ज़रूरी है, सरकार के साथ संस्थागत साझेदारी पर बल देना!
मेरा नाम राहुल चौरसिया है और मैं मध्य प्रदेश में अंहिसा वेलफेयर सोसाइटी राजगढ़ से जुड़ा हूँ| हमारी संस्था बाल अधिकारों, शिक्षा एवम् युवाओं से जुड़े मुद्दों पर काम कर रही है।
पिछले वर्ष देश में कोविड-19 की शुरुआत से समाज के सभी वर्गों पर लॉकडाउन का बहुत तकलीफ़देह असर पड़ा। मेहनत मजदूरी से दिन चलाने वाले लोगों के अचानक रोज़गार छिन गए, यहाँ तक की कई परिवारों के लिए दो वक्त भर पेट खाने का इंतज़ाम कर पाना भी मुश्किल हो गया। ऊपर से प्रवासी मजदूरों के पलायन के कारण गाँवों में और भी समस्याएं पैदा हो गयीं।
इस मुश्किल समय में संस्थाओं की भूमिका बहुत अहम उभरकर सबके सामने आई है। संस्थाओं ने अपनी सभी क्षमताओं का इस्तेमाल करते हुए व्यक्तिगत रूप से तथा सरकार के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर नागरिकों तक सेवाएं पहुंचाने में अपनी अहम भूमिका निभायी है।
ऐसे में हमारी संस्था ने भी लोगों की सहायता करने का निर्णय लिया जिसमें हमने अभी तक अलग-अलग तरह से लोगों तक सहायता पहुंचाने का प्रयास किया है|
राजगढ़ नगर में नगर पालिका के सहयोग से अहिंसा द्वारा संचालित रसोई से लॉकडाउन के समय भोजन के कुल 37000 पैकेट वंचित परिवारों में बांटे गए। संस्था द्वारा राजगढ़, खिलचीपुर और पचोर नगरीय क्षेत्रों सहित ग्राम नई दिल्ली, बोकड़ी, पुनरखेड़ी, एवं अन्य गाँवों में 67 वंचित परिवारों को भी अपनी गतिविधियों के दौरान चिन्हित किया गया तथा उन तक सूखा राशन उपलब्ध करवाया। इन परिवारों के बच्चों को संस्था द्वारा दान में प्राप्त कपड़े और चप्पल भी उपलब्ध करवाए।
महामारी के कारण शहरों से प्रवासी मजदूरों का बड़े स्तर पर पलायन हुआ। हमने ऐसे लोगों के लिए भोजन तथा पहनने के लिए चप्पल उपलब्ध करवायीं। गाँव में स्वयं जाकर भी सेनेटाईजेशन का काम किया ताकि वायरस को फैलने से रोका जा सके।
संस्था द्वारा समुदाय में विशेषकर बच्चों को मास्क उपलब्ध करवाए गए, उन्हें 2 गज की दूरी बनाए रखने और समय-समय पर साबुन से हाथ धोने आदि जरुरी चीजों के प्रति नियमित रूप से जागरूक किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा गत वर्ष बच्चों को मनो-सामाजिक सहायता प्रदान करने के लिए एक विशेष कार्यक्रम चलाया गया। इस कार्यक्रम में हमारी संस्था की ओर से मुझे परामर्शदाता के रूप में जुड़ने का अवसर मिला है। मुझे राज्य महिला एवं बाल विकास विभाग मध्य प्रदेश सरकार द्वारा संचालित बच्चों के लिए हेल्पलाइन टीम में शामिल किया गया। मैं पिछले एक वर्ष से मनो-सामाजिक परामर्शदाता (Government Child psycho-counsellor) के तौर पर लगातार सरकार के साथ जुड़कर आज भी काम कर रहा हूँ। मैं बच्चों द्वारा हेल्पलाइन पर किये जाने वाले कॉल्स जिला स्तर पर सुनता हूँ तथा बच्चों की समस्याओं का समाधान कर रहा हूँ।
इस सबसे मुझे एक चीज समझने को मिली है कि हम लोग जो विभिन्न संस्थाओं में काम कर रहे हैं, हम लोग भी सरकार की तरह सेवाओं को बेहतर करने का निरंतर प्रयास कर रहे हैं। जब सरकार को किसी संस्था का मॉडल अथवा उनकी टीम का कार्य प्रभावी लगता है, तो वह उन्हें अपने सिस्टम में डालती है ताकि काम का ज्यादा प्रभाव पड़ सके। इसलिए अंत में मैं यही कहना चाहूँगा कि हम सभी को अपने प्रयास जारी रखने चाहिए तथा ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंद लोगों तक पहुँचकर उन्हें योजनाओं एवं अन्य जरूरी सेवाओं से लाभान्वित करना चाहिए।