राजस्थान में शिक्षा नवाचार

हम सब जानते हैं कि कोविड-19 ने एक वैश्विक महामारी की स्थिति को जन्म दिया है जिसके कारण दुनिया ने सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक रूप से मुश्किल समय का सामना किया है। साथ ही देश ने मुख्य रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों का सामना किया और अभी भी  करने पर विवश है। कई पीढ़ियों ने पहली बार ऐसे दुःखद आपातकाल का अनुभव किया जिसमें लोग अपने घरों में बंद रहने को मजबूर हो गए, सामाजिक दूरी समय की जरूरत बन गयी और शिक्षण संस्थानों पर ताले लगाने पड़ गए।

कोविड-19 के प्रसार ने हमें तकनीकी परिवर्तन और शिक्षण पद्धतियों में नवाचार के लिए भी तैयार किया है। राज्यों ने अपने-अपने स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार करने के प्रयास किये हैं। राजस्थान सरकार ने शिक्षा विभाग के माध्यम से राज्य में कोविड -19 के दौरान डिजिटल लर्निंग पर निम्नलिखित कार्यक्रमों को लागु किया।

  • स्माइल प्रोग्राम- लर्निंग एंगेजमेंट के लिए सोशल मीडिया इंटरफेस
  • शिक्षादर्शन – टीवी के माध्यम से शैक्षिक सामग्री
  • शिक्षावाणी – उन छात्रों के लिए रेडियो प्रसारण जिनके पास स्मार्टफोन तक पहुंच नहीं है
  • हवामहल – हर्षित शनिवार
  • यु-ट्यूब के माध्यम से करियर मार्गदर्शन पर छात्रों के लिए लाइव सत्र आयोजित करना
  • कला उत्सव – समर कैंप
  • दीक्षा सामग्री
  • शाला दर्पण के माध्यम से आमंत्रित किया गया ई-कंटेंट

इन सब के चलते शिक्षण के लिए सार्वजनिक-निजि भागीदारी बढ़ी है। विभिन्न हितधारकों के साथ-साथ सरकार, प्रकाशकों, शिक्षा पेशेवरों, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं, और दूरसंचार नेटवर्क ऑपरेटरों के गठबंधन को आकार लेते हुए देखा गया है, जो संकट के अस्थायी समाधान के रूप में डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग करने के लिए एक साथ आये हैं। विकासशील देशों में जहां शिक्षा मुख्य रूप से सरकार द्वारा प्रदान की गई है, यह भविष्य की शिक्षा के लिए एक प्रचलित और परिणामी प्रवृत्ति बन सकती है।

जाना जाता है कि शैक्षणिक संस्थानों की शिक्षण पद्धतियों में बदलाव की गति बहुत धीमी रही है। कोविड-19 अपेक्षाकृत कम समय में अभिनव समाधानों की खोज के लिए शैक्षणिक संस्थानों के लिए उत्प्रेरक बन गया। दूरदर्शन, रेडियो, वाट्सएप्प, युट्यूब और कई डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग शिक्षण प्रक्रिया के लिए इस दौरान किया जा रहा है।

इस पूरी प्रक्रिया में पंचायत स्तर के शिक्षा अधिकारी (पीईईओ) ने मजबूत कड़ी के रूप में राज्य के नीतिकारों और कार्यान्वयनकर्ताओं के बीच मुख्य भूमिका निभाई है। पंचायत स्तर के शिक्षा अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र में शिक्षकों के साथ सक्रिय रूप से संवाद कर रहे हैं ताकि अधिक से अधिक माता-पिता की पहचान की जा सके और उन्हें जोड़ा जा सके।

साथ ही, राज्य शाला संबलन ऐप के माध्यम से ऐप आधारित निगरानी प्रक्रिया विकसित की जा रही है। शाला संबलन प्रक्रिया, जो स्कूलों के प्रशासनिक और शैक्षणिक प्रदर्शन की निगरानी के लिए एक स्कूल दौरा कार्यक्रम है। मोबाइल ऐप का उपयोग स्कूलों की स्थिति पर राज्य को रीयल-टाइम डेटा प्रदान करने के लिए किया जाएगा।

यह अपने आप में अनोखा है कि एक ऐप-आधारित संबलन प्रक्रिया अधिकारियों- राज्य स्तर, जिला स्तर (सीडीईओ, एडीपीसी), ब्लॉक स्तर के अधिकारियों (सीबीईओ, संसाधन व्यक्तियों), डाइट प्रिंसिपल आदि को किसी भी स्कूल के दौरे के दौरान प्रदर्शन रिकॉर्ड करने की अनुमति देगी। जिसके तहत कई अनुभागों जैसे- दैनिक उपस्थिति और नामांकन, अवकाश, भूमिकारूप व्यवस्था, सीखने के परिणामों पर नज़र रखना, कक्षा अभ्यास, विभागीय पहल पर प्रगति, प्रतिक्रिया और सुझाव आदि पर डेटा प्राप्त करने की अनुमति होगी।

हालाँकि स्कूलों में शिक्षण जारी रखने के लिए सामयिक उपाय किये जा रहे हैं। लेकिन सीखने की गुणवत्ता, डिजिटल पहुंच के स्तर और डिजिटल गुणवत्ता पर बहुत अधिक निर्भर करती है। जब तक डिजिटल पहुंच की लागत और डिजिटल गुणवत्ता में वृद्धि नहीं होती है, तब तक शिक्षा की गुणवत्ता के साथ समझौता करना पड़ सकता है।