प्रशासन के सितारे: श्री दुर्गाराम मुवाल

‘प्रशासन के सितारे’ सेक्शन में आईये आपको राजस्थान के एक शिक्षक से मिलवाते हैं जो न केवल अध्यापन का कार्य कर रहे हैं बल्कि बाल मज़दूरी व बाल तस्करी जैसी कुरीतियों में जकड़े हुए बच्चों को निकालकर उन्हें शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने का बेहतरीन काम भी कर रहे हैं! 

सवाल: आप अभी किस विभाग में तथा किस पद पर कार्य कर रहे हैं? आपका मुख्य कार्य क्या है ?

जवाब: मैं प्रारंभिक शिक्षा विभाग में सामान्य अध्यापक के पद पर कार्यरत हूँ। मेरा मुख्य कार्य सामाजिक विज्ञान विषय का शिक्षण करवाना है, लेकिन मैं अपने विषय के शिक्षण के अलावा सह-शैक्षिक, विद्यालय प्रबंधन एवं सामाजिक सरोकार जैसे गतिविधियों का संचालन भी करता हूँ। 

सवाल: आपका अभी तक के सफ़र में सरकार के साथ जुड़कर काम करने का अनुभव कैसा रहा है?

जवाब: मैं पिछले 14 वर्षों से राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग का हिस्सा बनकर अपने शिक्षक के कर्तव्य को एक शिक्षक के रूप में निभाते हुए आनन्द एवं रुचिकर तरीके से कार्य कर रहा हूँ।
सरकार के साथ जुड़कर मैं अपने शिक्षक के कर्तव्य के अलावा अनेक क्षेत्रों में कार्य कर रहा हूँ जैसे बाल तस्करी एवं बाल मजदूरी रोककर बच्चों को वापस शिक्षा से जोड़ना, बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना, ड्रॉपआउट बालक-बालिकाओं को विद्यालय से जोड़ना, कोरोना योद्धा के रूप में कार्य करना, पर्यावरण सरंक्षण, शिक्षा से जुड़े हुए सामाजिक सरोकार के कार्य, शिक्षा में नवाचार आदि।

सवाल: बाल तस्करी एवं बाल मज़दूरी एक वैश्विक मुद्दा है। आप इस पर किस प्रकार या क्या काम कर रहे हैं?

जवाब: मेरे विद्यालय के क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियाँ ऐसी हैं की यहाँ बाल तस्करी एवं बाल मज़दूरी जैसी घटनाएँ होना आम है और इस वजह से बच्चे पढ़ाई से वंचित रह जाते है। हमारा मुख्य उद्देश्य बाल तस्करी एवं बाल मज़दूरी के दलदल में फंसे बालक-बालिकाओं को रेस्क्यू कर वापस शिक्षा से जोड़ना होता है। इसमें हमने अब तक 400 से ज्यादा बच्चों को इस अभिशाप से मुक्त करवाकर वापस विद्यालय से जोड़ने का काम किया है।

इनमें से 250 से ज्यादा तो बालिकायें हैं, जिन्हें राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र एवं आंध्र प्रदेश से मुक्त करवाया है तथा उन्हें शिक्षा से जोड़ा है।

सवाल: करियर में अब तक की आपकी क्या बड़ी सफलतायें रही हैं? क्या आप एक-दो के बारे में बताना चाहेंगे?

जवाब: करियर का सफ़र अभी जारी है लेकिन अभी तक की सफलताओं के बारे में बात करूँ तो हमारे प्रयासों से अब ज्यादा से ज्यादा बालक-बालिकाएं विद्यालय से जुड़ने लगे हैं एवं उच्च शिक्षा प्राप्त करके सरकारी विभाग में नौकरी कर रहे हैं। इन सभी कार्यो के लिए मुझे पुलिस सम्मान 2022 एवं राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान 2022 से नवाज़ा गया है। हाल ही में मुझे राष्ट्रपति महोदया द्वारा राष्ट्रीय शिक्षक अवार्ड 2022 से भी सम्मानित किया गया। 

सवाल: इन सफलताओं के रास्ते में क्या कुछ अनोखी मुश्किलें या परिस्थितियाँ सामने आई? इनका समाधान कैसे हुआ? क्या आप अपने अनुभव से इसके कुछ उदाहरण दे सकते हैं?

