हिमाचल प्रदेश ग्राम पंचायत चुनाव

हिमाचल प्रदेश में ग्राम पंचायत चुनाव जल्द ही हो सकते हैँ। इसी सन्दर्भ में चलिए ग्राम सरपंच के निर्वाचन से जुडी कुछ अहम बाते आपके साथ साझा करते हैँ।

भारत की ज्यादातर जनसंख्या ग्रामीण परिवेश में रहती है । भारत के इस ग्रामीण परिवेश में विकास कार्यों के निर्धारण और स्वयं का प्रशासन स्थापित करने के लिए भारतीय सविधान में पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना की गई है । संविधान के अनुच्छेद 243 के तहत पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत ग्राम सभा और ग्राम पंचायत का गठन किया गया है । ग्राम पंचायत का प्रमुख ग्राम प्रधान होता है, जिसे सरपंच के नाम से भी जाना जाता है ।

ग्राम प्रधान का चुनाव :

ग्राम पंचायत, ग्राम सभा/वार्डों को मिलाकर बनाई जाती है । ग्राम सभा या ग्राम पंचायत का निर्धारण किसी भी क्षेत्र की जनसंख्या के आधार पर होता है । एक ग्राम पंचायत में 1000 से 3000 तक की जनसंख्या होती है, जिसके लिए 9 से लेकर 15 ग्राम पंचायत के सदस्य होते हैं। इन सभी का एक मुखिया होता है जिसे ग्राम प्रधान या सरपंच कहा जाता है ।

ग्राम प्रधान बनाने के लिए योग्यता :

1. ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने वाला व्यक्ति उसी ग्राम पंचायत का मूल निवासी होना चाहिए।
2. सरपंच के रूप में उम्मीदवार की उम्र 21 साल से ज्यादा होनी चाहिए ।
3. कई राज्यों में अब इसके लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता को लागू कर दिया गया है जिसमें चुनाव लड़ने वाला व्यक्ति 10वी व कई राज्यों में न्यूनतम 8
वीं पास होना चाहिए ।
4. कई राज्यों में ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार के घर में शौचालय का होना भी जरूरी किया गया है ।

ग्राम प्रधान का चुनाव कैसे होता है :

ग्राम प्रधान का चुनाव ग्राम पंचायत की वोटर लिस्ट में शामिल मतदाताओं के द्वारा किया जाता है । ग्राम पंचायत की मतदाता लिस्ट में शामिल व्यक्ति अपने मताधिकार का उपयोग कर ग्राम प्रधान का चुनाव करते है । ग्राम प्रधान का चुनाव राज्य सरकार के निर्वाचन आयोग द्वारा हर पांच साल में किया जाता है, जिसमें सबसे ज्यादा वोट पाने वाला व्यक्ति ग्राम पंचायत का प्रधान यानी की सरपंच बनता है ।

ग्राम प्रधान को पद से कैसे हटाया जा सकता है :

अगर ग्राम प्रधान गाँव की प्रगति के लिए ठीक से कार्य नहीं करते तो उन्हें पद से हटाया भी जा सकता है । समय से पहले पदमुक्त करने के लिए एक लिखित सूचना जिला पंचायत राज अधिकारी को दी जाती है । जिसमे ग्राम पंचायत के आधे सदस्यों के हस्ताक्षर होने ज़रूरी होते हैं। सूचना में पदमुक्त करने के सभी कारणों का उल्लेख होना चाहिए । हस्ताक्षर करने वाले ग्राम पंचायत सदस्यों में से तीन सदस्यों का जिला पंचायतीराज अधिकारी के सामने उपस्थित होना अनिवार्य है। सूचना प्राप्त होने के 30 दिन के अन्दर जिला पंचायत राज अधिकारी गाँव में एक बैठक बुलाते है, जिसकी सूचना कम से कम 15 दिन पहले दी जाती हैं । बैठक में उपस्थित तथा वोट देने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से प्रधान को पदमुक्त किया जा सकता है ।