राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस

हर वर्ष 21 अप्रैल को हम राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस मनाते हैं और हर कोई जानता है कि सिविल सेवकों का देश को चलाने में बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सिविल सेवकों के योगदान को देखते हुए इस दिन की शुरुआत पहली बार वर्ष 2006 से की गई। सिविल सेवकों से तात्पर्य अधिकारियों का वह समूह है जो सरकारी कार्यक्रमों व योजनाओं को क्रियान्वयन करने का काम करते हैं, यानी लोक प्रशासन की कोई भी गतिविधि सिविल सेवकों के माध्यम से ही की जाती है। 

भारत में सिविल सेवा के वर्तमान ढांचे की शुरुआत लार्ड कार्नवालिस द्वारा की गई थी। स्वतंत्रता के बाद भारतीय सिविल सेवाओं को भारतीय लोकतंत्र एवं उसके कल्याणकारी आदर्शों को लागू को करने का साधन बनाया गया। आज भारतीय सिविल सेवाओं के रूप में सेवक सरकार के तीनों स्तरों पर अपनी जिम्मेदारियां निभाते हैं। केंद्रीय स्तर पर विभिन्न विभागों के सचिव, मुख्य सचिव, भारतीय रेल, आयकर सेवा, पुलिस सेवा, राजनयिक सेवा, वाणिज्यिक सेवा, भारतीय वन सेवा के तौर पर अपनी सेवायें देते हैं। 

राज्य स्तर पर भारतीय सिविल सेवक महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करते हैं जैसे विभिन्न विभागों के सचिव, निदेशक और आयुक्त इसके अलावा राज्य प्रशासन के अपने सिविल सेवक भी होते हैं जो राज्य प्रशासनिक सेवाओं से चयनित होकर राज्य में प्रशासन चलाने में अपनी भूमिका निभाते हैं । राज्य में सिविल सेवकों के रूप में मुख्यतः राज्य तहसीलदार सेवा, अभियांत्रिकीय सेवा, राज्य पुलिस सेवा, वन सेवा और न्यायिक सेवा आदि सम्मिलित होते हैं। 

वहीं स्थानीय स्तर पर भी इस तरह के अधिकारी अपनी सेवाएँ देते हैं जैसे पंचायत सचिव, महिला एवं बाल विकास अधिकारी, तहसीलदार, सहायक अभियंता एवं बिजली, पानी निर्माण इत्यादि। केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाओं को बनाने एवं उन्हें ज़मीनी स्तर तक पहुंचाने में इन सिविल सेवकों का अहम योगदान होता है। जनता के बीच सरकार के कामकाज की सराहना के पीछे भी इन्हीं अफसरों की दूरगामी नीतियाँ होती है। 

किसी भी जिला में जिला कलेक्टर के तौर पर अधिकारी सभी विभागों के प्रमुख होते हैं। नागरिक किसी भी विभाग से जुड़े कार्यों के लिए इनके पास जा सकते हैं। इनकी नियुक्ति भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के माध्यम से होती है तथा इसके बाद इन्हें सेवाओं के लिए राज्यों में भेजा जाता है। इस तरह यह समझा जा सकता है कि स्थानीय स्तर पर जिला कलेक्टर के पास प्रशासनिक तौर पर कितनी जिम्मेदारियां होती हैं।

भारत में अक्सर सुनने को मिलता है कि नौकरशाह आलसी होते हैं या फिर अपना काम पूरी ईमानदारी से नहीं करते, परंतु इस तस्वीर का दूसरा पहलू है। सरकार के खुद के आंकड़ों के अनुसार देश में 1,472 भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारियों, 864 भारतीय पुलिस सेवा अधिकारियों और 1,057 भारतीय वन सेवा अधिकारियों के पद खाली हैं। आईये इसे और थोड़ा सरल तरीके से समझने की कोशिश करते हैं!

सिविल लिस्ट 2022 के अनुसार 01.01.2022 तक भारतीय प्रशासनिक सेवा के अंतर्गत अगर बात करें तो बिहार राज्य में 359 में से 226 ही भारतीय प्रशासनिक अधिकारीयों के पद भरे हुए हैं। वहीं मध्य प्रदेश में 84, राजस्थान में 52, महाराष्ट्र में 74 तथा ओडिशा में 63 पद रिक्त पड़े हैं। ऐसे में इन रिक्त पदों का प्रभाव कहीं न कहीं अन्य अधिकारियों पर पड़ता है और इन सबसे सेवाएं प्रभावित होती हैं। हालांकि हमें यह भी समझना ज़रूरी है कि जब चुनाव आते हैं तो कोड ऑफ़ कंडक्ट के दौरान यही अधिकारी होते हैं जो अतिरिक्त कार्यभार होने के बावजूद भी हम तक सेवायें पहुंचाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

अतः बात किसी भी स्तर की सरकार की करें, हम सभी नागरिक सिविल सेवकों के योगदान को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। इनकी नियुक्ति व कर्तव्यों से जुड़े पहलुओं पर तो सरकार ही काम कर सकती है लेकिन नागरिक होने के नाते हमें यह मालूम होना चाहिए कि हर स्तर की प्रशासनिक व्यवस्था किस तरह की बनी है तथा किन कार्यों के लिए हमारी पहुँच कहाँ होनी ज़रूरी है।