गतिविधि आधारित शिक्षा और आनंदमय सीख
आइये मिलते हैं, वीरेन्द्र कुमार जी से जिन्होंने “गतिविधि आधारित शिक्षा” और “लेखन कौशल” हुनर से सरकारी शिक्षक होने के बावजूद निजी स्कूलों के अध्यापकों और बच्चों को प्रशिक्षण दिया है। जानते हैं कि कैसे उन्होंने राज्य शिक्षक पुरस्कार हासिल किया एवं क्यों हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल ने उन्हें हरियाणा राज्य में आमंत्रित किया है।
1) आप अभी किस विभाग में तथा किस पद पर काम कर रहे हैं? आपका मुख्य कार्य क्या है?
मैं वीरेन्द्र कुमार एक प्रशिक्षित कला स्नातक (TGT) शिक्षक हूँ। मैं वर्तमान में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय धरोगड़ा, जिला शिमला में कार्यरत हूँ। मैंने शिक्षण कार्य का प्रारम्भ 10 जून 1999 को बतौर प्राथमिक शिक्षक किया था। लगभग 17 वर्षों तक कार्य करने के बाद पदोन्नति प्राप्त कर मैं 2016 से टीजीटी आर्ट्स के पद पर कार्य कर रहा हूँ। मेरा मूल कार्य बच्चों के शिक्षण से जुड़ा है, मैं कक्षा 6 से कक्षा 10 तक के बच्चों को अंग्रेजी और समाजिक विज्ञान विषय पढ़ाता हूँ। मैं अध्यापन को सरल बनाने के लिए गतिविधि आधारित शैक्षणिक प्रक्रिया पर बल देता हूँ।
2) अभी तक के सफर में सरकार से जुड़कर काम करने का अनुभव कैसा रहा है?
शिक्षक के रूप में सरकार के साथ कार्य करने का अनुभव बेहतरीन रहा है। शिक्षण को बेहतर बनाने के लिए मेरे द्वारा किए गये प्रयासों और नवाचारों को लेकर सरकार से मुझे भरपूर सहयोग मिला है। मैं यहाँ बताना चाहूँगा कि राज्य प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक और सर्व शिक्षा अभियान के प्रोजेक्ट निदेशक ने मेरे कार्य प्रतिभा से प्रभावित होते हुए मुझे शिक्षा में सुधार के लिए एक वर्ष प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर के रूप में सर्व शिक्षा अभियान में कार्य करने का अवसर प्रदान किया। मैं छात्र केन्द्रित शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अभी तक 2 किताबें लिख चुका हूँ।
3) आपके करियर में अभी तक की क्या बड़ी सफलताएं रहीं हैं? एक या दो के बारे में बताईये |
मैं शिक्षा को (Joyful learning) आनंदमय सीख बनाने के लिए प्रयासरत हूँ| मैंने दूसरे शिक्षकों की सहायता के लिए अपनी प्रथम पुस्तक ‘प्रारंभिक शिक्षण एवं अधिगम सामग्री’ प्रकाशित की। इस पुस्तक में कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाए जाने वाले सभी महत्वपूर्ण विषयों के लिए शिक्षण अधिगम सामग्री (TLM) बनाने व कक्षा प्रयोग की सचित्र विधियां संचित हैं| हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त राष्ट्रीय कार्यशाला में आए देश के दूसरे राज्यों के शिक्षकों को यह पुस्तक भेंट कर TLM संबंधी विधियों का प्रसार किया| NCERT, NUEPA, SCERT, SSA तथा शिक्षा विभाग को अपनी पुस्तकें सौंपकर शिक्षण को छात्र केंद्रित बनाने का प्रयास किया है। इस शोध ने बच्चों की शिक्षा को लेकर बहुत अच्छे परिणाम दिए हैं| मैंने अपनी दूसरी पुस्तक प्रकाशित की जिसका नाम “गतिविधि आधारित शिक्षण” है। यह पुस्तक हिमाचल सहित हरियाणा, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, ओडिशा और कर्नाटक के प्रतिनिधित्व करने आए शिक्षकों को प्रदान की गई|
दूसरा, वर्तमान में हिमाचल के स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे अधिकांश बच्चे खराब लिखावट की समस्या से जूझ रहे हैं। इस समस्या के समाधान हेतु पाठशाला स्तर पर लिखावट सुधार अभ्यास प्रारम्भ किया। मैंने 4 सामान्य स्ट्रोक्स का अभ्यास करवाया तथा सभी बच्चों को प्रतिदिन लिखावट सुधारने के लिए अभ्यास करवाया| लगभग 2 माह के पश्चात अधिकांश बच्चों के लेख में सुन्दरता आ गई| प्रथम लिखावट प्रदर्शनी में मेरी 240 हस्तलिखित प्रतियाँ प्रदर्शित हुईं|
4)इन सफलताओं के रास्ते में क्या कुछ अनोखी मुश्किलें या परिस्थितियाँ सामने आयी? इनका समाधान कैसे हुआ? क्या आप अपने अनुभव से इसके उदाहरण दे सकते हैं?
