सिविल सेवकों को फैसिलिटेटर बनना होगा: आईएएस अधिकारी सिमी करन
सिमी करन असम-मेघालय कैडर की 2020 बैच के एंट्री-लेवल आईएएस अधिकारी हैं। वह वर्तमान में असम के सोनितपुर जिले में सहायक आयुक्त के पद पर तैनात हैं। उनका साक्षात्कार सिविल सेवा दिवस के अवसर पर जारी आईएएस अधिकारियों के योगदान और चुनौतियों की श्रृंखला का हिस्सा है।
प्रश्न: क्या आप उस जिले के बारे में बता सकते हैं जिसमें आप कार्य कर रही हैं?
सिमी: सोनितपुर जिला ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी किनारे पर है। जिले को असम की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है और भारत की भूराजनीति में इसका अत्यधिक सामरिक महत्व है, जोकि यहां रहने वाले विविध समुदाय के लोगों को सहयोग करता है।
प्रश्न: सोनितपुर में आपको शासन की किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा है और आप इन चुनौतियों को हल करने के लिए कैसे काम कर रही हैं?
सिमी: सबसे पहले, सोनितपुर में लगभग 38 चाय बागानों में काम करने वाला एक बड़ा आदिवासी समुदाय है जहाँ भाषा में भी भिन्नता है। सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हमारी बहुत सारी सूचना सामग्री असमिया में है लेकिन हमारे यहां बोडो, संताली, सदरी और ओडिया भाषी समुदाय भी रहते हैं। इन समुदायों में शासन संस्थानों की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि हम उनसे उनकी अपनी भाषा में जुड़ सकें। अतः, उदाहरण के तौर पर पिछले सितंबर में पोषण माह के दौरान, हमने स्थानीय भाषाओं में अपनी योजनाओं के मूल तत्वों को उजागर करने वाले बहुत सारे विज्ञापन गीत, सरल कविता और इसी तरह की सामग्री बनाई।
दूसरा, जो स्थानीय प्रथायें वर्षों से अपनी जड़ें जमाये हुए हैं उन्हें बदलना मुश्किल है। उदाहरण के लिए यहां की जनजाति समुदायों में लोग चाय के साथ नमक का सेवन करते हैं। यह खासकर महिलाओं के लिए बहुत हानिकारक है, क्योंकि इससे उनमें निम्न रक्तचाप, रक्त शर्करा, उच्च रक्तचाप, एनीमिया आदि जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं। तो इस तरह से यह समुदायों में उच्च मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर के रूप में परिवर्तित हो जाता है। इसलिए आपको धीरे-धीरे लेकिन लगातार इन प्रथाओं को बदलने पर ध्यान केंद्रित करते रहना होगा।
प्रश्न: क्या आप हमें एक युवा आईएएस अधिकारी के रूप में अपने जीवन की दिनचर्या बता सकती हैं? आप किस प्रकार की गतिविधियाँ कर रही हैं, किन समस्याओं का समाधान कर रही हैं तथा किस तरह के प्लान बना रही हैं?
सिमी: इस बारे में कोई निश्चितता नहीं है कि मेरा दिन किस तरह से बीतेगा; कुछ दिन अपेक्षाकृत सामान्य होते हैं जबकि बाकी दिन व्यस्त होते हैं। जब मैंने बीडीओ (ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर) के रूप में कार्य किया, तो मैं आमतौर पर दिन के पहले भाग में ऑफिस का कार्य खत्म करने की कोशिश करती थी। मैं दिन के बाकी आधे भाग में फील्ड पर जाती थी; जिसमें किसी दिन यह ग्राम पंचायत विज़िट होती तो कोई दिन किसी योजना के निरीक्षण को लेकर होता था।
मैं कोशिश करती हूँ की फील्ड में जितना संभव हो उतना समय बिता सकूँ, क्योंकि इस प्रशिक्षण अवधि में हमारे लिए खुद को फील्ड से परिचित करना बहुत महत्वपूर्ण होता है।
प्रश्न: आपने योजना निरीक्षण या योजना निगरानी को लेकर भी बात की, यह सब आप कैसे करते हैं?
