‘महामारी के दौरान हमें कोई वित्तीय प्रोत्साहन नहीं मिला है’

अप्रैल 2020 में शुरू की गई ‘इनसाइड डिस्ट्रिक्ट्स’ श्रृंखला जिला और ब्लॉक स्तर के अधिकारियों, पंचायत पदाधिकारियों, लाभार्थियों और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के अनुभवों, उनकी चुनौतियों और बेहतरीन कार्यों को संजोने का एक अनूठा प्रयास है।

यह साक्षात्कार 24 अप्रैल 2022 को बिहार में एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के साथ आयोजित किया गया था, जिसका अनुवाद किया गया है।

प्रश्न: क्या आंगनवाड़ी केंद्र के दुबारा खुलने से उसके अंदर नियमित गतिविधियां शुरू हो गई हैं? आपको कोविड-19 से जुड़े उचित व्यवहार बनाए रखने के संबंध में किस तरह के निर्देश दिए गए हैं?

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता: हमारा आंगनवाड़ी केंद्र नवंबर 2021 से चलना शुरू हो चुका है तथा गोदभराई और अन्नप्राशन (समुदाय आधारित कार्यक्रम) सहित सभी गतिविधियाँ शुरू हो गयी हैं।

हमें एलएस (लेडी सुपरवाइजर) और सीडीपीओ (बाल विकास परियोजना अधिकारी) से दिशा-निर्देश प्राप्त हुए हैं ताकि बच्चों के बीच शारीरिक दूरी और नियमित रूप से हाथ धोने जैसे कोविड-19 उचित व्यवहार को बनाए रखा जा सके। इसके अलावा नियमित टीकाकरण और ईसीसीई (अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन) जैसी गतिविधियां हो रही हैं। केंद्र में अब पहले से ज्यादा बच्चे आते हैं।

प्रश्न: आपके इलाके में कुपोषण की स्थिति क्या है? क्या बच्चों को गर्म पका खाना परोसा जा रहा है?

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता: हमारे यहाँ पर पोषण की स्थिति ठीक है। जो बच्चे अधिक बीमार या कमज़ोर हैं, मैं उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाने की सलाह देती हूं।

हां, मैंने पिछले नवंबर में ही सभी बच्चों को गर्म पका हुआ खाना परोसना शुरू कर दिया था। इसके अलावा मैं टीकाकरण और पौष्टिक भोजन जैसे दूध, सब्जियां और दाल के बारे में भी सलाह देती हूं।

प्रश्न: क्या आपके काम में ऐसी कोई चुनौतियाँ हैं जिनका आप इस समय सामना कर रहे हैं? आपके हिसाब से उनके समाधान के लिए क्या उपाय हैं?

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता: कोविड-19 में सभी सेवाओं को घर-घर पहुंचाने का काम इस दौरान बहुत कठिन रहा है, परन्तु अब ऐसी कोई समस्या नहीं है।

वर्तमान में, सबसे बड़ी समस्या पोषण ट्रैकर ऐप पर दस्तावेज़ को भरना है क्योंकि यह ठीक से काम नहीं करता है। यह ऐप बच्चों, लड़कियों और गर्भवती तथा स्तनपान कराने वाली महिलाओं के बीच प्रमुख पोषण मानकों को ट्रैक करने का काम करता है। यह ट्रैकर हमारे आवेदन भरने के बाद भी इसे आगे नहीं भेजता। जब मैं इसको लेकर अपने उच्च अधिकारीयों से बात करती हूं, तो वे हमें सही से अपना इंटरनेट कनेक्शन की जांच करने के लिए कहते हैं। जब हम घर-घर जा रहे होते हैं, तब भी यह काम नहीं करता है जिससे काफी परेशानी होती है। हमारे पास इसका कोई उचित समाधान नहीं है।

दूसरा, 6 महीने से 3 साल तक के सभी बच्चों को आधार का उपयोग करके पोषण ट्रैकर से जोड़ने की आवश्यकता है, तभी उन्हें टेक होम राशन (टीएचआर) दिया जा सकता है। लेकिन उनके अभिभावकों के अनुसार ऐसे छोटे बच्चों का आधार प्राप्त करना कठिन है, जिसके कारण हमें टेक होम राशन प्रदान करने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है। इसलिए मैं आजकल रजिस्टर के हिसाब से ही टेक होम राशन देती हूं न कि ट्रैकर के हिसाब से।

प्रश्न: आपके अनुसार कोविड-19 महामारी के दौरान, ऐसी  क्या चीजें थीं जो सरकार द्वारा प्रदान की जानी चाहिए थीं लेकिन नहीं की गयीं?

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता: कोविड-19 की अवधि के दौरान, हमें एक मास्क और सैनिटाइज़र केवल एक ही बार मिला था। हमारा वेतन भी कम है और वह भी समय पर नहीं दिया जाता है। हमें कोविड-19 अवधि के दौरान भी कोई प्रोत्साहन नहीं दिया गया (बिहार ने महामारी से संबंधित प्रोत्साहनों की घोषणा नहीं की थी)। मैं पूरे दिन एक टीकाकरण शिविर में काम करती थी, लेकिन उसके लिए भी कोई वित्तीय प्रोत्साहन नहीं दिया जाता था।

हमें सरकार से और कुछ नहीं चाहिए, लेकिन कम से कम वे हमारा वेतन बढ़ा सकते हैं और नियमित रूप से उसका भुगतान कर सकते हैं। इतने कम वेतन (लगभग ₹6,000 प्रति माह) पर कोई अपना घर नहीं चला सकता, खासकर जब से सब कुछ दिन-ब-दिन महंगा होता जा रहा है। पिछले दो वर्षों से न तो बच्चों को और न ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को वर्दी के लिए पैसे दिए गए हैं और फिर भी निरीक्षण के दिनों में हमें उन्हें पहनने के लिए कहा जाता है। वह कैसे संभव है?

ऐसे ही अधिक अनुभवों को जानने के लिए आप इनसाइड डिस्ट्रिक्स प्लेटफ़ॉर्म पर जा सकते हैं।