हमें शिक्षा को नए स्वरुप में ढालना होगा!

नमस्ते! मेरा नाम उम्मेद सिंह है और मैं मंथन संस्था कोटड़ी, अजमेर से जुड़कर कार्य कर रहा हूँ। मैंने पिछले 13 वर्षों में अलग-अलग संस्थाओं के साथ जुड़कर काम किया है तथा बहुत सारा अलग-अलग अनुभव प्राप्त किया है। इस दौरान मैंने सामाजिक विकास के मुद्दे जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, रोज़गार, महिला सशक्तिकरण और अभी कोविड-19 राहत व जागरूकता पर विभिन्न कार्य किये हैं। 

वर्तमान में मेरा कार्य ऐसे बच्चों को शिक्षा से जोड़ना रहा है जो किसी विशेष परिस्थितियों की वजह से मुख्य धारा से नहीं जुड़ पाते हैं। हमारी संस्था सरकार, स्थानीय प्रशासन, पंचायतीराज, विभिन्न गैर सरकारी संगठनों, ग्रामीण समुदायों के साथ मिलकर काम करती आई है व अनवरत लोगों की बेहतर जिंदगी के लिए प्रयास कर रही है। 

शिक्षा की जब बात आती है तो मुझे लगता है इस क्षेत्र को नए स्वरुप में ढालने की ज़रूरत है। लेकिन इस बात का यह कतई अर्थ नहीं है की शिक्षा में प्रयोग किये जाएँ क्योंकि इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि इसका सीधा असर बच्चों पर पड़ेगा।

हालांकि मेरे अनुसार कुछ-कुछ चीजें हैं जिन पर ध्यान दिया जा सकता है।

मसलन, स्कूल में बच्चों का 6 घंटे बीताने वाला समय तो मुझे समझ आता है जो वाकई ज़रूरी भी है लेकिन जो शिक्षा को वितरण करने की परम्परागत व्यवस्था है, उसमें निश्चित तौर पर बदलाव होना चाहिए।

अगर आप सोचें तो हम पिछले कई वर्षों से देखते आ रहे हैं कि गणित, हिंदी, अंग्रेजी जैसे अन्य पाठ्यक्रमों में निर्धारित पाठ होते हैं तथा शिक्षा व्यवस्था के अनुसार बच्चा जब उन पाठों को याद करके परीक्षा पास कर लेता है तो तभी उसको सफल घोषित किया जाता है। 

लेकिन अगर बच्चे में कुछ अन्य प्रतिभा है तो हमारी शिक्षा व्यवस्था में उसको मापने का कोई पैमाना नहीं है जिससे प्रोत्साहित करके बच्चे को आगे बढ़ाया जाए। ये शायद हम सभी स्वीकार करेंगे कि सभी बच्चे बहुत प्रतिभावान होते हैं, बस ज़रूरत होती है कि कैसे उनकी प्रतिभा को सामने लाया जाये। तो इसलिए मुझे लगता है कि शिक्षा में बच्चों के हुनर का भी आकलन किया जाना चाहिए क्योंकि अभी तक ये देखने को मिलता है कि बच्चों को भारी-भरकम पाठ्यक्रम का कहीं न कहीं दबाव बना रहता है। इस वजह से वे खुद को सही से अभिव्यक्त नहीं कर पाते।

अगर प्रारंभिक शिक्षा की बात की जाए तो वह अभी भी डिजिटल शिक्षा से काफी दूर है। मुझे लगता है कि शिक्षा को तकनीक से जोड़ना बेहद ज़रूरी है तथा साथ ही इसे जल्द से जल्द सिस्टम में शामिल किया जाना चाहिए। इससे बच्चे न केवल पाठ्यक्रमों से दूर भागेंगे बल्कि आनंद के साथ इसमें अपनी भागीदारी निभायेंगे। 

हालांकि सरकार द्वारा शिक्षा को लेकर नवाचार किये जा रहे हैं और बल्कि नई शिक्षा नीति में भी काफी सारी नयी व्यवस्थाओं को शामिल करने की बात कही गयी है। लेकिन इसका प्रभाव ज़मीनी स्तर पर वास्तविक रूप में कब दिखेगा, यह अभी भी हमारे सामने बड़ा सवाल है!