नागरिक भागीदारी और लोकतंत्र
नागरिक भागीदारी और लोकतंत्र! इन दोनों शब्दों को सुनकर सर्वप्रथम आपके मन में क्या भाव पैदा होते हैं?
वास्तव में कहें तो यह दोनों शब्द के दुसरे के पूरक हैं और अगर यूँ कहें की इन दोनों के बिना एक बेहतर और आदर्श समाज की कल्पना करना असंभव सा प्रतीत होता है।
क्या आपने कभी ये महसूस किया है कि आपकी पंचायत या स्थानीय सरकार में कुछ लोग ही विकास कार्यो पर निर्णय लेते हैं? अथवा आपको लगता हो कि आपने जैसा वोट देते समय उनसे विकास कार्यो के बारे में सुना था उसके अनुरूप विकास कार्य नहीं हो रहे हैं?
यदि आप अपनी पंचायत के संदर्भ में भी ऐसा महसूस करते हैं तो यह लेख आपके लिए है!
73वें व 74वें संविधान संशोधन में स्थानीय सरकारों को सरकार के रूप स्थापित समझने के लिए काफी अहम शक्तियाँ दी गयी थी और इसके साथ ही एकदम ज़मीनी स्तर पर मजबूत हुआ था, लोकतंत्र!
लोकतंत्र यानि लोगों की भूमिका वाला तंत्र।
दरअसल, जब आप पंचायत में लोगों की भूमिका को संदिग्ध मानते हैं तो आपको सिक्के के दोनों पहलुओं को जांचना होगा।
हमें यह भी देखना होगा कि क्या लोकतंत्र में लोगो की भूमिका केवल वोट देने के बाद किसी खेल की तरह दर्शकदीर्घा में बैठकर जश्न मनाने या कोसने भर की ही है?
हमें यह समझना होगा की जब तक हम नागरिक के रूप में सक्रिय नही होंगे, तब तक इस सिस्टम में परिवर्तन नहीं लाया जा सकता।
ज़रा सोचिये, एक दूकान से पैसे देकर लाये गये राशन में गुणवत्ता न होने पर हम जिस प्रकार की प्रतिक्रिया दुकानदार को देते हैं क्या उसी प्रकार की प्रतिक्रिया जब वैसी ही खराब गुणवत्ता का राशन सरकार की तरफ से मिल रहा हो तो तब भी करते है? जबकि हम तो सरकार को सुविधायें देने की एवज में टैक्स के रूप में पैसे का भुगतान करते ही हैं।
ऐसे ही जब पंचायतो में विकास योजना के सालाना प्लान बन रहे हों, तो हम उसमें अपनी भूमिका कितनी दर्ज करवाते हैं, या यूँ कहें की हम पंचायतों द्वारा नियोजित कार्यो के लिए सभाओं में कितना उनसे जवाबदेही मांगते हैं?
आज के समय में हमें सशक्त नागरिक बन लोकतंत्र में निरंतर भागीदारी निभाने की आवश्कता है। जब हम एकजुट होकर आवाज उठाते हैं, अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हैं तो निश्चय ही सुधार होने की आशंका प्रबल होगी।
आजकल ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से आप पंचायतो में भागीदारी को सशक्त कर सकते हैं-
आप चाहे तो ऑनलाइन माध्यमो जैसे ई-ग्राम स्वराज पोर्टल से सूचनाएं इकठ्ठा कर पंचायत सभाओं से जवाबदेही मांग सकते है, ऐसे पोर्टल केंद्र स्तर पर भी है और राज्यों ने भी ऐसे माध्यम उपलब्ध कराए है उदाहरांत राजस्थान का जन सुचना पोर्टल, मध्यप्रदेश का पंचायत दर्पण पोर्टल एवं अन्य ।
इसके अलावा भी आप भौतिक रूप से सत्यापन कार्यो को देखकर जवाबदेही मांग सकते है, जैसे इस वर्ष के निर्धारित कार्यो पर पंचायत सभाओं में सयुंक्त चर्चाओं में भाग लेकर अपनी आवाज उठायें। ग्राम पंचायतो के लेकर आप भौतिक जानकारी चाहते हैं तो हमारा यह लेख आपको ज़रूर पढ़ना चाहिए ।
कुल मिलाकर बात यही है कि नागरिक भागीदारी एवं कार्यो पर जवाबदेही के लिए बनाये गये संवैधानिक प्रावधानों का प्रयोग करते हुए सशक्त भागीदारी को निभाने की ज़रूरत है ताकि ज़रुरतों के अनुसार मिलकर निर्णय भी लिए जायें और इन पर अमल करने के लिए स्पष्ट जवाबदेही भी मांगी जाए ।
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