प्रशासन के सितारे: श्रीमती उमा साळुंखे

‘प्रशासन के सितारे’ सेक्शन में आईये आपको सतारा, महाराष्ट्र से श्रीमती उमा साळुंखे जी से मिलवाते हैं जो महिला एवं बाल विकास विभाग में सुपरवाइज़र के पद पर रहते हुए अपनी बेहतर सेवाओं के लिए कई अवार्ड प्राप्त कर चुकी हैं

सवाल: आप अपने बारे में कुछ बताएं?   

जवाब: मेरा नाम उमा साळुंखे है। मेरा प्रारम्भिक बचपन एवं प्राथमिक से लेकर ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई सांगली, महाराष्ट्र में ही पूरी हुई। वर्ष 1997 में मास्टर ऑफ़ सोशल वर्क की पढ़ाई जकातवाडी, जिला सतारा में पूरी करने के बाद मैंने लगभग 10 साल अलग-अलग संस्थाओं में रहकर विभिन्न पदों पर कार्य किया। उसके बाद डिपार्टमेंट ऑफ़ वीमेन एंड चिल्ड्रेन इन रूरल एरिया (डी.डब्ल्यु.सी.आर.ए.) में कार्य किया। कुछ समय के पश्चात आंगनवाड़ी प्रशिक्षण सेंटर पर प्रचार्य के रूप में भी कार्य किया।  

सवाल: आप अभी किस विभाग में तथा किस पद पर कार्य कर रहे हैं? 

जवाब: मैंने वर्ष 2006 से महिला एवं बाल विकास विभाग में लेडी सुपरवाइज़र के पद पर अपना कार्य करना शुरू किया। वर्तमान में मैं महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत सतारा प्रकल्प के कोंडवे बिट की ज़िम्मेदारी को सम्भाल रही हूँ। इसके अलावा हम विभागीय निर्देशानुसार अलग-अलग संस्थाओं से मिलकर इनोवेशन प्रोग्राम को चलाते हैं, ताकि सेवाओं को बेहतर तरीके से लोगों तक पहुंचाया जा सके।

सवाल: अपने मुख्य कार्यों को बताते हुए ये बतायें की आपके ऐसे कौन से प्रमुख कार्य हैं, जो सीधे तौर पर नागरिकों से जुड़े हुए हैं?

जवाब: मेरा मुख्य कार्य आंगनवाड़ी केंद्र का दौरा एवं निरीक्षण करना, ऑफिस के कार्य, जिला, ब्लॉक, बिट और आंगनवाड़ी स्तर पर मीटिंग करना रहता है। ब्लॉक से मिले आदेशों को अपने बिट में देना तथा उसी के अनुसार सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से समय-समय पर रिपोर्ट भी लेना होता है। मेरा प्राथमिक कार्य स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा के संदर्भ में करना शामिल है। हमारे लगभग सभी कार्य महिलाओं के साथ जुड़े हुए हैं जिसके तहत पूरक पोषण आहार, टेक होम राशन, स्वास्थ्य सेवा, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, कुपोषण निर्मूलन, ग्राम बाल विकास केंद्र, किशोरी के लिए सेवा, संदर्भ सेवा, ग्रह भेटी अदि सम्मिलित हैं। यदि लाभार्थियों को सेवा मिलने में कोई समस्या होती है तो वे सीधे तौर पर हमारे साथ जुड़ जाते हैं। ख़ासकर, कोरोना महामारी में अलग-अलग संस्थाओं के माध्यम से हमने काफी सारा कार्य  किया है जिसमें महामारी से लड़ने के संदर्भ में दवाई, राशन, संसाधन, मास्क सेनेटाईज़र व स्वास्थ्य किट उपलब्ध करवाये हैं। हमने इस दौरान 100 से अधिक ज़रुरतमंद परिवारों को राशन किट का वितरण भी किया है।

सवाल: एक अधिकारी के तौर पर आपकी अभी तक की क्या बड़ी सफलताएं रही हैं? क्या आप एक या दो सफलताओं के बारे में बता सकते हैं?      

