“लोग सोचते हैं कि आंगनबाड़ी केंद्र उन्हें लाभ से वंचित रख रहे हैं”
अप्रैल 2020 में शुरू की गई ‘इनसाइड डिस्ट्रिक्ट्स’ श्रृंखला जिला और ब्लॉक स्तर के अधिकारियों, पंचायत पदाधिकारियों, लाभार्थियों और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के अनुभवों, उनकी चुनौतियों तथा उनके बेहतरीन कार्यों को संजोने का एक अनूठा प्रयास है।
यह साक्षात्कार 7 मई 2022 को बिहार में की महिला एवं बाल विकास विभाग की लेडी सुपरवाइज़र के साथ हिंदी में आयोजित किया गया था, जिसका अनुवाद किया गया है।
सवाल: क्या माता-पिता अपने बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्रों में भेज रहे हैं? अगर नहीं, तो क्या आपको किसी प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है?
लेडी सुपरवाइज़र: हां, अभिभावक अपने बच्चों को भेज रहें हैं। महामारी से पहले माता-पिता खुद बच्चों को नियमित तैयार करवाकर केंद्र भेजते थे लेकिन अब हमें एक बच्चे के घर जाकर दो से तीन बार उन्हें केंद्र पर बुलाने के लिए जाना पड़ता है। पिछले दो वर्षों में केंद्र पर न आने की वजह से चीजें थोड़ी मुश्किल हुई हैं।
सवाल: क्या आपको इस महामारी में बच्चों में कुपोषण की स्थिति में बदलाव देखने को मिला है? बच्चों को पौष्टिक भोजन के रूप में क्या दिया जा रहा है?
लेडी सुपरवाइज़र: कुपोषण की स्थिति वैसी ही है जैसी पहले थी, क्योंकि हम केवल आधे बच्चों को ही सेवाएं दे पाए थे।
जब हम गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) भेजने की सलाह देते हैं, तब भी उनके माता-पिता सहमत नहीं होते हैं। इनमें से अधिकांश अभिभावकों के पांच से सात बच्चे हैं, वे उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र में रहने के लिए नहीं छोड़ना चाहते हैं।
हम पौष्टिक भोजन के रूप में दाल, चावल और सोयाबीन दे रहे हैं।
सवाल: आपके अनुसार, कोविड-19 महामारी के दौरान, क्या ऐसी चीजें थीं जो सरकार को प्रदान करनी चाहिए थीं लेकिन नहीं कीं? वहीं, ऐसी क्या ज़रूरी चीजें थीं जो मुहैया कराई गयीं?
लेडी सुपरवाइज़र: हमें सरकार द्वारा ज़रुरत के अनुसार सुरक्षा मास्क, सैनिटाइज़र और पीपीई किट प्राप्त होनी चाहिए थी। लेकिन विभाग से हमें केवल एक ही मास्क मिला, इससे क्या फायदा हो पाता? मुझे काम पर जाने से पहले खुद के पैसे से ही सभी सुरक्षा उपाय लेने पड़ते थे।
हमें तो सरकार से सिर्फ मानदेय मिलता है और अब सरकार से इससे ज्यादा कुछ की उम्मीद भी नहीं है।
सवाल: इस समय आपकी प्राथमिक जिम्मेदारियां क्या हैं? उनमें आप किन चुनौतियों का सामना कर रही हैं?
