सामाजिक जवाबदेही के उपकरण- एक उदाहरण
सामाजिक जवाबदेही शासन में लोगों की भागीदारी बढ़ाने का एक तरीका है। इसके लिए अलग-अलग उपकरण तथा संस्थाएं हैं, जिनके माध्यम से नागरिक एवं गैर-सरकारी संगठन सरकार से जवाबदेही की मांग कर सकते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, इत्यादि में सफल निष्कर्ष के लिए सामाजिक जवाबदेही की भूमिका अहम् है।
सामाजिक जवाबदेही के उपकरण बेहतर प्रशासन, बेहतर सेवा वितरण और नागरिक सशक्तिकरण के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र की उन्नति में योगदान करते हैं। उदाहरण के तौर पर 2006 में आंध्र प्रदेश में मनरेगा के अंतर्गत सामाजिक अंकेक्षण की व्यवस्था को सरकार की तरफ से संस्थागत किया गया। सामाजिक अंकेक्षण की सभा में 800 लोगों तक की हिस्सेदारी देखने को मिली। शासन की व्यवस्था में मौजूद समस्याएं सामाजिक अंकेक्षण सभाओं में निकलकर आयीं और तब जाकर शासन में जवाबदेही का माहौल बना।
एक उदाहरण के माध्यम से समझें तो अकाउंटबिलिटी इनिशिएटिव द्वारा 2016-17 में जयपुर की विद्यालय प्रबंधन समिति के साथ किये गये कार्यों से पता चलता है कि सामाजिक जवाबदेही के तरीके कभी-कभी क्यों चूक जाते हैं। विद्यालय प्रबंधन समिति अभिभावकों, जनप्रतिनिधियों एवं अध्यापकों को मिलाकर गठित की जाती है। इसका उद्देश्य है कि नागरिक एवं शासन के लोग एक दूसरे से जुड़कर बेहतर शिक्षा सुनिश्चित करें।
जब कार्य शुरू किया गया तो अध्यापक एवं विद्यालय प्रबंधन समिति के बीच तालमेल की काफी कमी दिखी। समिति के साथ कार्य करने पर पता चला कि सदस्यों का प्रशिक्षण ही नहीं हुआ है। इन बातों का ध्यान रखते हुए अकॉउंटबिलिटी इनिशिएटिव ने राज्य प्रशिक्षण मॉड्यूल के अनुसार छह सेशन की प्रशिक्षण सामग्री तैयार की, तथा साल भर तक हर माह बैठक के माध्यम से विद्यालय प्रबंधन समिति को प्रशिक्षित किया।
हर साल नियमानुसार समिति को विद्यालय की आवश्यकता का ध्यान रखते हुए एक सहभागी प्लान बनाकर प्रखंड को भेजना होता है ताकि विद्यालय की जरूरतों को प्राथमिकता अनुसार पूरा कर शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर किया जा सके। पहले यह प्लान समिति द्वारा नहीं बनाया जा रहा था, प्रशिक्षण पूरा होने के बाद तय समयानुसार समिति ने सहभागी प्लान बनाकर प्रखंड को भेजा। लेकिन प्रखंड ऑफिस ने उस प्लान को लेने से मना कर दिया क्योंकि उनका कहना था की वह किसी अन्य डाटा फॉर्मेट से अपना डाटा हर साल जिले को भेज देते हैं।
विद्यालय प्रबंधन समिति इससे काफी हताश हुई लेकिन समस्या को सुनने के लिए कोई प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र भी नहीं था। प्लान बनवाने के बावजूद भी सिस्टम में समिति के प्लान को लेने की जगह ही नहीं थी। यहाँ सामाजिक जवाबदेही के उपकरण का ठीक से क्रियान्वयन नहीं हो रहा था। सरकार की संस्थागत व्यवस्था में तो कमी थी ही साथ ही साथ समस्याओं को चिन्हित करने की व्यवस्था भी नहीं थी।
यह सिर्फ एक सामाजिक जवाबदेही उपकरण की कहानी है लेकिन अगर हम अन्य उपकरणों की स्थिति भी देखें तो वहां भी इसी तरह की समस्याएं देखने को मिलेंगी। आज काफी सारे उपकरण सरकार द्वारा संस्थागत रूप से लागू तो कर दिए गए हैं, मगर कमज़ोर क्रियान्वयन व्यवस्था की वजह से असहाय हैं। ऐसे में यह सोचने की ज़रुरत है कि कैसे शासन प्रतिनिधियों एवं नागरिकों के बीच की दूरी को खत्म कर उपकरणों को बेहतर तरीके से क्रियान्वित कर सकते हैं। नागरिकों को यह भी सोचने की आवश्यकता है कि कैसे वे शासन के द्वारा लागू किये गये उपकरणों में अपनी सहभागिता बढ़ा सकते हैं। इसी तरह से हम लोकतंत्र की बेहतर परिकल्पना कर पाएंगे।
ताजुद्दीन खान अकाउंटबिलिटी इनिशिटिव में सीनियर पैसा एसोसिएट के पद पर कार्यरत हैं। यह लेख 2016-17 में ताजुद्दीन जी द्वारा जयपुर में किये गए कार्यों पर आधारित है।
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