जवाब: पहले मैं परळी बिट में काम करती थी जहाँ मैंने काफी बच्चों की सर्जरी को लेकर भी कार्य किये। इसके अलावा हमारे यहाँ ग्रामीण क्षेत्र में अंधश्रद्धा में लोग काफी जकड़े हुए थे जिसका एक किस्सा मैं आपके साथ साझा कर रही हूँ। एक 4 साल की बच्ची को गंभीर बीमारी थी लेकिन उसके माता-पिता हॉस्पिटल में जाने के बजाये अंधश्रद्धा से जुड़े लोगों से इलाज करवा रहे थे। मैंने उनको बहुत समझाया तथा उस लड़की को जिला के अस्पताल में एडमिट करवाया और उसका इलाज सरकारी अस्पताल में करवाया जिससे वो पूरी तरह से स्वस्थ हो गयी। मैंने स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ जुड़कर कई सारे प्रकल्प चलाये, जिसमें अंधश्रद्धा निर्मूलन, कुपोषण, एड्स, किशोरी, बेटी बचाव को लेकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं तथा आशा की क्षमता वृद्धि से जुड़े कार्यक्रम किये। मैंने मेरे क्षेत्र में 12 लाभार्थियों की सफलतापूर्वक हार्ट सर्जरी करवाई तथा साथ ही सतारा जिले के लिए मिशन धाराऊ कार्यक्रम (नवजात बच्चे जो किसी कारण अपने माता से बिछड़ जाते हैं उनके लिए माँ के दूध का प्रबंधन) के लिए लेखन कार्य भी किया। 

मैंने बाकि जिलों जैसे अमरावती, चंद्रपुर, गडचिरोली, धाराशिव, पुणे, कोल्हापुर, सांगली में जाकर स्वास्थ्य, कुपोषण, महिला एवम बच्चों के विकास विषय को लेकर अभ्यास दौरा किया। इसमें तरुण-तरुणाई के लिए लैंगिक शिक्षण, सायबर क्राइम, लोगों के व्यक्तित्व विकास को लेकर मेले के आयोजन किये हैं। मैंने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के लिए जिला स्तर पर महिला एवम बाल विकास विभाग के लिए मार्गदर्शक पुस्तिका का लेखन कार्य भी किया तथा साथ ही विडियोज़ भी बनाये। इन कार्यों को लेकर सरकार द्वारा मुझे साल 2013 – 14 में ‘आदर्श लेडी सुपरवाइजर’ के रूप में समानित किया गया। इसी क्रम में दलित महिला विकास महामंडल की ओर से मुझे ‘सावित्रीबाई पुले संघर्ष पुरस्कार’ से भी समानित किया गया। इसके अलावा मुझे व्हेकेशनल पुरस्कार, हिरकणी पुरस्कार, स्पेशल अचीवमेंट अवार्ड, कोरोना योद्धा जैसे कई  पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया। ये सभी सम्मान हासिल करने में मुझे अपनी टीम तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का भरपूर सहयोग मिला।

सवाल: आपके अभी तक के सफ़र में क्या प्रमुख चुनौतियाँ रही हैं? क्या आप एक या दो उदाहरण दे सकते हैं? आपने इनका समाधान कैसे किया?

जवाब: फिल्ड में काम शुरू करने में थोड़ी समस्याएं ज़रूर रही हैं जैसे महिलाओं को कार्यों के प्रति उत्साहित करने में ज्यादा समय लगता है। ऑफिस कार्य के अलावा समाज के प्रति सेवा भाव के उद्देश्य से अलग–अलग प्रोजेक्ट किये और कहीं न कहीं फण्ड की कमी की वजह से मुझे कई अलग-अलग संस्थाओं से मिलकर उनसे सहयोग लेना पड़ा। अभी इस महामारी की दौर में जो महिलायें विधवा हो गई थीं, उनके बच्चों को स्कूल के लिए संसाधन जुटाने में थोड़ी समस्या का सामना करना पड़ा। अपने शुरूआती दिनों में मैंने जिन संस्थाओं में काम किया था उनके सहयोग से भी काफी सारी समस्याओं का समाधान हुआ। 

सवाल: आप जिस क्षेत्र में काम करते हैं, उसमें ऐसी कौन सी एक या दो प्रमुख चीजें हैं जिनका अनुसरण करते हुए लाभार्थी आसानी से लाभान्वित हो सकते हैं?

