‘साथियों के विचार’ – आशीष जोशी

नमस्ते साथियों!

मेरा नाम आशीष जोशी है और मैं विगत 2 वर्षों से सिनर्जी संस्थान हरदा (मध्यप्रदेश) से जुड़कर कार्य कर रहा हूं। सिनर्जी संस्थान को 2006 में विमल जाट, अजय पंडित, विष्णु जायसवाल द्वारा हरदा जिले में संचालित किया गया था। सिनर्जी संस्थान एक समुदाय आधारित युवा-नेतृत्व वाला संगठन है, जिसका उद्देश्य मध्य प्रदेश के ग्रामीण और आदिवासी समुदायों के बच्चों, किशोरों और युवाओं को उनकी क्षमता का निर्माण करने, जागरूक नागरिक बनने और सामाजिक समावेश सुनिश्चित करने के लिए उन्हें नेतृत्व करने के प्रति सशक्त करना रहा है।  मैंने इस दौरान सामाजिक विकास के मुद्दे जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण तथा अधिकारों के प्रति जागरूकता पर विभिन्न कार्य किए हैं।

वनांचल क्षेत्रों में आज भी लोग डिजिटल शिक्षा से काफी दूर हैं। वहां पर समुदाय के लोगों को शासन से मिलने वाली सुविधाओं से बहुत कम लोग अवगत हो पाते हैं। वर्तमान में मेरा कार्य सिनर्जी संस्थान चाइल्ड लाइन में देख-रेख, संरक्षण वाले बच्चों को शिक्षा से जोड़ना, उनके अधिकारों के प्रति उन्हें अवगत कराना तथा समुदाय को जागरूक करना होता है। इसके साथ ही हम किशोर बच्चों पर अधिक कार्य करते हैं क्योंकि किशोरावस्था में भावनात्मक असंतुलन और तनाव की सम्भावना अधिक होती है। भारत में पीरियड्स यानी माहवारी आज भी एक ऐसा मुद्दा है जिस पर खुलकर बात नहीं होती। यहाँ तक की कई बार किशोर बालिकाओं को पीरियड्स यानी माहवारी को लेकर सामाजिक शर्मिंदगी की वजह से पढ़ाई छोड़नी पड़ती है। हमारे पास यहां पर बालश्रम, बालविवाह, यौन शोषण वाले बच्चों के केस बड़ी संख्या में आते हैं। बालश्रम कर रहे बच्चों को बालश्रम से मुक्त करके उन्हें शिक्षा से जोड़ना बहुत बड़ी चुनौती होती है क्योंकि बालक अपने घर की आर्थिक स्थिति के कारण काम करता है।

सिनर्जी संस्थान से मिलकर हम ऐसे बच्चों को शिक्षा से जोड़ पाए जो बालक बालश्रम में लिप्त थे। उनको निकालकर हमने स्कूलों में एडमिशन कराया। हमारे यहां किशोर बालक बालिकाओं, युवाओं, महिलाओं को अधिकारों के प्रति तथा रोज़गार के लिए चिंतित युवाओं के लिए प्रशिक्षण सेशन (वर्कशॉप) के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाता है। हमारे संस्थान द्वारा Y-TALK का भी आयोजन किया जाता है जिसमें किशोर, युवा, महिलायें शामिल होती हैं। इसमें उन्हें भविष्य में क्या करना है, उसके लिए क्या रूपरेखा हो सकती है आदि पर विस्तार से समझाया जाता है। हम वनांचल क्षेत्रों में समुदाय के लोगों को मोबाइल, लैपटॉप से अवगत कराते हैं तथा उनके लिए डिजिटल प्रशिक्षण का भी आयोजन करते हैं। जहां किशोर बालिकाएं पीरियड्स यानी महावारी को लेकर स्कूल छोड़ देती हैं, उनके लिए सिनर्जी संस्थान द्वारा उड़ान कार्यक्रम के माध्यम से  शिक्षा की कमी को दूर किया जाता है। इसके साथ ही बालिकाओं को संस्थान द्वारा महावारी पीरियड्स को लेकर भी सेशन आयोजित किये जाते हैं ताकि वे और भी जागरूक हो पाएं। हम समुदाय के लोगों के साथ उनके अधिकारों से अवगत नुक्कड़ नाटक जैसे कार्यक्रम से करवाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकारो के प्रति लोगों को एक नाटक दिखाते हैं, जिसमे शासन-प्रशासन अगर हमारी बाते नहीं सुन रहे हों तो हमें उस स्थिति में किस अधिकारी से बात करना है। उस कार्य को करते समय अपना कौन सा अधिकार होता है, इन सबसे अवगत कराते हैं। उदाहरण के जैसे स्वास्थ्य का अधिकार है, अगर हमारा सही समय पर इलाज नहीं हो रहा तो क्या करना है, कहाँ जाना है आदि। हमारे आसपास समय पर साफ-सफाई रहे, उसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जैसे सरपंच सचिव आदि से कैसे बात करना है, यह सब बताते हैं।

वर्ष 2019 में मुझे भोपाल स्कूल ऑफ सोशल साइंस कॉलेज के माध्यम से ‘हम और हमारी सरकार’ कोर्स  से जुड़ने का मौका मिला। उस दौरान मैं कॉलेज में मास्टर इन सोशल वर्क कर रहा था। इस कोर्स के माध्यम से मेरी समझ सरकार और उसकी संरचना के प्रति और गहरी हो पाई। कोर्स से मुझे समझने को मिला की सरकार का पूरा ढांचा किस तरह का होता है, सरकार अपने कार्य कैसे करती है, हम नागरिकों के पैसे सरकार कहाँ और किस तरह प्रयोग करती है आदि बहुत कुछ सीखने को मिला। इस कोर्स के माध्यम से मैं यह स्पष्ट तौर पर समझ पाया की वास्तव में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय सरकार को कौन-कौन से कार्य सौंपे गए हैं तथा हमें किन कार्यों के लिए किस स्तर की सरकार से जवाब मांगने चाहिए।

इस कोर्स को करने के बाद मैंने इसकी सीख को नियमित तौर पर अपने कार्यों में हमेशा प्रयोग किया है। इस कोर्स को करने के बाद मैं अपनी बातें समुदाय के लोगों के सामने तथ्यात्मक तौर पर रखने में सक्षम हुआ हूँ। मैंने पंचायत स्तर पर भी लोगों को जाकर ग्राम पंचायत के कर्तव्य, दायित्व, अधिकारों के प्रति जागरूक किया। मैं हमेशा ध्यान रखता हूँ कि जब कोई बैठक या फिर समुदाय के साथ मिलना होता है, मैं वहां सरकार से हम कैसे और किस तरह सेवाएं ले सकते हैं, उन पर भी बात करता हूँ। मैं इस बात को लेकर हमेशा लोगों को जागरूक करता हूँ कि हमें मालूम होना चाहिए की हमें किस काम के लिए किस अधिकारी के पास जाना होगा और उसके अधिकार क्षेत्र में कौन सा काम आता है। इससे अब लोग भी धीरे-धीरे इन चीजों को अपने व्यवहार में ढाल रहे हैं।