वैश्विक महामारी से लड़ाई में एक पंचायत के ‘बढ़ते कदम’

कोविड-19 की दूसरी लहर ने पूरे देश में एक गंभीर स्थिति पैदा कर दी है। इस मुश्किल समय में पंचायती राज संस्थाओं की ज़िम्मेदारियाँ काफी बढ़ गई हैं। बहुत से विभागों तथा लोगों ने चुनौतियों को अवसर में बदला है और आम जनता तक राहत पहुंचाने के लिए अपनी ज़िम्मेदारियों से कहीं बढ़कर काम किया है। ‘बढ़ते कदम’ सीरीज़ के तहत हम कुछ ऐसी ही कहानियां आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। यह कहानी बिहार की एक ऐसी पंचायत की है जिसने अपनी सूझबूझ से इस महामारी पर काबू पाया है।

बिहार की मजलिसपुर पंचायत में सदस्यों का कहना है कि लगभग 30 प्रतिशत जनता सर्दी, खांसी एवं बुखार से पीड़ित थी तथा एक दर्जन से अधिक लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी थी। पंचायत में कोरोना को लेकर दहशत थी। कुछ लोग तो गाँव छोड़कर अपने रिश्तेदारों के घर जाने लगे थे। सरकार की गाइडलाइन का पालन भी ठीक से नहीं हो रहा था।

पंचायत में पूर्व सैनिकों के नेतृत्व में कुछ नवयुवकों और जनप्रतिनिधियों ने सरकार का ध्यान खींचने के लिए ज़िला मजिस्ट्रेट, प्रखंड विकास अधिकारी, और उप-मंडल अधिकारी को लिखित प्रतिवेदन दिया। पंचायत के अंदर बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगायी गयी तथा लोगों ने खुद ही मिलकर पंचायत को सील कर दिया।

जहाँ कोरोना पॉज़िटिव मरीज़ थे, वहां पर विशेषकर सैनिटाइज़र का छिड़काव किया गया। बाहरी व्यक्तियों की पंचायत में प्रवेश से पहले कोविड-19 जांच होने लगी। 15वें वित्त आयोग की राशि से सभी परिवारों को मास्क उपलब्ध कराये गए तथा लोगों ने सरकार की गाइडलाइन का पालन करना शुरू किया।

पंचायत में कार्यरत आशा कार्यकर्ता का कहना था कि संक्रमण बहुत तेज़ी से फ़ैल रहा था और यदि पंचायत के लोग खुद आगे बढ़कर काम नही करते तो स्थिति बहुत खराब हो जाती। आंगनवाड़ी सेविका ने बताया कि गाँव में मृत्यु की सूचना सुनकर उनके परिवार वाले भी उन्हें घर से बाहर निकलने के लिए मना करने लगे थे लेकिन उन्होंने इस दौरान भी अपना कार्य जारी रखा और घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करने का काम किया।

जनप्रतिनिधियों ने मुखिया जी के नेतृत्व में न सिर्फ गाँव के लोगों का हर तरह से सहयोग किया बल्कि सरकार से बुनियादी सुविधाओं की मांग भी की। पंचायत में शिक्षक, आंगनवाड़ी सेविका, आशा कार्यकर्ता, पंचायत सचिव, वार्ड सदस्य, और जीविका दीदी की एक समिति बनायी गयी और इस समिति ने संक्रमण को रोकने की जिम्मेदारी ली।

इस समिति ने लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित किया तथा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन में मदद की एवं ज़रूरतमंद लोगों को राशन उपलब्ध कराया। इस प्रकार पंचायत के लोगों ने दृढ़ निष्ठा के साथ बिहार में कोविड-19 महामारी के दुष्प्रभाव को कम किया।