जवाब: हमें सभी कार्यो में अलग-अलग परिस्थितिययों एवं मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। मेरा यह मानना है की अगर किसी कार्य को करने में मुश्किलें आ रही हैं तो इसका मतलब वो कार्य सही दिशा में बढ़ रहा है और मुझे उसी कार्य को पूरा करके ही आनन्द मिलता है।

  1. बाल तस्कारी व बाल मज़दूरी से बालक बालिकाओं को मुक्त करवाने में हमे बड़े माफियाओं से टक्कर लेनी पड़ती है, जिसमे हमेशा जान का जोख़िम बना रहता है तथा लड़ाई झगड़े तो आम बात है। ऐसे कार्य ज्यादातर रात्रि के समय होते हैं तो ऐसे में कई बार मेरे ऊपर जानलेवा हमले भी हुए हैं लेकिन मैं इन सब मुश्किलों से डरे बिना अपना कार्य दुगनी ऊर्जा के साथ करता हूँ। 
  2. कोरोना टीकाकरण में हमारी टीम को जानलेवा हमले व झगड़ो का सामना करना पड़ा है। इन खतरों के बावजूद हमारी ग्राम पंचायत मादड़ी भारत में पहली जनजातीय पंचायत है जहाँ सबसे पहले 100% टीकाकरण हुआ है। 
  3. ड्रॉपआउट: बालिका शिक्षा को बढ़ाने के लिए पढ़ाई छोड़ चुकी बालिकाओं को वापस शिक्षा से जोड़ने के लिए विद्यालयों में फीस देने के लिए बालिकाओं एवं अभिभावकों के पास धन का अभाव होता है। मैं वहां ऐसी बालिकाओं का खर्च वहन करता हूँ।

सवाल: आप बेहतर शासन एवं सेवा वितरण में अपना योगदान किस प्रकार देखते हैं?

जवाब: मेरा मानना है शिक्षक एक समाज का रोल मॉडल होता है तथा देश के भविष्य का निर्माता होता है। इसलिए शिक्षक को देश और समाज के प्रत्येक क्षेत्र में योगदान देना चाहिए क्योंकि शिक्षक का जनता से सीधा जुड़ाव होता है। 

मैं अपने कर्तव्य को टाइमलेस जॉब मानता हूँ। मैं अपने शिक्षक के कर्तव्य को ईमानदारी से निभाते हुए सामाजिक सरोकार के कार्यों के लिए 24 घंटे तत्पर रहता हूँ ताकि शिक्षा के प्रति ज्यादा से ज्यादा लोगों का जुड़ाव हो सके।

सवाल: अपने काम के किस पहलु से आपको सबसे ज्यादा ख़ुशी मिलती है।

जवाब: मुझे -बच्चो के साथ पठन-पाठन क्रियाओं एवं उनके साथ सह- शेक्षणिक गतिविधियों को करवाने में सबसे ज्यादा ख़ुशी मिलती है। यह बच्चों के शारीरिक एवं बौद्धिक विकास में काफी अहम होता है।

सवाल i): आपके हिसाब से अच्छे अधिकारी के कोई 3 ज़रूरी गुण क्या होने चाहिए ?  

 जवाब : 1) कुशल नेतृत्व क्षमता 

2) लक्ष्यों के प्रति ईमानदारी एवं दृढ़ संकल्प 

3) अधीनस्थ साथियों के प्रति अच्छा व्यवहार एवं गुणात्मक परिणाम देने का जज़्बा 

ii)  आपके काम से सम्बन्धित वह ज़िम्मेदारी जिसको निभाने में आपको सबसे अधिक आनंद आता हो?

जवाब: मुझे ऐसा कार्य करने में मुझे सबसे ज्यादा मज़ा आता है जिसमे अधिकांश लोगों का फायदा हो। कोई भी व्यक्ति मेरे कार्य से मायूस न हो।

iii) आपके क्षेत्र में कोई ऐसा काम जो आप करना चाहते हैं परन्तु सरंचनात्मक या संसाधन की सीमायें आपको रोक देती हैं।

जवाब: आप देखेंगे कि शिक्षकों के पास शिक्षण कार्य के अलावा भी बहुत सारे अन्य कार्य होते हैं। यदि अन्य कार्यो का भार कम कर दिया जाए तो मेरा मानना है कि अध्यापन के कार्य में तेजी एवं शिक्षा में गुणवत्ता दिखाई देगी। साथ ही मैं, बाल मजदूरी,बाल-तस्करी आदि को रोककर बच्चों को शिक्षा से जोड़कर उनके भविष्य निर्माण में सहयोग करना चाहता हूँ। ऐसे ही विशेष कार्य के लिए रूचि रखने वाले कार्मिकों को विभाग उनकी रूचि अनुसार पद उपलब्ध करा दे तो ज़मीनी स्तर पर बेहतरीन कार्य किया जा सकता है।

iv) कोई ऐसी बातें जोकि आपको लगता है की होनी चाहिए?

जवाब: मुझे लगता है शिक्षा विभाग से सभी कर्मचारियों की जवाबदेही तय होने के बाद, उन्हें थोड़ा नवाचार करने की आज़ादी भी होनी चाहिए। आप देखेंगे की स्वविवेक से किये गये कार्यों का परिणाम बेहद सकारात्मक आता है। साथ ही बेहतर कार्यो के लिए प्रोत्साहित करने के लिए गैलेंट्री अवार्ड जैसे अच्छी व्यवस्था भी होनी चाहिए ताकि विभाग एवं समाज में बेहतर कार्य करने वाले लोगो की संख्या बढ़े।