हिमाचल प्रदेश में PDS योजना का फायदा कैसे उठा सकते हैं?
1) हिमाचल प्रदेश में पी.डी.एस. योजना कब शुरू हुई ? पी.डी.एस. योजना को शुरू करने के पीछे उद्देश्य क्या थे?
केंद्र सरकार के न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत, हिमाचल प्रदेश में पी.डी.एस. योजना 1 जून 1997 में शुरू हुई| मुख्य रूप से इस योजना के अंतर्गत परिवारों को दो श्रेणी में बाँटा गया है i) गरीबी रेखा से ऊपर ( ए.पी.एल) और (ii गरीबी रेखा से नीचे (बी.पी.एल) हिमाचल प्रदेश 66.71 प्रतिशत जनसंख्या कृषि निर्भर है, एक पर्वतीय और पहाड़ी प्रदेश होने के साथ यहाँ 80 प्रतिशत ज़मीन में छोटे और लघु स्तर पर कृषि की जाती है जिसमे 1/5 उपजाऊ भूमि में सिंचाई और बाकि का हिस्सा पूरी तरह से कृषि के लिए वर्षा पर निर्भर है | वार्षिक प्रशासनिक रिपोर्ट 2001 एक अनुसार 2,86,477 गरीबी रेखा से नीचे (बी.पी.एल.) है | ऐसे में पी.डी.एस. योजना मार्च 2019 के आंकड़ों के अनुसार 18 लाख राशन कार्ड राज्य में गरीबी, भूख और कुपोषण से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है |
2) PDS योजना के अंतर्गत राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया क्या है ? कार्ड बनाने के लिए कौन कौन से दस्तावेज़ देने होते है ?
खाध एवं आपूर्ति विभाग के epds पोर्टल में जाकर राशन कार्ड के फोर्मेट को डाउनलोड किया जा सकता है | यह केवल अधिकारी ही कर सकते है सार्वजनिक रूप से यह उपलब्ध नही है | इसके बाद ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत सचिव के माध्यम से परिवार रजिस्टर की नकल, और राशन कार्ड के फ़ार्म को पंचायत के द्वारा सत्यापित किया जाता है कि वह परिवार उक्त पंचायत के रहने वाले है | वही शहरी क्षेत्र में नगर पालिका में वार्ड काउंसिलर के द्वारा परिवार को सत्यापित किया जाता है | सत्यापित होने के बाद खाध एवं आपूर्ति विभाग द्वारा प्रार्थी के राशन कार्ड फ़ार्म के साथ आधार कार्ड और परिवार नकल, खाध एवं आपूर्ति विभाग आनलाइन राशन कार्ड एंट्री करने के बाद उपभोक्ता को 30-45 दिन के अंदर राशन कार्ड जारी किया जाता है |
3) योजना में कौन-कौन लाभार्थी शामिल है?
NFSA राष्ट्रीय खाध सुरक्षा एक्ट 2013 के अंतर्गत लाभार्थियों को चार प्रकार की श्रेणी में बांटा गया है| BPL (बी.पी.एल), APL (ए.पी.एल.), AAY (अन्तोदय अन्न योजना), PHH ( प्राथमिकता के आधार पर चयन किये गए परिवार)
4) लाभाथींयों को प्रतिमाह निर्धारित कितना कोटा मिला मिलता है ?
5) यदि लाभार्थी अपना कोटा प्रतिमाह का नही उठा पाते है तो उस राशन को अगले महिना उठाया जा सकता है?
नही, जुलाई महीने से इसमें परिवर्तन हुआ है | अब उपभोक्ता को महीने का कोटा उसी माह में उठाना होता है यदि ऐसा नही होता है तो उस महीने का उपभोक्ता को दिए जाने वाला राशन लाभ लैप्स हो जाता है |
6) यदि किसी लाभार्थी का पी.डी.एस योजना को लेकर शिकायत है तो (शिकायत तंत्र प्रणाली) उदाहरण : नये राशन कार्ड, आनाज की गुणवत्ता, कम आनाज आवटंन को लेकर सवाल है तो वह किस से मिल सकते है ?
