प्रशासन के सितारे : डॉ. अभिलाष नायक
‘प्रशासन के सितारे’ सेक्शन में आईये आपको डॉ. अभिलाष नायक से मिलवाते हैं जो इग्नू क्षेत्रीय निदेशक, क्षेत्रीय केंद्र पटना में अपनी सेवायें दे रहे हैं!
1) आप अभी किस विभाग में और किस पद पर काम कर रहे हैं? आपका मुख्य कार्य क्या है?
जवाब: मैंने सर्वप्रथम 2008 में उड़ीसा के कोरापुट में क्षेत्रीय वरीय पदाधिकारी के रूप में कार्य किया है तथा उसके बाद से भुवनेश्वर में रहा हूँ। इसके बाद अप्रैल 2018 से पटना में क्षेत्रीय वरीय पदाधिकारी के रूप में कार्यरत हूँ। मैं पटना के 27 शिक्षा सहायता केंद्र के कार्य को देखता हूँ। इसके अलावा मुझे दरभंगा जिला का भी अतिरिक्त प्रभार मिला हुआ है, जहाँ 10 शिक्षा सहायता केंद्र हैं। इसके अंतर्गत मेरा मुख्य कार्य शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्य को देखना रहता है। इसमें नियमित रूप से बच्चों की शैक्षणिक गतिविधि का संचालन करवाना, प्रत्येक शिक्षा सहायता केंद्र सही से चले तथा संस्थान से जो भी बच्चे कोर्स करना चाहते हैं, उनके लिए पर्याप्त सुविधा एवं शिक्षक उपलब्ध हो यह सब सुनिश्चित करवाना होता है। मुझे मेरे बेहतरीन कार्यों के लिए बेस्ट रीजनल सेंटर अवार्ड से सम्मानित किया गया है ।
2) अभी तक के सफर में सरकार से जुड़कर काम करने का अनुभव कैसा रहा है?
जवाब: बिहार सरकार को आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने इग्नू (।GNOU) संस्थान के लिए 4 एकड़ जमीन दी और संस्थान के लिए निजी भवन बनवाया। इसके अलावा कन्या उत्थान योजना से 8 हजार महिलाओं को जोड़ा गया है तथा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति, अल्पसंख्यक छात्र–छात्राओं को सबसे ज्यादा कोर्स करने हेतु जोड़ा गया है। मैंने बिहार में देखा की यहाँ के बच्चों की पढ़ाई के क्षेत्र में काफी रूचि है तथा वे काफी मेहनत भी करते हैं। सरकार के अंतर्गत कार्य करते हुए मेरा अनुभव यह रहा है कि अच्छा कार्य करने वाले अधिकारीयों को काफी इज्ज़त मिलती है।
3) करियर में अभी तक की क्या बड़ी सफलताएं रहीं हैं? कोई एक या दो के बारे में बताईये?
जवाब: अभी तक के सफलता की बात करूँ तो पटना, बक्सर, गया, वैशाली, पूर्णिया, नालंदा, जमुई, सासाराम और आरा के सभी सेंट्रल जेल के जितने भी कैदी हैं, उनमें से लगभग 800 कैदी यहाँ से शिक्षण ग्रहण कर रहे हैं। इसके अलावा जब मैं यहाँ आया था, उस समय यहाँ का नामांकन 39 हजार था जो अभी बढ़कर 71 हजार हो गया। इस 4 साल में 30 हजार का इजाफा हो गया। करोना काल 2020-22 में हमने 3-4 हजार छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षा उपलब्ध कराई तथा इसके अलावा असाइनमेंट और परीक्षा भी ऑनलाइन ही ली गयी। हमने उस दौरान प्रत्येक गतिविधि सोशल डिस्टेंस के तहत ही आयोजित की।
पुस्तक प्रकाशन:
- वर्ष 1997 में प्रैक्टिकल इंग्लिश ग्रामर, लुधियाना से प्रकाशित,
- वर्ष 2009 में कम्यूनिकेटएफ्फेक्टिवली इंग्लिश, चंडीगढ़ से प्रकाशित
- वर्ष 2018 में कम्यूनिकेट इंग्लिश, उड़ीसा से प्रकाशित
4) इन सफलताओं के रास्ते में क्या कुछ अनोखी मुश्किलें या परिस्थितियां सामने आयीं? इनका समाधान कैसे हुआ ? क्या आप अपने अनुभव से इसके उदाहरण दे सकते हैं?
