‘लोग हमें वायरस वाहक के रूप में सोचते थे’

प्रश्न: पिछले नौ महीनों के दौरान, आप कोविड से संबंधित कार्यों से जुड़े रहे हैं। क्या आप कोविड-19 महामारी और गैर-महामारी के दौरान के अपने कर्तव्यों का संक्षिप्त विवरण दे सकते हैं?

सहायक नर्स मिडवाइफ (एएनएम): हमें एक ‘कोरोना योद्धा’ के रूप में टास्क फोर्स में रखा गया था, और मेरा काम मुख्य रूप से घर-घर जाकर सर्वे करना था, जिसमें देखना था कि किसी भी व्यक्ति में कोविड के लक्षण तो नहीं दिख रहे हैं। मैंने गाँव में आने वाले लोगों पर भी नजर रखी  कि उनको किसी प्रकार के लक्षण तो नहीं है, और उन्हें अलग रहने के लिए भेजा। इसके अलावा मैं प्रत्येक 2-3 दिन में यह भी जांच करती थी कि कहीं उनमें किसी प्रकार के लक्षणों का विकास तो नहीं हो रहा है।

मेरे पूरे कार्य क्षेत्र में कुल 6,200 लोगों की आबादी है, तो इस नाते मेरे ऊपर कोविड -19 वायरस के बारे में जागरूकता फैलाने की भी जिम्मेदारी थी। वास्तव में कोई भी ये नहीं जानता था कि यह वायरस क्या है, और साथ ही किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि यह वायरस हम तक पहुँच सकता है। लोगों ने सोचा कि यह कुछ ऐसा होगा जो हम समाचारों में सुनते हैं, या अखबार में पढ़ते हैं, लेकिन फ्रंटलाइन वर्कर्स के नाते हम इस वायरस की गंभीरता के बारे में जानते थे, इसलिए हमें यह भी जिम्मेदारी दी गई कि हम इसके बारे में लोगों को बताएं और जितना हो सके उनके किसी भी सवाल का जवाब दें।

इस पूरे चरण में, टीकाकरण के मेरे आमतौर पर किये जाने वाले कार्यों को फिलहाल रोक दिया गया। यह केवल मई में ही था, जब प्रतिबंध सख्त नहीं थे, हमने अब सभी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए टीकाकरण फिर से शुरू किया है जिसमे हमने सैनिटाइजर, मास्क और सामाजिक दूरी का पालन किया।

प्रश्न: महामारी में आपके कार्य क्षेत्र में अन्य फ्रंटलाइन वर्कर्स (एएनएम, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और आशा) / अन्य कोरोना योद्धाओं के साथ आपका संबंध क्या था? उदाहरण के लिए, आप कितनी बार एक दूसरे के साथ बात करते हैं, और आप आपस में किस तरह का समन्वय कर रहे हैं?

सहायक नर्स मिडवाइफ (एएनएम): फ्रंटलाइन वर्कर्स के तौर पर हमारे बीच हमेशा समन्वय होता है। हम – एएनएम और आशा,  एक साथ सर्वेक्षण करते हैं। हम सबसे पहले इस बात का आकलन करते हैं कि हम अपने काम का विभाजन किस तरह करें, खास तौर से जब कार्य घर-घर जाकर सर्वेक्षण करने से जुड़ा हो।

काम के अलावा भी हम हमेशा संपर्क में रहते हैं। हमें जब भी कोई चुनौती आती है, हम आपस मे बात करते हैं।

हम हमेशा एक दूसरे के साथ हैं, जब भी शाम को देर होती है और हमारे पास सर्वेक्षण करने के लिए घर शेष रहते हैं, तो हम एक दूसरे के साथ रहते हैं ताकि किसी को अकेले यात्रा न करनी पड़े। विशेष रूप से देर शाम को लोगों के घरों में जाना कठिन होता है, इसलिए जहाँ भी जरुरत पड़ती है, हम एक-दूसरे की मदद करने के लिए खड़े होते हैं।

प्रश्न: क्या आपको काम को पूरा करने में चुनौतियां पेश आती हैं?

