सकती जब तक महिलाओं की उसमें भागीदारी न हो। समाज को जागरूक करने में महिलायें पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा सक्रीय देखने को मिलती हैं। वह चाहे अपने घर की बात हो या फिर गाँव या पंचायत की, हर जगह महिलाएं एक दुसरे को जागरूक करने में आगे रहती हैं। इसलिए बस यह ज़रूरी है कि उन तक सही जानकारी समय पर पहुंचे तथा उसके लिए जो भी आवश्यक संसाधन हों, उन्हें वे दिए जायें।
  • पंचायत किसी भी योजना को कार्यान्वयन करने की प्रमुख एजेंसी होती है इसलिए यह ज़रूरी है कि पंचायत कार्यालय समय पर खुले। पंचायत के अधिकारी व् प्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारी तय करें तथा ऐसा माहौल तैयार करें जहाँ नागरिक बढ़-चढ़ कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर पाएं। अक्सर देखने को मिलता है कि जब पंचायत में आम सभा की बैठक होती है तो वहां पर हुई कार्यवाही को उपस्थित लोगों के साथ साझा नहीं किया जाता। अतः मेरा मानना है कि जो भी प्रक्रिया बैठक में हो वह सभी के साथ साझा की जाए जिससे हर कोई अपनी राय भी प्रकट कर पाए और साथ ही सभी को मालुम हो की हम आगे किस दिशा की तरफ बढ़ रहे हैं। पंचायत स्तर पर लोगों को जितनी सरल और पारदर्शी जानकारी प्राप्त होगी, लोग उतना अधिक योजनाओं का लाभ ले पायेंगे अन्यथा देखने को मिलता है कि अधिकतर लोग इस वजह से भी लाभ नहीं ले पाते क्योंकि उन्हें मालुम ही नहीं होता की किसी योजना का लाभ किस तरह से लेना है ।

अतः मेरा मानना है कि कोई भी बुरा समय कुछ न कुछ सीख अपने साथ लेकर अवश्य आता है इसलिए मेरी कोशिश यही रहेगी की जो अनुभव मैंने किये हैं उनसे ज़रूर सीखकर आगे बढूँ । अंततः अब नागरिक के तौर पर हमें ही यह तय करना होगा कि क्या हम सीखते हुए अपनी गलतियों में सुधार करें हैं या फिर वापिस वैसे ही आगे बढ़ते जाएँ?