‘लोग नहीं जानते कि टीकाकरण के लिए ऑनलाइन पंजीयन कैसे करते हैं’

अप्रैल 2020 में शुरू की गई ‘इनसाइड डिस्ट्रिक्ट्स’ श्रृंखला जिला और ब्लॉक स्तर के अधिकारियों, पंचायत पदाधिकारियों, लाभार्थियों और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के अनुभवों को उनकी चुनौतियों और बेहतरीन कार्यों को संजोने का एक अनूठा प्रयास है।

यह साक्षात्कार 20 मई 2021 को हिमाचल प्रदेश में एक पंचायत सचिव के साथ आयोजित किया गया था, जिसका अनुवाद किया गया है।

प्रश्न: 45 से ऊपर और 18 वर्ष से ऊपर के आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण के लिए क्या व्यवस्था की गई है? इसको लेकर आप किन कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं?

पंचायत सचिव : पंचायत उपकेंद्र में कोविड-19 का टीकाकरण हो रहा है और इसके साथ ही हमारी पंचायत के एक स्कूल को भी टीकाकरण केंद्र में तब्दील कर दिया गया है.

वैक्सीन की दो खुराक के बीच का समय अंतराल फिर से बढ़ा दिया गया है, और इसलिए कुछ लोग जो दूसरी खुराक लेने आते हैं, उन्हें सामाजिक दुरी के नियम का पालन कराना पड़ता है। उन्हें कोरोना की दिशा निर्देश समझाना बहुत मुश्किल हो जाता है।

हिमाचल प्रदेश में 17 मई से 18 वर्ष की आयु से ऊपर के लोगों के टीकाकरण की शुरुआत की गई है; वर्तमान समय में जिले में कुल 55 टीकाकरण केंद्र बनाए गए हैं। टीकाकरण सप्ताह में दो दिन होता है और प्रतिदिन 100 लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है।

एक बड़ी चुनौती यह है कि पंजीकरण पोर्टल बुकिंग के लिए खुलता है और 5 मिनट के अंदर ही केंद्र पूरी तरह से बुक हो जाते हैं। जो लोग गरीब या अनपढ़ हैं उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वे नहीं जानते कि अपना ऑनलाइन पंजीकरण कैसे करें।

प्रश्नः क्या ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) तैयार की जा रही है?

पंचायत सचिव: ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) का काम आंशिक रूप से हो चुका है; इसे अभी तक ग्राम सभा से मंजूरी नहीं मिली है। इसके लिए ग्राम सभा की बैठक अप्रैल में होनी थी, लेकिन जिला पंचायत अधिकारी के आदेश अनुसार कोविड-19 के मामलों की संख्या बढ़ने के कारण बैठक रद्द कर दी गई।

प्रश्न: क्या पंचायत के पास कोविड-19 कार्य के लिए धन है?

पंचायत सचिव: ग्राम पंचायत के पास इसी तरह का कोई फंड नहीं है जिसे वह कोविड-19 के काम में इस्तेमाल कर सके। कुछ दिन पहले, हमें राज्य सरकार से एक पत्र मिला, जिसमें कहा गया था कि प्रत्येक ग्राम पंचायत को कोविड-19 कार्य के लिए 25,000 रुपये प्रदान किए जाएंगे। इस पर जिलाधिकारी, जिला पंचायत अधिकारी और प्रखंड विकास अधिकारी (बीडीओ) को निर्देश भी दिए गए हैं।

हालांकि अभी तक प्रखंड विकास अधिकारी (बीडीओ) की तरफ से गाइडलाइंस को लेकर हमारे पास कोई स्पष्टता नहीं है। हमें नहीं पता कि हम कोविड-19 के काम के लिए 15वें वित्त आयोग से पैसा खर्च कर सकते हैं या नहीं।

 

टिप्पणियाँ:

*जीपीडीपी: जीपीडीपी पंचायत स्तर पर एक वार्षिक, विकेन्द्रीकृत नियोजन प्रक्रिया है। 2015 में, चौदहवें वित्त आयोग के अनुदान ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित किए गए, जिससे उन्हें अपनी पंचायत के विकास की योजना बनाने का अवसर मिला। तब से, स्थानीय निकायों से जीपीडीपी तैयार करने की अपेक्षा की जाती है जो विकास के मुद्दों, जरूरतों और कमज़ोर वर्गों सहित समुदाय की प्राथमिकताओं को प्रदर्शित करते हैं।