मैंने जब शिक्षण में नवाचारों को लेकर प्रयास शुरू किये, तो लेखन कौशल को सुंदर बनाने को लेकर मेरे प्रयास विभाग और अभिभावकों को आरम्भ में इतने रुचिपूर्ण नहीं लगे| मैंने यह पहल शिमला के दो स्कूलों में पायलट के तौर आरम्भ की जिसके परिणाम मैंने विभाग को प्रस्तुत किये| उन्होंने मेरे इस गतिविधि को लेकर मुझे भविष्य में हर संभव सहयोग प्रदान करने के लिए आश्वासन दिया|
इस तरह की गतिविधियों के लिए निर्धारित समय में ही अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता होती है| शिक्षण के साथ-साथ अन्य नवाचारों के लिए समय देना थोड़ा चुनौतीपूर्ण तो है, परन्तु मैं इन सबको अच्छे से प्रबन्धन करने में सफल रहा हूँ|
5)बेहतर शासन और सेवा वितरण में आप अपना योगदान किस प्रकार देखते हैं?
मैं यह मानता हूँ कि शिक्षण के कार्य में गतिविधि आधारित शिक्षण, प्रारंभिक शिक्षण अधिगम सामग्री और लेखन कौशल को लेकर मैंने जो शोध कार्य किया है उसे मैं अधिक से अधिक हितधारकों तक पहुंचा पाऊं | मैं भविष्य में अपनी पुस्तकों का ज्ञान प्रेरणादायक पॉडकास्ट और वीडियो के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना चाहता हूँ ताकि मैं समाज में बेहतर योगदान देने में सफल हो संकू|
6) अपने काम के किस पहलु से आपको अधिक ख़ुशी मिलती है?
मुझे असमर्थ निर्धन वर्ग के बच्चे जिनके पास सुविधाओं का अभाव है, उनकी आर्थिक व शैक्षणिक रूप से सहायता करना अच्छा लगता है। बच्चे के व्यवहार और शिक्षा में अपना कुछ योगदान दे पाऊं, यह मुझे खुशी देता है| बच्चों की लर्निंग में अतिरिक्त सुधार लाने को लेकर मैं तत्पर रहता हूँ। दूसरा जब मुझे यह मालुम हुआ कि मेरे लेखन कौशल से 50,000 से अधिक बच्चें लाभान्वित हुए हैं, तो यह मेरे लिए गर्व के पल रहे हैं| मैं इतने बड़े पैमाने पर कुछ परिवर्तन कर पाया, उसी का नतीजा है कि अध्यापक वर्ग की मेरे इस नवाचार को लेकर रूचि बढ़ी है। मैंने निजी साईं फाउंडेशन स्कूल मंडी और सरस्वती विद्या मंदिर शिमला के अध्यापकों और बच्चों को लेखन कौशल को लेकर प्रशिक्षित किया है। इसके अलावा शिमला के बहुत से निजी स्कूलों की तरफ से मुझे आमंत्रित किया गया है, कि मैं वहां जाऊं और अध्यापकों को लेखन कौशल को लेकर टिप्स दूँ| यदि निजी स्कूल का प्रबंधन एक सरकारी स्कूल के अध्यापक को बुलाता है, तो इस से बड़े गर्व की बात मेरे लिए नहीं हो सकती है। हिमाचल के पूर्व राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी ने हरियाणा में अपने गुरुकुल में मुझे आमंत्रित किया है कि मैं वहां जाकर गुरुकुल के बच्चों को लेखन को लेकर टिप्स दूँ| कहीं न कहीं मेरे यह प्रयास मुझे ऊर्जा और कुछ नया करने के लिए प्रेरित करते हैं।
7) i) अच्छे अधिकारी के 3 ज़रूरी गुण?
एक अच्छे अधिकारी में कार्य के प्रति ईमानदारी, सम्पर्ण और कुछ नया करने का जुनून होना जरूरी है| इसके अलावा पहले हम खुद एक उदाहरण पेश करें, तभी दूसरे से अपेक्षा कर सकते हैं कि वे भी समाज में विकास के लिए अपना योगदान देंगे।
ii) काम से सम्बंधित वह ज़िम्मेदारी जिसमें सबसे ज़्यादा मज़ा आता हो?
मुझे शिक्षा से जुड़े शोध कार्यों में व्यस्त रहना अच्छा लगता है। बच्चों को गतिविधि आधारित शिक्षण प्रक्रिया में योगदान देना मुझे रुचिकर लगता है।