फील्ड के तरीके: सहकारी समितियां

आपने कभी ये तो ज़रुर सोचा होगा कि अपनी ग्राम पंचायत में एक बड़ा डेयरी फार्म होता तो यहीं के लोगों को स्थानीय स्तर पर ही अपनी आजीविका का बेहतर संसाधन प्राप्त हो जाता। अगर यहीं पर किसानों के लिए सस्ता तथा सुलभ बीज, खाद एवं कृषि उपकरणों के लिए कोई केंद्र होता तो कितना लाभ होता।

हम जानते हैं की आपके दिमाग में अपने क्षेत्र में व्यवसायिक एवं आर्थिक विकास की गतिविधियाँ स्थापित करने के कई ऐसे विचार आते होंगे लेकिन आप यह भी जानते हैं कि यह सब अकेले कर पाना मुश्किल है।

अब ऐसे में आप क्या करेंगे? 

तो आईये कुछ सरकारी और संवैधानिक समाधान समझने की कोशिश करते हैं:

‘सहकार’ कितना सरल शब्द है न! इसका अर्थ है ‘मिलकर कार्य करना’ यानी जब काम अकेले व्यक्ति से न हो पाए तो समान उद्देश्य के लिए एक समिति बनाकर कार्य करना। जिसमें इससे जुड़े सदस्यों की किसी न किसी रूप में भागीदारी हो, सहकारिता कहलाता है। इन्हीं समितियों को सहकारी समितियां कहते हैं। 

भारत के संविधान के भाग 9 (ख) के अनुच्छेद 243 में सहकारिता का प्रावधान किया गया है। आज लगभग सभी राज्यों के अपने सहकारी विभाग हैं। इन सहकारी समितियों को सरकार द्वारा वित्त, कौशल, मार्गदर्शन जैसी कई अहम सहायता व सुविधायें मिलती हैं। यदि आपको अपने क्षेत्र ने सहकारी समिति बनानी है तो पहले इनके स्थापित विधि एवं मापदंडो को पहले समझना होगा।

इन समितियों को उनके सेवा क्षेत्रों के आधार पर वर्गीकृत किया है –

सहकारी समितियों के प्रकार –

उपभोक्ता सहकारी समितियां:

ये समितियों उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के उद्देश्य से बनाई गई हैं जो सीधे उत्पादकों व निर्माताओं से माल खरीद कर वितरण प्रक्रियाओं में मध्यस्थों को समाप्त करती हैं। इस प्रकार वस्तुएं सीधे उत्पादकों से उपभोक्ताओं तक कम मूल्य में पहुंच जाती हैं। उदाहरण के तौर पर जैसे केंद्रीय भंडार व राज्य भंडार इत्यादि।

उत्पादक सहकारी समितियां:

ये समितियां लघु व छोटे उद्योगों के उत्पादकों के लिए कच्चा माल, मशीनरीज़, उपकरण आदि की आपूर्ति करके उनकी मदद करती हैं। उदाहरणतः बीज-मसाले केंद्र, तिलहन उत्पादक संघ, राजस्थान हैंडलूम आदि।

सहकारी विपणन समितियां:

ये समितियां छोटे उत्पादक व निर्माताओं से मिलकर बनती हैं जो स्वयं अपने उत्पाद को बेच नहीं सकते। सहकारी समितियाँ इन सभी सदस्यों से माल एकत्र करके उसे बाजार में बेचने का उत्तरदायित्व लेती हैं। उदाहरण के लिए मध्य प्रदेश राज्य सहकारी पावरलूम बुनकर संघ मर्या., बुरहानपुर,अमूल दूध, सांची दूध इत्यादि।

सहकारी वित्तीय समितियां:

इस प्रकार की सहकारी समितियाँ अपने सहायकों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराती हैं। समिति सदस्यों व पंजीकृत होने की दशा में राज्य सरकार से पूंजी एकत्रित कर ज़रूरत के समय उचित ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करवाती हैं। जैसे ग्राम सेवा सहकारी समिति व सहकारी समिति आदि।

सामूहिक आवास समितियां:

ये आवास समितियां अपने सदस्यों को आवासीय मकान उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बनाई जाती हैं। ये समितियां भूमि क्रय करके मकान व प्लाट की व्यवस्था करती हैं तथा उनका आवंटन अपने सदस्यों को करती हैं।    

अब सवाल यह है कि आप इनसे किस तरह से जुड़ सकते हैं?

