सरकार से सवाल करना जरूरी है! – ‘सुशासन दिवस’ विशेषांक
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र हैं, जहाँ नागरिक अपने मताधिकार के द्वारा अपने पसंद के लोगों को सरकार के रूप में चुनते हैं। फिर वहीं, सरकार अगले 5 सालों के लिए नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर करने के लिए प्रयास करती है।
लेकिन क्या वाकई हम अपनी चुनी हुई सरकार से बेहतर सेवाओं के प्रति सवाल करते हैं? एक बेहतर शासन में जनता को अपने प्रतिनिधियों से समय-समय पर उनके कार्यों पर जवाबदेही लेना ज़रूरी है।
क्या आपको लगता है कि सरकार के विकास कार्यों के खर्च,आगामी लक्ष्य, विकास योजनाओं आदि में नागरिकों की भागीदारी से जुड़ी जानकरियों के लिए आपको जानना चाहिए?`
नमस्कार साथियों, भारत आज ‘सुशासन दिवस’ मना रहा है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य भारत के नागरिकों के मध्य सरकार की जवाबदेही के प्रति जागरूकता पैदा करना है।
‘हम और हमारी सरकार’ कोर्स के अंतर्गत हम सरकार के तंत्र और उसकी जवाबदेही पर बात करते हैं। जब हम टैक्स के रूप में सरकार को अपना मेहनत का पैसा देते हैं तो सरकार का भी दायित्व बनता है कि वो भी हमें सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार जैसी मूलभूत सेवाओं को बेहतर प्रदान करे।
सुशासन का अर्थ भी यही है कि सरकार लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप पारदर्शिता के साथ प्रदर्शन करे। सरकार न केवल नागरिकों को बताये कि उनके पैसे का कैसे इस्तेमाल हो रहा है बल्कि बेहतर शासन में उनकी भागीदारी भी सुनिश्चित करे ताकि लोकतंत्र में उनका विश्वास बढ़े और उन्हें बेहतर सेवायें हासिल हो पाए।
तो ऐसे में अगर आप सरकार के प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं है या कहीं सुधार चाहते हैं तो ऐसे में सरकार से सवाल करना बेहद ज़रूरी है। सवाल पूछना न केवल सरकारों को उनके कार्यो के प्रति सचेत करता है बल्कि दर्शाता है कि आप अपने देश के विकास के प्रति कितना सजग हैं।
हालांकि इसके लिए कई संवैधानिक संस्थागत प्रावधान भी बने हैं जैसे ‘सूचना का अधिकार’ के बारे में तो आप सभी जागरूक हैं। राज्यों की बात की जाए तो राजस्थान का जनसूचना पोर्टल, मध्यप्रदेश के दर्पण पोर्टल आदि जैसे कई माध्यम हैं जो ई-शासन के माध्यम से पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने पर ज़ोर देते हैं।
वैसे सुशासन के मामले में इसी वर्ष चांडलर ‘गुड गवर्नेंस इंडेक्स’ (CGGI) में भारत को 49वाँ स्थान प्राप्त हुआ है। यह सूचकांक 104 देशों के सरकारी क्षमताओं और परिणामों को वर्गीकृत कर जारी किया गया। देश में शासन की स्थिति प्रभावों का आकलन करने के लिये ‘कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय’ द्वारा सुशासन सूचकांक (Good Governance Index- GGI) की शुरुआत की गई है।
अंत में आपसे जरुर जानना चाहेंगे कि सुशासन और सरकारों के सवाल आपस में कितने पूरक है? क्या वास्तव में सरकार से सवालों की प्रक्रिया सुशासन में अपनी भूमिका निभा सकती है?
अतः इस बात को समझना बेहद ज़रूरी है कि बेहतर शासन को चलाने की जिम्मेदारी जितनी सरकार की होती है, उतनी ही हम नागरिकों की भी होती है। इसलिए हमें एक सशक्त और सक्रिय नागरिक बनना होगा, जहां हमें सरकार की कार्य गतिविधियों पर नज़र रखते हुए समय-समय पर उनसे जवाबदेही मांगनी होगी। वहीं सरकार की भी जिम्मेदारी है कि वह अपने नागरिकों को दी जाने वाली सेवाओं के प्रति जवाबदेही और पारदर्शी तंत्रों की स्थापना करे।
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