सबकी जिम्मेदारी है, प्राकृतिक संसाधनों को संजोये रखना

मेरा नाम देवा राम गमेती है और मैं राजस्थान का रहने वाला हूँ| मैंने स्कूली शिक्षा के दौरान ही संस्थाओं और उनके काम के बारे में काफी कुछ सुन रखा था तथा मेरी रूचि भी इसी क्षेत्र में जाने की थी| अतः मैंने उसके बाद सारी पढ़ाई प्राइवेट ही की तथा साथ-साथ में नौकरी भी की| मैं वर्ष 2003 सही सामाजिक क्षेत्र के कार्यों से जुड़ा हूँ तथा इस दौरान मैंने अलग-अलग संस्थाओं के साथ विभिन्न क्षेत्रों पर काम किया है|

दिसंबर 2017 से अभी तक मैं सेवा मंदिर संस्थान राजस्थान में कार्यरत हूं| मैं संस्था में महिला एवं बाल विकास इकाई में कार्यक्रम सहायक के रूप में कार्यरत हूं| सेवा मंदिर संस्थान को सामजिक क्षेत्र में अपनी सेवाएं देते हुए लगभग 52 साल पूरे हो गए हैं| यह संस्था महिला एवं बाल विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं जल ग्रहण के साथ-साथ कृषि के क्षेत्र में सुधार हेतु कार्य कर रही है| इसके तहत संस्था जमीनी स्तर पर लोगों की आय बढ़ाने के लिए बकरी पालन, महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत महिलाओं को स्वयं सहायता समूह से जोड़ना, किसानों को उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध करवाना इत्यादि पर काम करती है|

एन.जी.ओ. क्षेत्र में काम करते हुए मुझे महसूस हुआ है कि कई बार हमारे और सरकार के बीच काम करने में भी काफी अंतर आ जाता है| कई बार ऐसा भी देखने को मिलता है कि सरकार में राजनीतिक प्रभावों की वजह से जो पैसा जिन चीजों पर लगना चाहिए वहां न लगाकर ऐसे ही अन्य चीजों पर खर्च कर दिया जाता है| इसका कारण शायद कई बार जमीनी जरूरतों का आकलन किये बिना भी हो सकता है| हालांकि संस्थाओं और सरकार दोनों की मंशा यही रहती है कि ऐसे तबकों तक लाभ पहुँचाया जाये जिन्हें वास्तव में उनकी सबसे ज्यादा आवश्यकता है|

सेवा मंदिर संस्थान के तौर पर आगे हमारा लक्ष्य यह है कि जिन क्षेत्रों में सरकार की पहुंच नहीं है तथा गरीब तबके के लोग जो अभी भी सरकारी सुविधाओं से वंचित हैं, उनको फायदा पहुंचाना है जैसे पेयजल स्रोत कृषि से जोड़ने का कार्य, महिला एवं बाल विकास एवं शिक्षा तथा स्वास्थ्य से जोड़ना शामिल है| जिन क्षेत्रों में आंगनवाड़ी सेंटर नहीं खुले हुए हैं वहां पर हमारी संस्था द्वारा बालवाड़ी केंद्र खोले गए हैं जिनमें 1 से 5 वर्ष के बच्चे शामिल होते हैं| बालवाड़ी केंद्र पर बच्चों को गर्म पोषाहार बना कर वितरण किया जा रहा है साथ ही अभिभावकों द्वारा पोषण वाटिकाएं लगाई गई हैं जिनको संस्था ने निःशुल्क बीज उपलब्ध करवाएं गए हैं जो सप्ताह में एक या दो बार बालवाड़ी पर सब्जी निःशुल्क पहुंचाते हैं जिससे बच्चों को भरपूर पोषण मिलेगा|

आज हमारे सामने संसाधनों को संजोये रखना एक बड़ी चुनौती हो गया है| पेड़-पोधे एवं जल संसाधनों को संरक्षित करना हमारे लिए बेहद जरुरी है| जिस तरह से हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं तो महिलाओं के लिए ये आजीविका को चलाने के खास संसाधन है| महिलाएं पशु-पालन एवं कृषि कार्य से ज्यादा जुड़ी रहती हैं तथा घर पर ही वे इनके द्वारा आजीविका चलाने का प्रयास करती हैं| यदि आप देखें तो आजकल जिस तरह से पेड़-पौधों का दोहन किया जा रहा है तो इससे पशुओं के चारे को लेकर समस्या आना शुरू हो चुकी है| वहीँ प्राकृतिक जल-संसाधनों की साफ़-सफाई एवं उनका सही तरीके से संरक्षण न किये जाने की वजह से पेयजल तथा कृषि की सिंचाई के लिए भी संकट खड़ा हो चूका है| मुझे लगता है कि सरकार को खास तौर से महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए पंचायत स्तर पर नियमित प्रशिक्षण दिए जाने चाहिए तथा साथ ही उनके लिए ऐसे प्लेटफार्म भी तैयार किये जाने चाहिए जिससे महिलाओं द्वारा तैयार माल को बाजार तक ले जाने की भी व्यवस्था हो|

आज भी जरूरतमंद लोगों तक सरकारी सेवाओं की पहुंच पूरी तरह से नहीं है| अतः सरकार को सामाजिक संस्थाओं को साथ में लेते हुए ऐसे लोगों तक सुविधाएं पहुंचाने का काम करना चाहिए| सरकार को कृषि के क्षेत्र में किसानों को सक्षम बनाने की हर मुमकिन कोशिश करनी चाहिए क्योंकि जब कृषि पर अधिक बल दिया जायेगा तो इससे देश में अनाज की पैदावार भी अधिक होगी|

विभिन्न संस्थाओं में काम करने वाले बाकी साथियों से मैं अंत में यही कहना चाहूँगा कि जहां पर सरकार की पहुंच नहीं है वहां पर अवश्य कार्य करें और जरूरतमंद लोगों को जिन सेवाओं की आवश्यकता है वह सेवाएं सरकार के माध्यम से पहुंचाने की कोशिश करें| इससे कहीं न कहीं सरकार को भी हमारी अहमियत और अधिक नजर आएगी|