सेवाओं के लिए ज़रूरी है, गाँवों को संसाधनयुक्त करना

मेरा नाम गजेन्द्र कुमार है और मैं राजस्थान के उदयपुर का रहना वाला हूँ। मैं पिछले कई वर्षों से विभिन्न संस्थाओं में काम करते हुए अनेकों अनुभव साथ में समटते हुए आ रहा हूँ। इसलिए अपने इस लेख में उन सभी अनुभवों को भी अपना आधार बनाऊंगा।

कोविड-19 महामारी ने हमारे जीवन में जब से कदम रखा है, मानो सब कुछ अस्त-व्यस्त कर दिया हो। पिछले वर्ष के बाद इस महामारी ने हम सभी को अपने जीवन के तरीका को बदलने पर मजबूर कर दिया है।

भारत की अधिकाँश आबादी गाँव में रहती है तथा संवैधानिक दर्जा प्राप्त होने के बाद पंचायती राज संस्थाओं को सरकार का दर्जा प्राप्त है। सरकार यानी वो संस्था जो अपने नागरिकों की भलाई के लिए हर मुमकिन कदम उठाये।

लेकिन क्या पंचायतें स्वयं इतनी सशक्त हैं कि वे अपनी जनता के लिए वो सभी संसाधन मुहैया करवा सकें जो उनके लिए आवश्यक हैं। तथा सवाल यह भी उठता है कि आखिर यह सब कैसे संभव हो सकता है?

अभी पिछले एक साल से चली आ रही कोविड-19 महामारी से लोग इतनी बुरी तरह से जूझ रहे हैं जिसने उनके जीवन को बदलकर रख दिया है। अगर आप देखें तो अन्य लोगों के साथ-साथ इस महामारी की वजह से रोज़ कमाकर खाने वाले दिहाड़ीदार वर्गों के लिए यह समय बेहद मुश्किल भरा चल रहा है। लोगों के रोज़गार जा चुके हैं जिससे उन्हें अब इस स्थिति में जीवन यापन करना कठिन हो रहा है। अधिकतर लोग जो शहरों में मज़दूरी आदि करते थे, वे अब गांवों में आ चुके हैं लेकिन गाँव के पास भी उतनी क्षमता और संसाधन उपलब्ध नहीं है कि वे अतिरिक्त जनसँख्या का बोझ उठा सकें।

कोविड-19 ने भले ही हमें बुरी तरह से प्रभावित किया हो लेकिन सरकार के साथ-साथ नागरिकों को यह भी सीखाया है कि किसी भी मुश्किल स्थिति में हमारी तैयारियां पुख्ता होनी चाहिए अन्यथा परिणाम बहुत घातक हो सकते हैं।

ऐसे में जरुरी है कि उच्च स्तरीय सरकारें गांवों को भी संसाधनयुक्त बनाये ताकि गाँव में रहने वाले लोग प्रत्येक कार्य के लिए जिला, राज्य एवं केंद्र  की तरफ ही मुंह ताकते न रहें। गाँव में लोगों के लिए उचित रोज़गार की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि शहरों की तरफ पलायन कम हो क्योंकि शहरों की भी अपनी एक क्षमता होती है। सरकार को चाहिए कि वो मनरेगा जैसी योजना का विस्तारीकरण करे। काम के दिनों की संख्या बढ़ाये और साथ में यह सुनिश्चित करे कि जो भी व्यक्ति काम करना चाहता है उसे अपने गाँव/पंचायत में ही रोज़गार उपलब्ध हो जाए। इसलिए पंचायत स्तर पर ऐसी योजनाओं का कार्यान्वयन किया जाना चाहिये जिससे अधिक से अधिक लोगों को काम मिल सके और उनका जीवन बेहतर हो सके।

साथ ही नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी और सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में पूरी जानकारी हासिल करनी होगी ताकि उनका अधिक से अधिक लाभ लिया जा सके। क्योंकि अक्सर देखने को मिलता है कि जानकारी के अभाव में लोग योजनाओं का लाभ सही से नहीं ले पाते।

अतः अंत में मैं यही कहना चाहूँगा कि सरकार को गाँवों को अधिक से अधिक संसाधनयुक्त करना चाहिए ताकि लोगों को हर प्रकार की सुविधायें गाँव में ही मिल पाएं तथा शहरों की तरफ पलायन भी कम हो।