‘प्रशासन के सितारे’ – डॉ. दर्शना कुमारी

‘प्रशासन के सितारे’ सेक्शन में आईये आपसे बेगुसराय, बिहार से डॉ. दर्शना कुमारी जी से मिलवाते हैं जो बाल विकास परियोजना पदाधिकारी के पद पर अपनी सेवाएं दे रही हैं। यह साक्षात्कार उन्हीं के साथ हुई चर्चा पर आधारित है!

सवाल:  आप अभी किस विभाग में तथा किस पद पर काम कर रही हैं? आपका मुख्य कार्य क्या है?

जवाब: वर्तमान में मैं, समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत बाल विकास परियोजना पदाधिकारी के पद पर कार्यरत हूँ। 2012 से समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत जिला किशनगंज, मधेपुरा, नालंदा आदि अन्य जिलों में कार्य करते हुए, वर्तमान में बेगुसराय जिले के खोदावंदपुर परियोजना में कार्यरत हूँ।

मेरा मुख्य कार्य समेकित बाल विकास योजना के अंतर्गत छ: सेवाओं जैसे विद्यालय पूर्व शिक्षा, पूरक पोषाहार, टीकाकरण, स्वास्थ्य जाँच, पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा परामर्श तथा सन्दर्भ सेवाओं का पुरे प्रखंड में कार्यान्वयन करना होता है। इसके साथ ही अपने प्रखंड में पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति को बेहतर करना व किशोरियों को शिक्षित तथा सशक्त करने के लिए नियमित प्रयासरत रहना होता है। आंगनवाड़ी केंद्र में दी जाने वाली सभी प्रकार की सेवाओं का समय-समय पर निरिक्षण करना तथा कार्यकर्ताओं को निर्देशित करना होता है। इसके अलावा राज्य और जिला स्तर से समय-समय पर प्राप्त दिशानिर्देशों का अनुपालन करती हूँ।

सवाल: अभी तक के सफर में सरकार से जुड़कर काम करने का अनुभव कैसा रहा है ?    

जवाब: अगर ईमानदारी से कहूँ तो, प्रारम्भिक वर्षों में मुझे अपने काम में काफी चुनौतियां पेश आयीं, जब विश्वविद्यालय से उठकर एक लड़की पंचायत प्रतिनिधि, जनप्रतिनिधियों आदि से सीधे रूबरू होने लगती है। कार्यालय में कई बार बातों की या यूँ कहें कि आदेशों की अवहेलना का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही विभिन्न विभागों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए नियमित टीकाकरण या विशेष टीकाकरण अभियान के लक्ष्यों को वरिष्ठ पदाधिकारियों की अपेक्षाओं के अनुकूल प्राप्त करना काफी चुनौतीपूर्ण रहा। परन्तु धीर–धीरे परिस्थितियाँ अनुकूल होने लगी तथा अपने काम में भी एक मजबूत पकड़ हो गयी, जिससे अपने कार्यो के लिए सरकार से प्रोत्साहन मिलने से कार्य करना और भी अच्छा लगने लगा ।

सवाल: करियर में अभी तक की क्या बड़ी सफलताएं रहीं हैं? एक या दो के बारे में बताईये? 

जवाब: अभी तक के सफर में मैं बात करूँ तो प्रारंभिक वर्षो में मिशन इंद्रधनुष तथा विशेष टीकाकरण अभियान के अंतर्गत ठाकुरगंज परियोजना में टीकाकरण का 23% से बढ़ाकर 85% से ऊपर तक पहुँचाने में अपना सहयोग दिया। जिसके लिए 4 राउंड में से 3 राउंड के लिए सर्वोत्तम कार्य हेतु तत्कालीन जिलाधिकारी महोदय द्वारा मुझे प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। इसके अलावा 2019 में बिंद परियोजना में आयी बाढ़ में अलग जगह पर कैम्प लगाया गया जिसमें सेविका और सहायिका के सहयोग से माताओं और बच्चों को योजना का लाभ पहुँचाया गया। सबसे कठिन तो 2020 -21 में कोरोना प्रकोप रहा जिसमें शरणार्थियों को राहत कैम्प के दौरान सभी प्रकार की व्यवस्थायें उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न विभागों के साथ समन्वय करने व टीम की अगुवाई करने में सफल रही। साथ ही साथ इस दौरान हमारी परियोजना के सेविका सहायिका को जिन्हें अपने मोबाइल में एसएमएस देखना तक नहीं आता था, उन्हें ज़ूम लिंक आदि तकनीक से जोड़ा, जिससे धीरे-धीरे वे स्वयं इस माध्यम से जुड़ने का कार्य करने लगीं। इस दौरान वीडियो के माध्यम से आंगनवाड़ी केंद्र के बच्चों के विकास, गृहभेंट के द्वारा सहयोग करते हुए अपने कर्तव्य का अनुपालन किया। इन सब चीजों को मैं अपनी एक बहुत बड़ी सफलता मानती हूँ।

सवाल: इन सफलताओं के रास्ते में क्या कुछ अनोखी मुश्किलें या परिस्थितियाँ सामने आयी? इनका समाधान कैसे हुआ? क्या आप अपने अनुभव से इसके उदाहरण दे सकते हैं?