सिमी: योजनाओं की निगरानी में कई सारी चीजें शामिल होती हैं। हम बहुत सारा फील्ड निरीक्षण करते हैं जहां हम देखते हैं कि क्या वास्तव में निर्धारित मानदंडों को पूरा किया जा रहा है अथवा नहीं। इसी दौरान हमारा समुदाय के साथ गहरा समन्वय स्थापित होता है तथा हमें उन स्थानीय समस्याओं के बारे में मालुम चलता है जिनसे योजनाओं का ज़मीनी क्रियान्वन प्रभावित होता है। उदाहरण के लिए, असम में, 15वीं वित्त आयोग निधि समितियों के अध्यक्ष के समक्ष ब्लॉक या ग्राम पंचायत के इंजीनियर अपनी योजना अनुमानों को ठीक से सांझा नहीं करते, जोकि कहीं न कहीं पदाधिकारियों और स्थानीय लोगों के बीच आपसी सम्पर्क में कमी को दर्शाता है। हालांकि ये छोटे अंतर की तरह लगते हैं लेकिन सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए सख्त निर्देश दिए जाने चाहिए।
प्रश्न: व्यक्तिगत तौर पर, आपको आईएएस में शामिल होने के लिए किस बात ने प्रेरित किया? एक युवा अधिकारी के रूप में आप शासन की कौन-सी चुनौतियाँ देख रही हैं और आपको आगे बढ़ने के लिए क्या चीजें चलाती हैं?
सिमी: अपनी पढ़ाई के दौरान, किसी भी अन्य आई.आई.टी. छात्र की तरह, मैं सीएटी (CAT) या एम.बी.ए. करने या शायद विदेश जाने की योजना बना रही थी। लेकिन अपने दूसरे वर्ष में, मैंने एक सार्वजनिक नीति से जुड़े कैम्प में भाग लिया। मैंने सभी क्षेत्रों के लोगों ज़मीनी स्तर के कार्यकर्ताओं, एनजीओ कार्यकर्ता, शिक्षाविद, राजनेताओं और नौकरशाहों के साथ बातचीत की। मुझे एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी को सुनने का अवसर मिला, जो उस समय शिक्षा मंत्रालय में कार्यरत थे। उन्होंने जिस तरह की भूमिका निभाई थी तथा वे जिस तरह के नवाचार करने में सक्षम थे, उससे मैं हैरान थी। मैंने आईएएस की भूमिका के बारे में अधिक समझने के लिए और अधिक पढ़ना शुरू किया, और वास्तव में आईएएस के भीतर कार्यों की विविधता को जानकर मैं बेहद आकर्षित हुई ।
इसके अलावा, यह कार्य वास्तव में काफी चुनौतीपूर्ण और सराहनीय है। इसलिए मुझे लगता है कि यही मेरी मुख्य प्रेरणा है। सेवा में आने से, एक वास्तविकता से सामना होता है कि दस्तावेज़ों में लिखित समाधानों का फील्ड में हल ढूढ़ना इतना आसान नहीं होता। इसके अलावा, हमारा काम किसी विशिष्ट क्षेत्र और स्थानीय मनोभाव से जुड़ा होता है।
शुरुआत में, चीजों के पदानुक्रम और शासकीय व्यवस्था को समझना भी कठिन था, लेकिन सीखने की प्रक्रिया समय के साथ सहज होती गई। दो साल के प्रोबेशन के दौरान की सीख मेरे अंदर जोश भरने का काम करती है।
प्रश्न: भारत आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। आपके अनुसार आगे चलकर आई.ए.एस. कैडर की भूमिका क्या होगी? आपके अनुसार प्रारंभिक कैरियर सिविल सेवकों को आगे बढ़ने में सक्षम होने के लिए किस तरह के समर्थन की आवश्यकता होगी?