जवाब: विभिन्न श्रेणी के अंतर्गत हमारे लाभार्थी जैसे गर्भवती महिलाएँ, धात्रीं महिलायें, किशोरियां तथा अलग-अलग उम्र के बच्चे हैं जिन तक हमें सेवाएं पहुंचाना होता है। इसके अलावा जब हम बच्चों के कुपोषण को कम करने के सन्दर्भ में बैठकें करते हैं तो उस दौरान गर्भवती महिला एवं धात्री महिलाओं को आहार संबंधी ज़रूरी जानकारी देते हैं। इसके साथ ही जब आंगनवाडी कार्यकर्ता होम विज़िट करती हैं तब इन सभी विषयों पर ज्यादा फोकस करती हैं। 

सवाल: कई बार देखने को मिलता है कि सरकार की बेहतर योजनाओं के बावजूद भी लाभार्थियों को उनका लाभ समय पर नहीं मिल पाता, आपके अनुसार इसके क्या प्रमुख कारण हो सकते हैं?

जवाब: हाँ! इसमें कुछ लाभार्थियों को लाभ मिलने में अवश्य देरी होती है जोकि समय से मिलना चाहिए। जैसे बेबी केयर किट की बात करें तो यह नवजात शिशु के लिए दिया जाता है। इसमें हमारी ओर से डिमांड समय पर जाती है लेकिन कभी-कभी विभागीय सप्लाई ही किसी वजह से समय पर नहीं पहुंच पाती है जिसके कारण सेवा प्रभावित होती है। देरी के कुछ कारण हो सकते हैं जैसे कार्यों का वर्कलोड, टेंडर, डिमांड, अलग-अलग सप्लायर, ट्रांसपोटेर्शन इत्यादि।

सवाल: अपने काम से जुड़ा ऐसा कौन सा पहलु है जिसको करने में आपको गर्व महसूस होता है?

जवाब: मुझे समाज के प्रति कार्य करने में उत्साह पहले से था। इस जॉब में मुझे जो जिम्मेदारी दी गयी है वह तो मैं पूरी करती ही हूँ लेकिन इसके अलावा जब जिला में सीईओ के द्वारा हमें जो कार्य मिलते हैं, उनको करने में मुझे बहुत गर्व महसूस होता है। उदाहरण के तौर पर जैसे “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” की मार्गदर्शन पुस्तिका तैयार करने की ज़िम्मेदारी हमें दी गयी थी, जिसे हमने अच्छे से पूरा किया। अभी जो “मिशन धराऊ” होने जा रहा है, उसका लेखन भी हम कर रहे हैं। जब ऐसे कुछ अलग तरह के काम करने को मिलते हैं तो मुझे बहुत ख़ुशी महसूस होती है। विभाग के नियमित कार्यों के अलावा इनोवेशन प्रोग्राम को करने में भी मुझे बहुत ख़ुशी मिलती है। मैं जो भी सूचना अपनी टीम को देती हूँ वे सभी अच्छे से पालन करते हैं जिससे मुझे उन पर बहुत गर्व होता है । 

सवाल: यदि आपको अपना काम करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्रता मिले, तो ऐसा एक कौन सा कार्य है जो आप ज़रूर करना चाहेंगे?

जवाब: मेरा मानना है कि किशोरीयों, धात्री व गर्भवती महिलाओं के व्यक्तित्व, मानसिक  व शारीरिक विकास के लिए आईईसी के अंतर्गत कई सारे इनोवेशन प्रोग्राम का सृजन किया जा सकता है। विशेष रूप से महिलाओं को सभी तरह की सेवायें देने की दिशा में आवश्यकता आधारित मूल्यांकन करके उसके अनुसार लाभार्थियों को सेवा देने का कार्य करना चाहिए। जैसे की  कुपोषण दूर करना स्वास्थ्य के नियमित चेकअप, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का सशक्तिकरण, क्षमता निर्माण आवश्यक है। आंगनवाड़ी में प्री-स्कूल शिक्षा के लिए कार्यकर्ताओं को अच्छे से तैयार करना होगा, जिससे आगे का कार्य बेहतर हो ऐसा मुझे लगता है ।