हम सभी को मिलकर महिलाओं तथा बच्चों को सशक्त करना होगा!
मेरा नाम गोकुल प्रसाद प्रजापति है और मैं टीकमगढ़ जिले का रहने वाला हूँ। मैंने मास्टर ऑफ़ सोशल वर्क किया है। मैं अभी ग्रामीण स्वावलम्बन समिति टीकमगढ़ में चल रहे एजुकेशन सपोर्ट टू चिल्ड्रेन ऑफ़ दलित कम्युनिटी प्रोग्राम मैं प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर के पद पर कार्यरत हूँ।
ग्रामीण स्वावलंबन समिति (GSS) एक गैर सरकारी संस्था है, जो मध्यप्रदेश सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत है एवं मध्यप्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड में सघन रूप से कार्य किया जा रहा है। समिति समाज में किसी भी प्रकार की जाति, भाषा, लिंग या धर्म के आधार पर भेदभाव किए बगैर समाज के कमज़ोर, शोषित वर्गों की महिलाओं, बच्चों, प्रवासी मजदूरों के लिए केन्द्रित विकास की प्रक्रिया में अपनी भूमिका देखती है तथा लोक केन्द्रित विकास की अवधारणा में भरोसा करती है। समिति की सहभागी विकास एवं स्वयं निर्णय की प्रक्रिया से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में प्रयासरत है।
ग्रामीण स्वावलम्बन समिति निम्न क्षेत्रों में कार्य करती है:
- बच्चों की शिक्षा
- महिला सशक्तिकरण
- पलायन मजदूर सशक्तिकरण
- बच्चों के साथ हो रहे लैंगिक अपराधों से संरक्षण एवं सुरक्षा तथा पुनर्वास व हिंसा रोकथाम व लैंगिक भेदभाव।
- युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देना।
- भूमि अधिकार
ग्रामीण स्वावलंबन समिति ने कोरोना काल में सरकार के साथ मिलकर टीकमगढ़ जिले के लगभग 200 गांवो में कोरोना रोकथाम अभियान किया। इसमें सामाजिक दूरी बनाए रखना, मास्क पहनना, हाथों को बार-बार सेनेटाईज़ करना एवं आवश्यकतानुसार ही घर से बाहर निकलना आदि के लिए लोगों को जागरूक किया। जब वैक्सीनशन होने लगा तो सरकार के साथ मिलकर जिला टीकमगढ़ में लगभग 150 गांवों में ग्रामीण लोगों को जागरूक करने के लिए वैक्सीनशन रथ यात्रा निकाली। शुरुआत में तो जिला प्रशासन सहयोग नहीं कर रहा था, लेकिन उन्होंने देखा कि ये संस्था फील्ड पर लोगों को कोरोना रोकथाम के लिए जागरूक कर रही है। इस तरह उन्होंने आगे चल कर वैक्सीनशन जागरूकता रथ यात्रा में मिलकर काम करने का कहा, जो हमारी संस्था के लिए काफी अच्छा रहा।
कोरोना महामारी काल हर किसी के लिए बेहद मुश्किल भरा रहा है। अगर अपनी बात करूँ तो मुझे लगता है कि सरकार के साथ-साथ हम सभी को मिलकर महिलाओं एवं बच्चों को और भी अधिक सशक्त करना होगा। कोरोना की वजह से ख़ास तौर पर ग्रामीण अंचल के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा पर गहरा असर पड़ा है।
- गांव में ऐसे अभिभावक हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी है कि वह अपने बच्चों को ऑनलाइन अध्ययन हेतु एंड्राइड मोबाइल खरीद सकें।
- ऑनलाइन स्टडी वाले अध्ययन ग्रुप में तो उन्हें जोड़ दिया गया, पर समूह के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी कि यह व्हाट्स एप्प समूह किस उद्देश्य के लिए बनाया गया है।
- बहुत सारे अभिभावक इतने सक्षम नहीं है कि वे भेजे गए स्टडी मटेरियल को बच्चों बता सकें।
- जिनके पास मोबाइल उपलध थे, उनके बच्चों ने भी उनक इस्तेमाल सबसे ज्यादा वीडियो गेम, कार्टून आदि देखने में किया। इस वजह से ग्रामीण सरकारी स्कूल के बच्चों को सबसे ज्यादा शिक्षा में नुकसान हुआ।
वहीं अगर महिलाओं की बात करूँ तो आज भी इतने वर्षों के बाद वे खुद को उतना सशक्त नहीं कर पायीं जितना उन्हें होना चाहिए था। मैं खास तौर पर ग्रामीण परिवेश में रहने वाली महिलाओं की बात कर रहा हूँ। समय के बदलते दौर में वे अभी भी खुद से संघर्ष कर रही हैं। यदि परिवार में पढ़ी-लिखी महिला है तो उस परिवार वह मान सम्मान की नज़र से देखा जाता है परन्तु ऐसा न होने की स्थिति में महिलाओं की शासकीय एवं गैर शासकीय संस्थाओं तक पहुंच बनाना बेहद कठिन हो जाता है।
मैंने व्यक्तिगत तौर पर यह अनुभव किया है कि जब आप महिला को सशक्त एवं जागरूक करो तो वह न केवल अपने घर परिवार को बल्कि अपने आस-पास भी लोगों को बढ़कर जागरूक करने का काम करती हैं।
इसलिए सरकार को चाहिए कि वह समाज के ऐसे तबकों की पहचान करे तथा उनके लिए विशेष कार्यक्रम चलाये। केवल कार्यक्रम/योजना चलाना काफी नहीं है, इसके लिए जरुरी है कि उनका समय-समय पर निरिक्षण व मूल्याङ्कन भी हो ताकि जो भी कमियां हों उन पर तुरंत कार्यवाही हो पाए।
एक संस्था के तौर पर यदि आप सरकार के साथ काम करते हैं या करना चाहते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है:
- आप जिस कार्य को सरकार के साथ मिलकर कर रहें हैं, उस कार्य की अच्छी समझ होना बहुत जरूरी है।
- विश्वास बनाये रखना अर्थात आप जब सरकार के साथ सामाजिक विकास के लिए कार्य करें, तो पूरी जिम्मेदारी और सामाजिक भाव से करें।
- सरकार के नियमों एवं गाइडलाइन का पालन करें।
- किये गए कार्य की रिपोर्ट एक व्यवस्थित रिपोर्ट बना कर सरकार को दें तथा समय-समय पर सरकार के साथ अपने नियमित कार्यों का ब्यौरा साझा करें। उनकी यथासंभव फील्ड विज़िट जरुर करवाएं, जिससे वे निश्चित तौर पर प्रभावित होते हैं।
अंत में यही कहना चाहूँगा कि सरकार के साथ-साथ हम सभी को मिलकर महिलाओं तथा बच्चों को और भी अधिक सशक्त करना चाहिए क्योंकि ये हमारे समाज का एक बेहद महत्वपूर्ण अंग हैं। सरकार को अपने स्तर पर यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि जो भी योजनायें/कार्यक्रम ख़ास तबकों के लिए चलाये जाते हैं, उनका समय-समय पर उन्नयन भी किया जाए।