सिमी: मुझे लगता है कि सिविल सेवकों को आगे बढ़ते हुए एक फैसिलिटेट बनना होगा यानी हमें उस मुकाम पर पहुंचना होगा, जहां सिस्टम हमारे बिना चलने की क्षमता रखता हो। हमें लोगों के बीच क्षमता निर्माण की सुविधा देनी होगी ताकि वे अपने दम पर विकास कर सकें। लेकिन हम अभी बहुत शुरुआती चरण में हैं जहां अधिक सहयोग की ज़रूरत है।
इसके लिए मेरे पास मेघालय से एक बहुत ही सुंदर उदाहरण है, जहां एक आईएएस अधिकारी ने एक स्थानीय छोटी महिला उद्यमी को सरकारी सिस्टम के माध्यम से सहायता और धन की मदद प्रदान की, जिसकी उसे बहुत जरुरत थी। आज, महिला ने अपने व्यवसाय को 100 कर्मचारियों तक बढ़ा दिया है और अपने कार्य को प्रदर्शित करने के लिए दुबई के एक एक्सपो में भाग ले रही है। वह अब अपने कार्य को फैलाने तथा सरकारी संस्थानों से जुड़ने में सक्षम है। हमें लोगों को सशक्त बनाने की आवश्यकता है ताकि वे उस स्तर तक पहुंच सकें जहां वे स्वयं से निर्णय लेने में सक्षम हो सकें।
नए सिविल सेवकों को जिस सहयोग की आवश्यकता होती है, वे एक नये ज्वाइनी के रूप में वास्तव में नहीं जानते कि पूरी प्रणाली कैसे काम करती है और बहुत सी चीजें – जैसे वरिष्ठ नौकरशाहों से जुड़ना अनौपचारिक आधार पर होता है। उस अर्थ में जुड़ने और सीखने के अधिक अवसर वास्तव में महत्वपूर्ण होते हैं।
दूसरा, सिविल सेवकों में आगे बढ़ते हुए विशेषज्ञता की आवश्यकता होगी। आज हर क्षेत्र में अधिक विशिष्टता होती जा रही है, चाहे वह पर्यावरण, स्वास्थ्य, पोषण आदि हो। बल्कि आज हम जिन लोगों के साथ आईएएस अधिकारी के रूप में कार्य कर रहे हैं, वह अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं। अपना योगदान देने में सक्षम होने के लिए, हमें एक निश्चित स्तर का ज्ञान होना चाहिए ताकि हम उनके साथ बैठकर चर्चा कर सकें और निष्कर्ष पर पहुंच सकें, यहीं से विशेषज्ञता आती है।
प्रश्न: आपके अनुसार, भारत में आने वाले 10 वर्षों में शासन से जुड़ी किस प्रकार की चुनौतियाँ देखने को मिलेंगी?
सिमी: मुझे लगता है कि आने वाले दशक में पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन अहम मुद्दे होंगे, क्योंकि हम पहले से ही इनका प्रभाव देख रहे हैं। उदाहरण के लिए, पिछले वर्ष असम के कई ऐसे स्थान थे जहां अपेक्षा से बहुत कम वर्षा के कारण सूखे जैसी स्थिति देखी गई। जलवायु परिवर्तन के व्यापक दायरे से, इस तरह के क्षेत्रों के लिए विशिष्ट सूक्ष्म स्तर के बहुत सारे मुद्दे भविष्य में सामने आएंगे।
इसके साथ, मैं शिक्षा में बहुत रुचि लेती हूँ! मुझे लगता है कि हमें वास्तव में शिक्षाशास्त्र और शिक्षण की गुणवत्ता पर अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। आज हम जो नवाचार देख रहे हैं, वो सब अभी भी बुनियादी ढांचे तक ही सीमित हैं, लेकिन अब हमें बच्चों के शिक्षाशास्त्र और सीखने के स्तर की तरफ बढ़ने की जरूरत है।
यह लेख अंग्रेजी में प्रकाशित किया गया था जिसका यह अनुवादित संस्करण है।