जवाब: वैसे तो मुश्किलें कई बार आयीं लेकिन विशेषकर मिशन इन्द्रधनुष टीकाकरण अभियान के दौरान 250 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की ड्यूलिस्ट तैयार करना सबसे बड़ी बाधा थी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग विभिन्न डेवलपमेंट पार्टनर, विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ आदि के साथ लगातार बैठकों के माध्यम से समन्वय स्थापित किया। इसके लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा, आशा फेसिलिटेटर तथा ए.एन.एम. के विभिन्न दस्तावेज़ों तथा आर.सी.एच. पंजी आदि के माध्यम से एक साथ सभी का ड्यूलिस्ट तैयार करवाई। फिर कई क्षेत्रों में बड़े स्तर पर नुक्कड़ नाटक के माध्यम से टीकाकरण के लाभ के विषय में लोगों को समझाया गया। इसके लिए मैं, सम्पूर्ण आईसीडीएस, स्वास्थ्य विभाग, डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, केयर इण्डिया के प्रतिनिधियों के अथक प्रयास के लिए उनकी शुक्रगुज़ार हूँ।

वहीं, बाढ़ के समय बच्चों के इधर-उधर भटकने जैसी समस्या पेश आ रही थीं। परन्तु कैम्प में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने समय-समय पर पूरक पोषाहार, दूध आदि उपलब्ध कराने के साथ-साथ विभिन्न प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) से सम्बन्धित क्रियाकलापों-कविता, नाटक आदि के माध्यम से बच्चों को लगातार 4 दिनों तक इन गतिविधियों में बाधें रखा। इसके साथ ही सामुदायिक किचेन में भी अपना श्रमदान दिया, जिसके लिए बाद में उन्हें पुरस्कृत भी किया गया।

सवाल: बेहतर शासन और सेवा वितरण में आप अपना योगदान किस प्रकार देखते हैं ?

जवाब: मैं समेकित बाल विकास सेवाओं के साथ-साथ प्रशासन द्वारा निर्देशित अन्य विभिन्न कार्यों जैसे चुनाव सम्बन्धित ज़िम्मेदारी, मैट्रिक/ इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में ड्यूटी, दशहरा/छठ पूजा इत्यादि में दंडाधिकारी के दायित्व को भी अत्यंत कर्मठता से निर्वहन करती हूँ। इसी क्रम में मुझे विभिन्न पदाधिकारीयों से मिलने तथा उनसे बहुत कुछ सीखने का भी अवसर प्राप्त हुए हैं, जो निरंतर मेरे व्यक्तित्व को निखारने में सहयोगी होते हैं। अभी राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय पर प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) को लेकर सभी सीडीपीओ, शिक्षकों तथा महिला पर्यवेक्षिकाओं को प्रशिक्षण देने का कार्य कर रही हूँ ।

सवाल: अपने काम के किस पहलु से आपको ख़ुशी मिलती है?   

जवाब: मैं क्षेत्र भ्रमण के दौरान स्पेशल चिल्ड्रेन को आंगनवाड़ी केंद्र से जोड़ने तथा महिलाओं व बच्चों के स्वास्थ्य के विषय में नियमित परामर्श देती हूँ। इसके अलावा परवरिश योजना के लाभार्थियों को लाभ दिलवाने में सक्रीय रहती हूँ। केंद्र भ्रमण के दौरान जब मैं आसपास के अभिभावकों से मिलती हूँ तो वे मेरे कार्यों की प्रशंसा करते हैं, तब मुझे बहुत ख़ुशी मिलती है। इसके साथ ही जब मैं अन्य बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों, परियोजना, महिला परिवेक्षिका तथा शिक्षकों को प्रारम्भिक बाल्यवस्था देखरेख एवम् शिक्षा संबंधी प्रशिक्षण देती हूँ, तब मुझे अति प्रसन्नता होती है। मैं अपने कार्य और जवाबदेही को पूर्णतया निर्वहन करती रहती हूँ तथा साथ ही मैं अलग-अलग विषयों पर लेखन कार्य भी करती हूँ।

सवाल:  i) आपके अनुसार एक अच्छे अधिकारी में 3 ज़रूरी गुण क्या होने चाहिए?  

जवाब: कर्तव्यनिष्ठा ,जुझारूपन, खुद को समय के साथ अपडेट करने की काबिलियत।

ii) काम से सम्बंधित वह ज़िम्मेदारी जिसमें आपको सबसे ज़्यादा मज़ा आता हो

जवाब: आंगनवाड़ी केंद्र निरिक्षण करने के दौरान चीजों को सही करना, बच्चों के साथ खेलना, मिट्टी के खिलौने बनाना।

iii) अपने क्षेत्र में कोई ऐसा काम जो आप करना चाहते हैं, मगर संरचनात्मक या संसाधन की सीमाएँ आपको रोक देती हैं।

जवाब: मैं प्रत्येक पंचायत में कम से कम दो आंगनवाड़ी केन्द्रों को मॉडल आंगनवाड़ी बनाना चाहती हूँ। इसके साथ ही मैं चाहती हूँ कि प्रत्येक पंचायत में कम से कम एक खिलौना बैंक बनाया जाये जहाँ से बच्चे खिलौने ले सकें तथा खेलने के बाद उनको वापस जमा कर सकें। लेकिन हमारे पास इस तरह का कोई सिस्टम उपलब्ध नहीं हैं जिसके अंतर्गत मैं यह कार्य अपने स्तर से कर सकूँ।