उपभोक्ता अपनी शिकायत आफलाइन और आनलाइन दोनों माध्यम से कर सकते है | ब्लाक स्तर पर खाध एवं आपूर्ति विभाग में फ़ूड इंस्पेक्टर को अपनी शिकायत दे सकते है | इसके अलावा खाध एवं आपूर्ति विभाग की 1967 हेल्पलाइन में अपनी शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है व epds पोर्टल पर ग्रीवांस रेड्रेसल (grievance redressal) सेक्शन में जाकर उपभोक्ता आनलाईन अपनी शिकायत रिपोर्ट कर सकते है | इसी के साथ-साथ मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन 1100 में सम्पर्क कर अपनी समस्या दर्ज करवा सकते है |
कोविड-19 के दौरान पी.डी.एस. योजना में लाभार्थीयों को किस तरह का अतिरिक्त लाभ दिया जा रहा है :
1) क्या लाकडाउन के समय में लाभाथियों को निर्धारित कोटे के अलावा अतिरिक्त राशन मिला है? अगर मिला है तो कितना ? कौन से महीने से कब तक ? क्या यह निशुल्क मिल रहा है ?
लाकडाउन के समय से अब तक ए.पी.एल. कार्ड उपभोक्ता को छोड़कर, बी.पी.एल., अन्तोदय अन्न योजना और पी.एच. श्रेणी के उपभोक्ता को महीने के निर्धारित कोटे के अलावा एक राशन कार्ड पर प्रति सदस्य 2 किलोग्राम चावल, 3 किलोग्राम गेहूं और 1 किलोग्राम चना प्रति कार्ड निशुल्क दिया जा रहा है | यह अतिरिक्त लाभ का कोटा 31 अगस्त तक हमारे पास उपलब्ध है, सरकार की और से अतिरिक्त राशन आवंटन की अधिसूचना नवम्बर तक ही हुआ है परन्तु इसको लेकर हमारे पास विभाग की और से कोई लिखित पत्र नही आया है |
2) प्रवासियों को किसी प्रकार का राशन का लाभ PDS से प्राप्त हुआ है ? अगर हुआ है तो क्या मिला है ? क्या यह निशुल्क है ?
प्रवासियों के लिए दो महीने (अप्रैल-मई) के राशन निशुल्क वितरण किया गया है | जिसमे उचित मूल्य की दूकान में चावल 5 किलोग्राम प्रति व्यक्ति दिया जा रहा है | इसके अलावा 1 किलोग्राम चना दाल दिया जा रहा है|
3) प्रवासी को कार्ड उपलब्ध कराया गया था ? यदि हाँ तो प्रक्रिया क्या था ?
नही, उचित मूल्य की दुकान में प्रवासियों से एक फ़ार्म में भरवाया जाता है, जहाँ पर उनके परिवार का विवरण और कब से वह यहाँ पर कार्य रहे है, यह विवरण उस फ़ार्म में लिखा जाता है | प्रवासी जहाँ पर रह रहे है, उस घर के मुखिया का आधार कार्ड की फोटोकापी ली जाती है |
4) अगर किसी परिवार / प्रवासी के पास राशन कार्ड नही था तो क्या लॉकडाउन के अवधि में PDS से अनाज दिया गया था ?
राज्य में विभिन्न जगहों पर प्रवासी के पास राशन कार्ड न होने के वजह से उन्हें राशन उपलब्ध करवाया गया | प्रति व्यक्ति 5 किलो चावल और 1 किलोग्राम चना दाल दिया गया |ज़िला में खाधन्न की उपलब्धता के आधार पर वितरण किया जा रहा है | उचित मूल्य की दूकान में कई जगह पर अप्रैल और मई का वितरण किया गया है | इसके बाद किसी प्रकार का वितरण नही हुआ है |
5) अगर किसी प्रवासी को PDS से अनाज उपलब्ध नही कराया गया था तो उसे राशन हेतु अलग से कुछ व्यवस्था थी ?
राजस्व विभाग ने स्थानीय स्तर पर प्रवासियों को राशन देने के लिए पटवारी को अधिकृत किया गया था | वह अपने क्षेत्र में प्रवासी परिवारों की पहचान करते थे और उन्हें दो महीने (अप्रैल-मई) राशन प्रदान किया गया | इसके अलावा स्वयं सेवी संस्थाओं ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर प्रवासी परिवारों को राशन देने का कार्य किया है |