अपने ज़मीनी अनुभव साझा करते रहें!
मेरा नाम उम्मेद सिंह है और मैं पिछले 13 सालों से विभिन्न संस्थाओं से जुड़ा हूँ। वर्तमान में अभी मंथन संस्था कोटड़ी अजमेर से जुड़कर कार्य कर रहा हूँ। इस दौरान मैंने सामाजिक विकास के मुद्दे जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, रोज़गार, महिला सशक्तिकरण और अभी कोविड-19 राहत व जागरूकता पर विभिन्न कार्य किये हैं। मौजूदा समय में मेरा कार्य ऐसे बच्चों को शिक्षा से जोड़ना रहा जो किसी विशेष परिस्थितियां की वजह से मुख्य धारा से नहीं जुड़ पाते हैं। हमारी संस्था सरकार, स्थानीय प्रशासन, पंचायतीराज, विभिन्न गैर सरकारी संगठनों, ग्रामीण समुदायों के साथ मिलकर काम करती आई है व अनवरत लोगों की बेहतर जिंदगी के लिए प्रयास कर रही है।
इतने सालों के दौरान सामाजिक कार्यों की क्रियान्वयन में कई चुनौतियां आई। ऐसे ही कुछ अनुभव मैं आप सभी के साथ साझा कर रहा हूँ ताकि मेरे कुछ अनुभव आपके काम में सहयोग करें।
सरकार के साथ अनुभव:
जैसा की आपको पता है सरकारी विभागों के अधिकारी व कर्मचारी बदलते रहते हैं तो उस समय हमारे सामने चुनौती रहती है कि जो रिश्ता हमने ऐसे अधिकारीयों के साथ इतने समय से बनाया होता है फिर उसका क्या होगा! हालांकि एक संस्था के तौर पर हम सभी को यह समझना जरुरी है कि अधिकारीयों का स्थानांतरण होना भी सिस्टम-समाज का एक हिस्सा है।
- सम्बंधित नए अधिकारी या कर्मचारी को अपने कार्यों से अवगत करवाने के साथ-साथ उनसे सहयोग की अपेक्षा रखना बेहद आवश्यक है। उनके साथ अपनी संस्था के अभी तक के कार्यों व सभी तरह की गतिविधियों से अवगत करायें ताकि एक शुरुआती रिश्ता कायम हो सके।
- अधिकारीयों को संस्था के कार्यक्षेत्र का फील्ड विजिट करवाकर संचालित कार्यक्रमों व कार्य में आने वाली चुनौतियों से भी अवगत कराएं है और जिससे अधिकाँश तौर पर परिणाम ये रहता है कि अधिकारी सकारात्मक सहयोग करते हैं। इसी का एक उदाहरण है कि 4 वर्ष पूर्व एक गाँव में प्राथमिक शाला बंद हो जाने के कारण लगभग 40 बच्चे शिक्षा से वंचित हो गये थे उस दौरान ब्लॉक शिक्षा व जिला शिक्षा अधिकारी, कलेक्टर जी से मिलकर गाँव की समस्या से अवगत कराया और परिणाम ये हुआ की अगले सत्र में सम्भावना है कि शाला शुरू कर दी जाएगी।
- अधिकारीयों के कामों में ख़ामियाँ निकालकर विचारों को टकराने व प्रतिरोध पैदा करने की बजाय उन्हीं के साथ मिलकर लोगों तक कैसे सरकारी योजनाओं को बेहतर तरीके से पंहुचाई जा सके इस पर फोकस करते आये हैं।
- कोरोना काल के समय से स्थानीय प्रशासन, जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर राहत कार्य कर रहे जैसे राशन वितरण, मास्क वितरण केम्प, जागरूकता कैंप। उदाहरण के तौर पर देखे तो बागरिया व कालबेलिया समुदाय के बच्चों के लिए संस्था द्वारा एक माह तक एक समय का भोजन उपलब्ध करवाया जिसमें शुरुआत स्थानीय प्रशासनिक अधिकारीयों से करवाई गई।
समुदाय के साथ कार्यों का अनुभव:
- ग्रामीण समुदायों के साथ काम करने के दौरान हम विशेष रूप से उनसे संवाद करके उनकी आवश्कताओं की प्राथमिकताओं को देखते हैं और फिर हमारे प्रोजेक्ट प्लान को उसी तरीके से क्रियान्वित करते हैं।
- हम स्थानीय प्रशासन से प्रत्यक्ष संवाद करने के बजाय लोगो को जागरूक करते हैं ताकि वो खुद जाकर सरकार से सवाल-जवाब करें तथा साथ ही उनके लिए आई योजनाओं का लाभ लेने में सक्षम हों।
- हम लोगों को सामाजिक कुरीतियों के प्रति सीधे तौर पर कटाक्ष न करके उन्हें उनका अहसास करवाते हैं, जिनका दूरगामी परिणाम सफल रहा है। इसका एक उदाहरण है कि बाल विवाह के प्रति सीधे उस परिवार को पुलिस का डर दिखा कर रोकने के लिए नहीं कहते बल्कि बजाय इसके हम उस लड़की को निरंतर पढ़ाई के लिए प्रेरित करते हैं। साथ ही उसको व्यवसायिक प्रशिक्षण से जोड़कर उसको किसी न किसी काम में लगा देते हैं, जिससे उसके घरवाले शादी में देरी कर देते हैं, ऐसा हमने कई लड़कियों के परिवारों के साथ किया है।
अतः अंत में मैं यही कहना चाहूँगा कि किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए जरुरी है कि सरकार और नागरिक दोनों एक साथ आगे आयें। क्योंकि संस्थाओं के तौर पर हम सभी पिछले कई वर्षों से अपने अनुभव लिए आ रहे हैं इसलिए यह जरुरी है कि हम इन अनुभवों को एक दुसरे के साथ साझा करते रहें ताकि सेवाओं को बेहतर करने में बल मिल सके।