विश्व एनजीओ दिवस- विशेषांक

प्रतिवर्ष फरवरी माह में विश्व एनजीओ दिवस मनाया जाता है। दुनिया में बहुत से ऐसे वर्ग हैं, जिन्हे कई तरह की सहायता की जरूरत होती है, ऐसे में इनके लिए स्वेच्छा से एनजीओ वाले आगे आते हैं।

इस दिन को उन लोगों के प्रोत्साहन के लिए मनाया जाता है, जो दिन-रात मानव और पशुओं के लिए किसी ना किसी एनजीओ में कार्यरत है। इनके सम्मान में पूरी दुनिया भर में ‘विश्व एनजीओ दिवस’ मनाया जाता है। पहली बार विश्व एनजीओ दिवस 27 फरवरी 2014 को मनाया गया था। एनजीओ की पूरा नाम नॉन-गवर्नमेंट आर्गेनाईजेशन यानी गैर सरकारी संस्था है।

दरअसल एनजीओ का कार्य किसी एक विशेष क्षेत्र में जरूरतमंद लोगों की मदद करना है। विश्व भर के सभी देशों में कई तरह के एनजीओ कार्य करते है जो भोजन, आवास, शिक्षा और उपचार जैसी जरूरी चीजें जरूरतमंद लोगों को देते है। इसकी सराहना करने हेतु और उन्हें इस नेक काम के लिए प्रोत्साहित करने के लिए इस दिन को पूरी दुनिया में मनाया जाता है।

इस दिवस का एक खास उद्देश्य है, दरअसल इसका उद्देश्य उन सभी लोगो की पहचान करना जो निस्वार्थ भाव से लोगों और जानवरों की सेवा करते हैं और उनका सम्मान करना है।

अगर भारत की बात की जाये तो भारत में भी बहुत सारे गैर सरकारी संगठन मानव और श्रम अधिकारों, लैंगिक मुद्दों, स्वास्थ्य देखभाल, पर्यावरण, शिक्षा, कानूनी सहायता और यहाँ तक की अनुसंधान से संबंधित विविध गतिविधियों में लगे हुए हैं। हर किसी का उद्देश्य बस यही है कि हम किस तरह, सरकार के साथ जुड़कर सेवाओं को बेहतर कर पाएं। कोविड-19 भले ही एक संकट के रूप में हम सभी के सामने आया हो लेकिन इस दौरान गैर सरकारी संगठनों के प्रयास किसी से छुपे नहीं है।

आइये आज के इस दिवस पर अपने कुछ साथियों से भी उनके विचार उन्हीं के शब्दों में जानते हैं जो अलग-अलग संगठनों के साथ जुड़े हैं:

“गैर सरकारी संगठन सरकार के कार्यक्रमों में ख़ामियों को दूर करने का प्रयास करते हैं और उन लोगों तक सेवाओं को पहुंचाने का काम करते हैं, जो अक्सर सरकार की योजनाओं से अछूते रह जाते हैं। कोविड-19 की अगर बात की जाए तो ऐसी विपरीत परिस्थिति में भी हमारी संस्था ने सरकार के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर मुश्किल वक्त का सामना किया है तथा लोगों को सेवाएं पहुंचाने का काम किया है”।

अमित कुमार जोगी, इब्तिदा संस्था (अलवर, राजस्थान)

“गैर सरकारी संगठनों के तौर पर समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। इसलिए संस्थाओं में काम करने वाले हम सभी साथियों को चाहिए कि जिस भी क्षेत्र में हम लोग काम कर रहे हैं, उसके प्रति हमें नागरिकों को अधिक से अधिक जागरूक करना होगा तथा लोगों को इस तरह से तैयार करना होगा, जिससे उन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर न काटने पड़ें बल्कि उन्हें ऑनलाइन माध्यमों को भी जीवन में उतारने के लिए तैयार करना होगा”।

राहुल चौरसिया, अहिंसा वेलफेयर (राजगढ़, मध्य प्रदेश)

“हमारी संस्था मुख्य रूप से बच्चों की शिक्षा पर कार्य करती है। हमारी नियमित कोशिश है कि बच्चों की इस तरह के कार्यक्रम चलाये जाएँ जिनके माध्यम से बच्चे ज्यादा से ज्यादा सीख पाएं। संस्थाओं के तौर पर हम अपने प्रयास जारी रखेंगे लेकिन साथ ही यह भी ज़रूरी है कि सरकार को विद्यालयों में वे सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराये जाने चाहिए, जिससे ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा मिल सके। इसी से हमारे देश के ये बच्चे भविष्य की प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हो पाएंगे”।

नकी अहमद, प्रथम संस्था (बिहार)