सहायक नर्स मिडवाइफ (एएनएम): जब लोग हमारी सलाह नहीं सुनते या नियमों को तोड़ते हैं, तो हम बहुत हतोत्साहित होते हैं। इसलिए कई बार हम लोगों को संदेश, वीडियो भेजते हैं तथा उन्हें पोस्टर दिखाते हैं ताकि वे महामारी के दौरान नियमों और प्रोटोकॉल का पालन कर सकें, लेकिन वे इसे भी अनदेखा करना पसंद करते हैं।

बहुत से लोगों ने भी हमारी बात मानने से इनकार किया और हमसे दुर्व्यवहार भी किया। एक बार एक प्रवासी  ने मेरे साथ दुर्व्यवहार किया और बाकी से अलग रहने को लेकर इनकार कर दिया। मैंने इस मामले में अपने पर्यवेक्षक को भी बताया लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ। मुझे पंचायत को इसकी रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था, लेकिन मैंने सबसे पहले पुलिस से मदद मांगी और फिर पंचायत को मामले की सूचना दी।

मैंने ज्यादा चुनौतियों का सामना नहीं किया है। जैसे की, यातायात मेरी कभी समस्या नहीं रही। मेरे पास स्वयं की एक कार है इसलिए मैं हर जगह यात्रा करने के लिए उसका उपयोग करती हूं। मुझे उसके ईंधन के लिए खर्च नहीं मिलता है। यहां तक कि महामारी से जुड़े कार्य को करने के लिए, मुझे लगभग 2-3 महीने तक प्रोत्साहन राशि मिली, लेकिन उसके बाद कुछ भी नहीं मिला।

इस काम के लिए हमें हर समय तत्पर रहना एक बड़ी चुनौती रही है। हमें हर समय तैयार रहना पड़ता था और पूरे दिन सन्देश और कॉल पर उपलब्ध रहना होता था।

मार्च और अप्रैल 2020 के महीने सबसे कठिन थे क्योंकि लोगों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि हम उन पर नज़र रखने वाले हैं। वे हमें संक्रमित समझते थे और हमें अपने घरों में नहीं आने देते थे। वे सोचते थे कि हम यहां-वहां घूमते रहते हैं इसलिए हम वायरस से भी संक्रमित हैं। वे हमें अछूत समझते थे।

काम का बोझ भी बहुत बढ़ गया है। उदाहरण के लिए, इससे पहले अगर लोगों में सर्दी और खांसी के लक्षण थे, तो हम सिर्फ लोगों से खुद इसका ध्यान रखने के लिए कह लेते थे। लेकिन अब, इस तरह की छोटी चीजों के लिए भी, हम लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आने और जांच करवाने की सलाह देते हैं। इसलिए हम इन स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करते हैं, जिनमें अब वृद्धि हुई है।

काम करना अब और भी कठिन हो गया है क्योंकि हमें मास्क, सैनिटाइजर और दस्ताने पहनने जैसी अधिक सावधानी बरतनी होती है। मैं भी 50 साल से अधिक उम्र की हूं, मास्क लगाने पर जल्दी-जल्दी  सांस लेना पड़ता हैं और इसीलिए थक जाती हूं। मास्क पहन कर काम करना एक कठिन समस्या है।

प्रश्न: आपने उन चुनौतियों को कैसे पार किया, जिनका आपने सामना किया?

सहायक नर्स मिडवाइफ (एएनएम): यह काम करना मेरी जिम्मेदारी है। मैं 32 साल से इस काम में हूं, हर दिन एक ही काम कर रही हूं। मैं अब यह काम नहीं छोड़ सकती क्योंकि आम जनता को मेरे जैसे लोगों की जरूरत है। मुझे पता है कि लोगों को मेरी जरूरत है, इसलिए यह सब मुझे प्रेरित करता है। यह पैसे के बारे में भी है। मैं अभी अपने परिवार की एकमात्र कमाने वाली हूं और मेरे पति बीमार रहते हैं।

इसमें एक बात और भी है कि जब भी मैं स्वास्थ्य सेवा के बारे में जागरूकता बढ़ाती हूं, या कोविड-19 के बारे में लोगों से बात करती हूं, तो मुझे अच्छा लगता है। मुझे लगता है कि मैं कुछ करने में सक्षम हूं। यह सब मुझे मेरे काम के लिए प्रेरित करने में मदद करता है।

यह साक्षात्कार कोविड-19 रिसर्च फ़ंडिंग प्रोग्राम 2020 के तहत अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा वित्त पोषित एक शोध अध्ययन के भाग के रूप में आयोजित किया गया था। यह अध्ययन कोविड-19 महामारी के दौरान राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में फ्रंटलाइन श्रमिकों के अनुभवों को दर्शाता है ।

 

यह साक्षात्कार 12 जनवरी 2021 को हिंदी में राजस्थान के जयपुर में एक सहायक नर्स मिडवाइफ के साथ आयोजित किया गया था।