लेडी सुपरवाइज़र: मुझे यह सुनिश्चित करना होता है कि हर महीने गोदभराई और अन्नप्राशन जैसे समुदाय-आधारित कार्यक्रम से जुड़ी गतिविधियाँ सही से हो पाएं।
जहां तक चुनौतियों का सवाल है- मेरे क्षेत्र में 12 आंगनवाड़ी केंद्र हैं, लेकिन उनका काम अभी पूरा नहीं हुआ है। जिलाधिकारी के आदेश के अनुसार हमें केंद्रों के भीतर ही बच्चों के लिए कक्षाएं चलानी हैं।
इसके अलावा, एक हजार से अधिक लोगों की आबादी के लिए, हमें मानदंडों के अनुसार केवल 40 से 45 बच्चों के लिए टेक होम राशन (टीएचआर) मिलता है। लेकिन जब ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता और पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) होता है, तो टीएचआर नहीं पाने वाले लोग भी टीकाकरण के लिए नहीं आते हैं! हमें उन्हें समझाना होगा कि टीएचआर और टीकाकरण दो अलग-अलग चीजें हैं, और यह कि टीकाकरण उनके तथा उनके बच्चों दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
सवाल: क्या आंगनबाड़ी केन्द्र में प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) हो रही है? ईसीसीई के संबंध में आपको क्या निर्देश प्राप्त हुए हैं?
लेडी सुपरवाइज़र: हां, हमें ईसीसीई के लिए सामग्री मिली है और इसके लिए गतिविधियां की जा रही हैं। लेकिन आंगनवाड़ी कार्यकर्ता स्वयं सामग्री का उपयोग नहीं करती हैं। जब मैं केंद्र में जाती हूं और उनसे कहती हूं कि वे सामग्री निकालकर बच्चों को दें। तब जाकर वे यह सामग्री बच्चों को देती हैं।
इसके अलावा आंगनवाड़ी केंद्र को एक स्कूल से टैग किया गया है।
सवाल: पिछले छह महीनों के दौरान आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने आपके ध्यान में किस तरह की समस्याएं लाई हैं?
लेडी सुपरवाइज़र: उनकी सबसे बड़ी चुनौती पोषण ट्रैकर को भरना है [जो बच्चों, लड़कियों और गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के बीच प्रमुख पोषण मानकों को ट्रैक करता है]। कई आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने इसका ज्यादा अध्ययन नहीं किया है और आमतौर पर ट्रैकर को अपडेट करने का काम उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा ही किया जाता है, जैसे उनका बेटा या बेटी। कार्यकर्ताओं के सामने एक और चुनौती यह है कि लाभार्थी टीकाकरण के लिए केंद्र में नहीं आना चाहते हैं।
सवाल: क्या आपको पिछले दो वर्षों में लाभार्थियों से सेवा वितरण के संबंध में कोई शिकायत प्राप्त हुई है? इसके विपरीत, क्या आपको आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से भी इस तरह की शिकायतें प्राप्त हुई हैं?
लेडीसुपरवाइज़र: हाँ, जब हमें 40 बच्चों के बदले 20 के लिए गर्म भोजन की आपूर्ति या फिर केवल आधी लाभार्थी स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पैसे मिलते थे, तो बहुत से लोग सोचते थे कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता उन्हें लाभ मिलने से रोक रही हैं। हमें यह समझाना पड़ा कि इस समय सभी के लिए सरकार से मिलने वाली सुविधा उपलब्ध नहीं थी।
अब भी, जब 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों को गर्म पका हुआ भोजन परोसा जाता है, तो वे इसके साथ सूखा टेक होम राशन (टीएचआर) मांगते हैं। उनके अनुसार, चूंकि वे इसे पहले प्राप्त करते थे, वे दुबारा इसे लेना चाहते हैं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अपने स्तर पर इतना ही कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता केंद्र के तहत 40 बच्चों के लिए मिलने वाली आपूर्ति से दो या तीन अतिरिक्त बच्चों को खिला सकते हैं लेकिन उन्हें जितना मिलता है उससे अधिक प्रदान नहीं कर सकते।
जब आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हमारे पास ये शिकायतें लेकर आती हैं तब भी हम उन्हें यही बात समझाते हैं! कभी-कभी वे समझती हैं और कभी नहीं। मैं ऐसी स्थिति में बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) से संपर्क करती हूं।
ऐसे ही ज़मीनी अनुभवों को जानने के लिए आप इनसाइड डिस्ट्रिक्ट्स प्लेटफॉर्म पर जा सकते हैं।