वर्तमान समय में राज्यवार ऐसे ऑनलाइन माध्यम विकसित हो गये हैं जिनसे आप न केवल अपने क्षेत्र में कार्यरत सहकारी संस्थाओं के बारे में जान सकते हैं बल्कि यहीं से इनके लिए आवेदन आदि भी कर सकते हैं। चलिये कुछ राज्यों का उदाहरण लेते हुए और समझते हैं:

राजस्थान – राजस्थान का भी अपना सहकारिता विभाग है। यहाँ से आप ऑनलाइन अपने राज्य की वेबसाइट पर जाकर आप अपने राज्य में कार्यरत उच्च स्तर की सहकारी समितियों के बारे जान सकते हैं तथा यहाँ से नये आवेदन कर सकते हैं। वहीं अगर आप जिलावार एवं शहरी से लेकर ग्राम पंचायत तक कार्यरत समितियों के बारे में सूचनायें चाहते हैं, तो यहाँ से जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं। यदि आपने पहले से आवेदन किया है तो यहाँ से जानकारी ले सकते हैं।

हिमाचल प्रदेश –  हिमाचल प्रदेश का अपना सहकारिता विभाग है। यहाँ से आप ऑनलाइन अपने राज्य की वेबसाइट पर जाकर आप अपने राज्य में कार्यरत उच्च स्तर की सहकारी समितियों के बारे जान सकते हैं, जिनके उत्पाद शायद आप भी उपभोग करते हों तथा आप यहाँ से नये आवेदन कर सकते हैं। वहीं अगर आप अपने आसपास कार्यरत छोटी- छोटी पंजीकृत समितियों और उनके सम्पर्क चाहते हैं तो यहाँ से ये जानकारियां ले सकते हैं। 

मध्य प्रदेश- मध्यप्रदेश का भी अन्य राज्यों की तरह अपना सहकारिता विभाग है। यहाँ से आप ऑनलाइन माध्यम से अपने राज्य की वेबसाइट पर जाकर राज्य में कार्यरत उच्च स्तर की सहकारी समितियों, योजनाओं, विभागीय सरंचना आदि के बारे जान सकते हैं तथा यहाँ से नये आवेदन भी कर सकते हैं। यदि आप अपने आसपास कार्यरत समितियों के बारे में उनके सेवाक्षेत्र के अनुसार जानना चाहते हैं तो यहाँ से ये जानकारियां ले सकते है। यदि प्रदेश के लिए जानकारी चाहते हैं, तो यहाँ से जान सकते हैं।

बिहार –  बिहार के सहकारिता विभाग ने अपने कार्यक्रमों को ऑनलाइन लाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। आप यहाँ से बिहार सहकारिता विभाग की वेबसाइट पर जा सकते हैं। आप इसके माध्यम से स्थानीय स्तर की समितियों के लिए आवेदन कर सकते हैं जिन्हें पैक्स कहा जाता है। इसी विभाग ने बिहार राज्य फसल सहायता योजना चलाई हैं जिसके लिए आप उपयुक्त ग्राम पंचायतों को फसलवार जानकारी देख सकते हैं। इस पोर्टल से भी आप सदस्यता के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिसे सबमिट करने के बाद आपको स्थानीय स्तर पर इससे सम्बंधित विभाग में सत्यापित करवाना होगा।    

साथियों, इस माह 2 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय सहकार दिवस मनाया गया है, कई राज्य सरकारों ने इसे सहकार सप्ताह के रूप में भी मनाया है। हमें लगा की ई-शासन की हमारी प्रस्तुतियों में सहकारिता के विषय को भी जोड़ा जाए और आपको इसके बारे में बताया जाए।

 

आपको यह अंक कैसा लगा! आप सहकारी समितियों से जुड़े अपने अनुभव तथा सवाल हमसे साझा कर सकते हैं। सहकारिता समितियों से जुड़ने पर सरकार की योजनाओं से मिलने वाले लाभ, शासन व्यवस्था आदि के बारे में यदि आप और जानना चाहते हैं तो हमें अवश्य लिखें। यदि इस पर हमें आपकी ओर से आपके सवाल और सुझाव प्राप्त होते हैं तो हम इस अंक को आगे और बढ़ाएंगे ताकि आप ऐसी सूचनाओं के माध्यम से और भी सशक्त हो पाएं।

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