जवाबदेही को बढ़ाने की एक कोशिश! – ‘बजट सीरीज़’

एक लोकतांत्रिक देश के नागरिक होने के नाते जवाबदेही हम-आप सभी के जीवन का एक अहम हिस्सा है, जिसके तहत हम सभी जब इस शब्द के महत्व का सही अर्थ जान पाते हैं, तो एक बेहतर माहौल बनता है। ऐसा नहीं है कि हमेशा जवाबदेही अपने से उच्च व्यक्तियों, सरकारों तथा संस्थाओं के प्रति ही हो, बल्कि जवाबदेही दोनों तरफ होनी चाहिए। 

नए वित्तीय वर्ष का बजट आने वाला है और एक नागरिक के तौर पर हमें बजट से अनेकों अपेक्षाएं रहती हैं। अतः ‘हम और हमारी सरकार’ वेबसाइट के माध्यम से हम आपके लिए बजट से जुड़ी विभिन्न महत्वपूर्ण जानकारियाँ समय-समय पर साझा करते रहेंगे ताकि आप उनसे सीख सकें तथा उन जानकारियों का इस्तेमाल भी कर पाएं। 

आज के इस अंक में बात करते हैं कि हम एक रिसर्च समूह के तौर पर आख़िर कैसे जवाबदेही को बढ़ाने के लिए बजट के आंकड़ों का इस्तेमाल करते हैं!

अकाउंटबिलिटी इनिशिएटिव समूह, के तौर पर हम प्रत्येक वर्ष सरकार की प्रमुख केन्द्रीय प्रायोजित योजनाओं में प्लानिंग , बजट आवंटन, खर्च तथा उनसे होने वाले ज़मीनी परिणामों का विश्लेषण करते हैं। योजनायें, जैसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन, समग्र शिक्षा, जल जीवन मिशन सहित अन्य कई योजनाओं का आकलन करके एक पूरा दस्तावेज तैयार करते हैं। इस दस्तावेज को बजट ब्रीफ कहा जाता है जिसे सरकार के उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर ही तैयार किया जाता है। हमारा मानना है कि जब लोग सशक्त होंगे, सेवा प्रदाता उत्तरदायी होंगे और नीति निर्माता जागरूक होंगे, तभी जवाबदेही के लिए उचित वातावरण बन पायेगा। हमारा मुख्य उद्देश्य कुशल सार्वजनिक सेवाओं के कार्यान्वयन में आने वाली कठिनाइयों को पहचानना और उनका विश्लेषण करके नीति निर्माताओं, सेवा प्रदाताओं और नागरिकों के सामने लाना है। इस दस्तावेज के तथ्यों को हम इस तरह से सरल करने की कोशिश करते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा नागरिक आंकड़ों के पीछे छुपी हक़ीकत को आसानी से समझ पाएं। बजट ब्रीफ एक पारदर्शी तथा जवाबदेही उपकरण के तौर पर तैयार किया जाता है, ताकि नागरिक सेवा प्रदाताओं से जवाब मांग सकें।

एक ज़िम्मेदार समूह होने के नाते हम बजट ब्रीफ दस्तावेज के परिणामों को अपने हितधारकों जैसे सामाजिक क्षेत्र में कार्य कर रही संस्थाओं, मिडिया, अधिकारीयों एवं नागरिकों एवं प्रतिनिधियों तक यह जानकारियां विभिन्न माध्यमों से पहुंचाने का प्रयास करते हैं। इस दस्तावेज़ के माध्यम से नागरिक जान पाते हैं कि योजनाओं में सरकार कितना बजट आवंटित करती है तथा किस तरह उसका खर्चा विभिन्न गतिविधियों में करती है और इसी से मालूम चलता है कि आखिर पैसा ज़मीनी स्तर पर इतना देरी से क्यों मिलता है! 

 

‘बजट सीरीज़’ के अगले अंक में हम आपके लिए बजट से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां लेकर आयेंगे! अगर आपके पास बजट तथा उसकी प्रक्रिया से जुड़े कुछ सवाल हैं तो आप हमें humaari.sarkaar@cprindia.org पर लिखें! हमारी टीम आपके सवालों का जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेगी।