सूचना व संचार तकनीक (ICT) पर स्कूलों की निर्भरता

स्कूल शिक्षा के लिए राज्य सरकारों के बजट के साथ भारत सरकार भी शिक्षा योजना के माध्यम से फंड का आवंटन करती है। वित्त वर्ष 2018-19 में भारत सरकार ने प्राथमिक से उच्चतर स्तर तक सभी बच्चों के लिए समावेशी और गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से समग्र शिक्षा योजना की शुरूआत की।

एकाउंटेबिलिटी इनिशिटिव द्वारा जारी समग्र शिक्षा बजट ब्रीफ के अनुसार यह योजना शिक्षा मंत्रालय की सबसे बड़ी योजना है। वित्त वर्ष 2021-22 में समग्र शिक्षा के लिए 31,050 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।

शिक्षा के क्षेत्र में आज भी भारत के समक्ष कई चुनौतियां हैं, और महामारी के दौरान स्कूल बंद होने के कारण नयी मुश्किलें भी पैदा हो गयीं। सरकार द्वारा इन मुश्किलों को दूर करने के लिए अलग-अलग कदम उठाये गए।

महामारी के कारण स्कूल बंद होने से डिजिटल शिक्षा पर ज़ोर बढ़ा। सरकार ने सूचना व संचार तकनीक (ICT) तथा टेलीविजन, रेडियो, मोबाइल फोन और ऑनलाइन पोर्टल जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से डिजिटल सामग्री साझा करके शिक्षण को जारी रखने का प्रयास किया। डिजिटल माध्यम से शिक्षा प्रदान करने के लिए एक सर्वव्यापी कार्यक्रम ‘PM eVIDYA’ भी लॉन्च किया गया।

महामारी ने ICT पर निर्भरता बढ़ा दी, और शिक्षकों से इसका व्यापक उपयोग करने की उम्मीद की जाने लगी। लेकिन, महामारी से पहले सरकारी स्कूलों में ICT के लिए ज़रूरी बुनियादी ढांचे की उपलब्धता अधिकांश राज्यों में नहीं थी। समग्र शिक्षा बजट ब्रीफ के अनुसार 18 राज्यों के आंकलन से पता चला कि शैक्षणिक वर्ष 2018-19 में कुल सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में से केवल 28 प्रतिशत के पास कंप्यूटर और 12 प्रतिशत के पास इंटरनेट कनेक्शन था। इंटरनेट कनेक्शन वाले स्कूलों की संख्या अधिकांश राज्यों के लिए 30 प्रतिशत से कम थी।

ज़मीनी स्तर के प्रयासों को समझने के लिए इनसाइड डिस्ट्रिक्ट श्रंखला के अंतगर्त हमने शिक्षकों और अभिभावकों से भी बात की। बातचीत से पता चला कि बच्चों के पास ऑनलाइन शिक्षा के लिए स्मार्टफोन, इंटरनेट जैसी सुविधाएँ नहीं हैं। अगर स्मार्ट फ़ोन और इंटरनेट की सुविधा है भी तो ग्रामीण क्षेत्र में नेटवर्क की समस्या रहती है। जिस घर में एक फ़ोन है, वहां पर अभिभावक काम पर फ़ोन ले कर जाते हैं और बच्चों के पास ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए कोई संसाधन नहीं होता।

महामारी की वजह से सभी गतिविधियाँ प्रभावित हुईं, नामांकन पर भी इसका असर पड़ा। लेकिन सरकार को इन परिस्थितियों के बावजूद यह प्रयास करना है कि बच्चों और शिक्षकों को एक दूसरे से जोड़े रखें।