जवाब: यहाँ पर 200 से ज्यादा कोर्स हैं तथा बच्चे काफी रूचि के साथ पढ़ने के लिए आते हैं। जिस कोर्स में वे नामांकन लेना चाहते हैं उस क्षेत्र के शिक्षक नहीं मिलते हैं, जिस कारण काफी परेशानी होती है। मैं प्लान करता हूँ परन्तु इसे इम्प्लीमेंट करने में दिक्कत होती हैं। हालांकि इसके लिए पूरी तरह दिल्ली से ऑनलाइन क्लास चलाया जाता है लेकिन जब प्रेक्टिकल करना होता है तो काफी मुश्किल होती है। भाषा को लेकर एक सबसे बड़ी चुनौती यह है कि ज्यादातर छात्र हिंदी में कोर्स करना चाहते है लेकिन कुछ अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करना चाहते हैं।
कोरोना के समय हमने 3-4 हजार ऑनलाइन कक्षाओं को आयोजित किया। लाखों छात्रों का असाइनमेंट ऑनलाइन माध्यम से मूल्यांकन करके परिणाम घोषित किया गया। इग्नू वह पहली यूनिवर्सिटी है जिसने कोरोना काल में सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करते हुए फिजिकल मोड में परीक्षायें आयोजित की।
5) बेहतर शासन और सेवा वितरण में आप अपना योगदान किस प्रकार देखते हैं ?
जवाब: ग्रामीण क्षेत्र में अभियान चलाकर स्लम एरिया के बच्चों को इग्नू के माध्यम से जोड़ना ताकि उनके शैक्षणिक स्थिति में सुधार हो और वे मानसिक रूप से तैयार होकर शिक्षा ग्रहण करें। इसके लिए हमने एनआईएसओ, एनआरएलएम, जीविका के तहत हर समुदाय स्तर पर एक लाइब्रेरी तैयार की है, जिससे छात्राओं को पढ़ाई करने में मुश्किल ना हो। स्वयं प्रभा पोर्टल के माध्यम से 100 से ज्यादा विषयों का कोर्स ऑनलाइन क्लास के माध्यम से कर सकते हैं। इसके लिए हिंदी, उर्दू, इसके अलावा पटना में डीटीएच के माध्यम से मुफ्त में क्लास लिया जाता है। इसके लिए मुझे बेस्ट रिजनल अवार्ड 2022 से सम्मानित किया गया है।
6) अपने काम के किस पहलू से आपको ख़ुशी मिलती है?
जवाब: मुझे शैक्षणिक गतिविधि करना, क्लास लेना, किसी भी विषय में ओरियेंट करना अच्छा लगता है। बच्चों और शिक्षकों को अलग–अलग तरह प्रशिक्षण देना अच्छा लगता है। प्रशासनिक कार्य में मेरी उतनी रूचि नहीं है लेकिन मुझे वो भी कार्य करना होता है। छात्रों के पढ़ाई में किसी तरह का गैप रह जाता है तो इसे जानने/ढूढ़ने में मुझे ख़ुशी मिलती है तथा’ उस गैप के लिए जो भी आवश्यक गतिविधि मै कर सकता हूँ वह करने की कोशिश करता हूँ। जिस क्षेत्र में स्टडी सेंटर नहीं है उस क्षेत्र में इसकी व्यवस्था करने में ख़ुशी मिलती है।
7) i) अच्छे अधिकारी के 3 ज़रूरी गुण
जवाब: ईमानदारी, निष्ठा, दूरदर्शी।
ii) काम से सम्बंधित वह ज़िम्मेदारी जिसमे सबसे ज़्यादा मज़ा आता है ।
जवाब: सबसे अधिक ख़ुशी शैक्षिक कार्य करने, शिक्षकों का उन्मुखीकरण करना अच्छा लगता है। हमेशा यह कोशिश रहती है कि कोई भी बच्चा यहाँ नामाकंन के लिए आए तो वह निराश होकर ना जाए।
iii) अपने क्षेत्र में कोई ऐसा काम जो आप करना चाहते हो मगर संरचनात्मक या संसाधन की सीमाएँ आपको रोक देती हैं-
जवाब: मैं यहाँ पर कंप्यूटर साइंस लैब खुलवाना चाहता हूँ जिससे बच्चों को क्लास के साथ प्रैक्टिकल करने का मौका मिले ताकि उनकी पढ़ाई अधूरी ना रहे। इसके लिए मैंने 2019 में कंप्यूटर साइंस के प्रेटिकल लैब के लिए प्रस्ताव लिखकर दिल्ली भेजा था। उम्मीद है यह जल्द से जल्द खुल जायेगा।