सरकारी ऑफिस में दोस्त क्यों बनाये?
किसी भी सरकारी दफ्तर में आस-पास के अधिकारियों और अन्य लोगों से दोस्ती करना मददगार हो सकता है – हमारी संस्था के एक सदस्य का निजी अनुभव
अगर आपको सरकारी विभागों से कोई काम या कोई दस्तावेज़ निकालना है तो आप सिर्फ एक ही अधिकारी पर फोकस ना करे आपको इनके आस – पास बैठे बाकी कर्मचारियों से भी दोस्ती करनी पड़ेगी। क्या आप दोस्त बनाने के लिए तैयार हैं?
मैं इस संदर्भ में एक कहानी शेयर करना चाहूँगा जो मेरे साथ घटित हुई थी | हुआ यह था की मुझे पंचायती राज विभाग से कुछ वितीय दस्तावेज़ इक्कठा करना था | मैं जब पंचायती राज विभाग के पंचायती राज अधिकारी ( DPRO ) से मिला और अपना परिचय देते हुये अपना उद्देश्य बताया तो उन्होंने बोला की आज मैं बहुत व्यस्त हूँ इसलिए आप कल सुबह में मिलिये | मैं उनके कार्यालय से बहुत बहुत धन्यवाद सर बोल कर निकल गया। फिर मैं पुनः अगले दिन सुबह में उनके कार्यालय में पहुँच गया | जब मुझे अपने कार्यालय में पंचायती राज डिपार्टमेंट के अन्य अधिकारियों ने देखा तो मुझे बैठने को बोला और फिर चाय पिलाई | जब मैंने चाय पी ली, तो उन्होंने मुझे बोला की जो वितीय दस्तावेज़ मैं मांग रहा था, उसके लिए राज्य का परमिशन पत्र चाहिए। मेरे पास कोई परमिशन पत्र नहीं था और मैंने उन्हें यह बात बतायी। उन्होंने बोला की बिना परमिशन पत्र, वह वितीय दस्तावेज़ मुझे नहीं दे पायेंगे। यह बात सुन कर मैं सोच में पड़ गया और उन्हें बताया की मुझे आवश्यक रूप से अपने दिल्ली कार्यालय तक सूचना पहुँचानी होगी।
मेरे आग्रह को सुन कर उन्होंने मुह्जे यह सुझाव दिया की अगर आप हमारे उप विकास आयुक्त (डी.डी.सी) से मिलें तो वह आपको सभी वितीय दस्तावेज़ उपलब्ध करा सकते हैं | मैं अब उस दस्तावेज़ को पाने के लिए डी.डी.सी पर फोकस करने लगा |
मैं डी.डी.सी से मिलने के लिए कार्यालय का चक्कर काटने लगा | यह सिलसिला चार – पांच दिन तक चलते रहा पर मैं डी.डी.सी से नहीं मिल पा रहा था| इसी क्रम में मेरी दोस्ती पंचायती राज्य विभाग के अन्य कर्मचारियों से होने लगी | इसी विभाग के मुख्य लिपिक ( बड़ा बाबू ) ने मुझे एक दिन अपने पास बुलाया और बोला की वह मुझे पिछले चार – पांच दिनों से देख रहे हैं,- ‘आप सुबह – सुबह कार्यालय में आ जाते है और शाम तक रुकते है’ | उन्होंने मुझसे पुछा कि मेरी समस्या क्या थी?
मैंने उन्हें जब सारी बात बताई, तब उन्होंने मुझे बोला कि अगर मैं उनसे पहले मिला होता तो मुझे इतनी परेशानी नहीं उठानी पड़ता| उन्होंने बस मुझसे पेन ड्राइव मांगी, और उन्होंने मुझे वो सभी वितीय दस्तावेज़ उपलब्ध करा दिए जो मुझे चाहिए थे | इस तरह से मैं अपना काम पूरा कर पाया |
कार्यालय के चपड़ासी से दोस्ती करना भी फायदेमंद हो सकता है!
अगर आपका जितना महत्वपूर्ण सरकारी अधिकारी से दोस्ती करना है उस से कही अधिक लाभदायक कार्यालय के चपड़ासी से दोस्ती करना साबित होगा| आज कल सरकारी विभागों में अधिकारयों से ज्यादा वहां के चपड़ासी का चलता है| जैसे आपको अगर अधिकारी से मिलने के लिए समय लेना है तो अगर आपकी दोस्ती चपड़ासी से अच्छी होगी तो आपको समय तुरन्त मिल जायेगा या फिर कोई फाइल अधिकारी तक पहुँचाना हो तो चपड़ासी के ज़रिये कम समय में वह फाइल अधिकारी तक पहुचं कर उस पर अधिकारी की प्रतिक्रिया मिल कर आपके हाथो तक पहुँच जायेगी |
इसलिए याद रखें पुरे दफ्तर से दोस्ती करें, क्या पता कौन आपका काम पूरा कर दे!