‘हम सभी हमेशा एक दूसरे की मदद के लिए तैयार रहते थे’
प्रश्न: पिछले कुछ महीनों के दौरान, आप महामारी से संबंधित कार्यों से जुड़े हैं। क्या आप हमें अपने महामारी के दौरान और दैनिक कर्तव्यों को संक्षिप्त में बता सकते हैं?
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता: मार्च-अप्रैल 2020 में मेरा मुख्य कार्य कोविड-19 लक्षणों के लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण करना और लोगों की जांच करना था। इस दौरान मेरे साथ मेरी सहायिका भी थी, जिन्होंने सभी घरों के सर्वेक्षण में मेरा साथ दिया।
जब मैंने घर-घर जाकर सर्वे किया, उस दौरान मैंने समय का उपयोग करके सर्वे के साथ-साथ लोगों को जागरूक करने का काम भी किया जैसे उन्हें इस महामारी में क्या करना चाहिए, इस दौरान किस तरह नियमों का पालन करना चाहिए तथा किस तरह से सामाजिक दूरी का पालन करना है आदि।
मई 2020 के बाद, जब लॉकडाउन के प्रतिबंधों में थोड़ी ढील दी गई, तो मैंने बच्चों को पढ़ाने, टीकाकरण करने और गर्भवती महिलाओं के वजन लेने के अपने नियमित कार्यों को फिर से शुरू किया।
इस समय के दौरान, ऑनलाइन बहुत से काम थे। मुझे ऑनलाइन रिपोर्ट भेजना होता था, आरोग्य सेतु ऐप पर हर समय के अपडेट की जांच करनी होती थी। इसके साथ-साथ मुझे अपने पर्यवेक्षक को भी जानकारी देने के लिए व्हाट्सएप पर हर समय उपलब्ध रहना पड़ता था।
प्रश्न: आपके क्षेत्र में अन्य फ्रंटलाइन वर्कर्स (सहायक नर्स या एएनएम दीदी एवं अन्य आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, और आशा) या अन्य कोरोना योद्धाओं के साथ आप किस तरह संपर्क में रहते थे? उदाहरण के लिए, आपने एक दूसरे के साथ कैसे समन्वय किया?
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता: मुझे केवल आशा कार्यकर्ताओं के साथ ही समन्वय करना होता था। मुझे नहीं लगता कि मैंने कभी अपने गांव की एएनएम से बात की हो क्योंकि अधिकतर कार्य आशा के सहयोग से ही हो जाते थे।
आशा और मैंने तक़रीबन साथ में ही काम किया। कोविड-19 से पहले भी वह आंगनबाड़ी केंद्र में उपस्थित रहती थी तथा बच्चों को पढ़ाने और शिक्षण जैसे प्रबंधन आदि कार्यों में भी वह हमारी मदद करती थी। कोविड-19 के दौरान, यह समन्वय विशेष रूप से बढ़ गया। हम न केवल सर्वेक्षण के लिए समन्वय कर रहे थे बल्कि हम अपने-अपने कार्यभार में हुई वृद्धि के बारे में भी जानते थे, और इसलिए हम सभी एक-दूसरे की मदद करने के लिए हमेशा तैयार थे।
हम दोनों (मैं या आशा) में से जब भी कोई बीमार होता था, तो हम एक दूसरे को रिपोर्ट की जानकारी साझा करते थे, किसी बीमार व्यक्ति के घर का सर्वेक्षण करने के लिए हम उनको आपस में बाँट लेते थे और सर्वेक्षण करते थे। इस तरह के समन्वय ने वास्तव में महामारी और गैर-महामारी दोनों कार्यों के प्रबंधन में मदद हुई।
प्रश्न: क्या आपको इन गतिविधियों को करने के लिए अपने तत्काल पर्यवेक्षक से कोई मदद मिली है?
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता: मेरे पर्यवेक्षक हमेशा से बहुत सहायक रहे हैं। हमें लगता था कि अगर हमने कभी किसी काम में गलती करी तो वे हमें डाँटेंगे, लेकिन इसके विपरीत, उन्होंने हमें कभी भी दंडित नहीं किया। उन्होंने हमेशा सवाल पूछने के लिए हमें प्रोत्साहित किया है।
उन्होंने हमें सैनिटाइज़र, दस्ताने और मास्क भी प्रदान किए लेकिन यह केवल शुरुआत में ही था और वो भी केवल पाँच सेट ही थे जिन्हें उपयोग के बाद फेंकना पड़ता था, इसलिए वे तो एक हफ्ते में ही ख़त्म हो गए।
मेरे पर्यवेक्षकों ने प्रोटोकॉल और सर्वेक्षण के नियमों आदि पर हमारे साथ मासिक बैठकें भी कीं। वे इन बैठकों का उपयोग किसी सामान्य गलतियों पर चर्चा करने के लिए भी करते थे जोकि सभी से हो रही थीं। मासिक बैठकें जून या जुलाई 2020 से शुरू हुईं, इससे पहले वे हमसे केवल फोन कॉल या व्हाट्सएप के जरिए ही बात करते थे।
इस बार, मैंने अपने पर्यवेक्षकों से कहा कि वे मुझे उन घरों को न सौंपे जो मेरे ठहरने के स्थान से बहुत दूर थे क्योंकि मेरे पास परिवहन की सुविधा नहीं थी। मेरी सुरक्षा की दृष्टि से देर शाम को यात्रा करना मुश्किल हो जाता था इसलिए उन्होंने मुझे ऐसे घर सौंपे जहाँ मैं आराम से यात्रा कर सकूँ |
प्रश्न: महामारी के दौरान आपको काम करने और अपनी गतिविधियों को करने के लिए क्या प्रेरित करता है?
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता: मुझे इस नौकरी में अब 11 साल हो गए हैं, और अब यह मेरे कर्तव्य की तरह है। मुझे इसे करते रहना होगा क्योंकि यही वह काम है, जहां से मुझे मेरे पैसे मिलते हैं। मेरे पति की मृत्यु वर्षों पहले हो गई थी इसलिए मैं अपने परिवार में एकमात्र कमाने वाली हूं, मुझे जीवित रहने के लिए यह काम करते रहना होगा।
परन्तु महामारी के दौरान, यह काम नौकरी के अलावा सामाजिक सेवा की तरह लगा। मैं लोगों की मदद कर रही थी और समाज की सेवा कर रही थी, यही सोच मुझे काम करने में मदद करती रही।
इन दिनों नौकरी पाना बहुत मुश्किल है, और मुझे इसी कार्य में 11 साल तक बनाए रखने का सौभाग्य मिला है, इसलिए मैं हमेशा अपनी नौकरी पर काम करने के लिए प्रेरित रहती हूं।
यह साक्षात्कार कोविड-19 रिसर्च फंडिंग प्रोग्राम 2020 के तहत अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा वित्त पोषित एक शोध अध्ययन के एक भाग के रूप में आयोजित किया गया था। यह अध्ययन कोविड-19 महामारी के दौरान राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के अनुभवों को दर्शाता है।
यह साक्षात्कार 11 जनवरी 2021 को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के साथ आयोजित किया गया था।