“मेरा परिवार मेरी ज़िम्मेदारी”
महाराष्ट्र राज्य में कोविड मरीजों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए राज्य सरकार ने जनता के सहकार्य से पुरे राज्य में “मेरा परिवार मेरी ज़िम्मेदारी अभियान” चलाया|
इस अभियान में शहर,वार्ड, गाँव, टोले/मोहल्ले में जाकर डोर टू डोर कैम्पेन चलाया गया| कोविड मरीजों के संपर्क में आने वाले लोगो को खोजने के लिए ट्रेस, ट्रैक, ट्रीट का उपयोग करके कोरोना के मरीजों को कम करने का प्रयास किया गया| राज्य सरकार ने इस अभियान के माध्यम से महाराष्ट्र में 2.25 करोड़ परिवारों को कवर किया है|
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने इस अभियान को दो चरणों में किया| इस अभियान का पहला चरण 15 सितंबर से 10 अक्टूबर 2020 को समाप्त हुआ जबकि अभियान का दूसरा चरण 12 अक्टूबर से 24 अक्टूबर 2020 को समाप्त हुआ|इस अभियान को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य, नगर विकास, ग्राम विकास, महिला व बाल कल्याण और राजस्व विभागों ने अहम भूमिका निभाई| अलग अलग विभागों ने अलग़ अलग़ कार्यों की पूर्ति करी जैसे स्वास्थ्य विभाग ने अभियान नियोजन और कर्मचारियों की ट्रेनिंग को संभाला उसी तरह महिला व बाल कल्याण विभाग ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की उपलब्धता सुनिश्चित करवाई|
मिशन का उद्देश्य:
राज्य में होम व्हिजिट के द्वारा संदिग्ध कोविड मामलों का चेकअप और उपचार|
तीव्र जोखिम लोग की पहचान करना साथ ही उन पर उपचार और कोविड -19 की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य शिक्षा देना|
गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण मरीजों की होम व्हिजिट के माध्यम से सर्वेक्षण, कोविड का चेकअप और उपचार|
होम व्हिजिट के दोरान नागरिकों को कोविड-19 के बारे में स्वास्थ्य शिक्षा देना|
“मेरा परिवार मेरी ज़िम्मेदारी” अभियान के पहले और दूसरे चरण के निम्नलिखित लक्ष्य थे:
नागरिकों को स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने के लिए स्वयंसेवकों को बढ़ावा।
डोर-टू-डोर (घर-घर जाकर) बैठक का आयोजन।
लोगों के शरीर के तापमान को मापना।
नागरिकों के ऑक्सीजन स्तर की जाँच करना।
थकावट, गले में दर्द/सूखी खांसी, दस्त, और गंध और स्वाद के नुकसान जैसे अन्य लक्षणों की जाँच करना।
फील्ड स्तर पर आशा/ANM/पंचायत पदाधिकारी ने जमीनी स्तर पर इस कैम्पेन को किस प्रकार से क्रियान्वित किया,आइये जानते उन्ही की ज़ुबानी:
Q.1 एक दिन में एक टीम के रूप मे आपनेआधिकारिक रूप से कितने घरों का निरीक्षण किया?
हमारी टीम में आशा, ANM, ग्राम पंचायत के द्वारा स्वयंसेवकों को उपलब्ध करवाया गया, साथ ही गाँव की आंगनवाडी कार्यकर्ताओं ने भी सहयोग किया है |आधिकारिक रूप से हमें 50 घरों का विजिट करना था पर इसके क्रियान्वन में एक टीम, एक दिन में 30 से 40 घरों का सर्वेक्षण कर पायी|
Q.2 सूचना को आप किस प्रकार एकत्रित करते थे और अपने उच्च वर्ग तक किस प्रकार से पहुचाते थे? आपको इसमें किस प्रकार की चुनौतियाँ आई?
सूचना के लिए हर घर में विजिट करते थे और परिवार के सभी सदस्य की जानकारी नोट करते थे| सर्वेक्षण के दौरान सूचना आफलाइन और आनलाइन दोनों प्रकार से हुई जैसे कुछ जगह पर पेपर से सर्वे हुआ और कुछ जगह पर ऑनलाइन ही सीधा डेटा एप्प में डाला गया|
Q.3 आपको इस कैम्पेन में डाटा कलेक्शन के दौरान किस प्रकार की तकनीकी दिक्कते पेश आई ?
डेटा को ऑनलाइन करने में काफी तकनीकी खामियां पेश आई| जैसे नेटवर्क ना होने के कारण ऑनलाइन काम जल्दी नही हो रहा था| इसके अलावा एप्प सही तरह से कार्य नही कर रहा था इसमें कुछ तकनीकी दिक्कतें पेश आ रही थी| जैसे कुछ सदस्य की जानकरी भरते थे तो उस में अगर एक सदस्य उपस्थित नहीं होता है तो उपस्थिति की जानकारी फिल नही होती थी| इसके अलावा एक परिवार की जानकारी पूरी होने के बाद दुसरे परिवार की जानकरी भरने के लिए दूसरा पेज जल्दी ओपन नहीं होता था|
Q. 4 घरों में परिवारों को जागरूक करने व उनको समझाने में आपको किसी प्रकार की दिक्कत पेश आई ?
घरों में विजिट के दौरान हमने परिवार के सभी लोगों को कोरोना के बारे में शिक्षा दी लेकिन कुछ परिवार वाले ज्यादा सहयोग नहीं कर रहे थे| गाँव में कुछ सदस्य जानकारी देने के लिए राजी नहीं हो रहे थे और काफी परिवार स्वास्थ्य चेकअप करने के लिए मना कर रहे थे|
Q. 5. विभाग की ओर से आपकी सुरक्षा के लिए सेनेटाईजर,मास्क और दस्ताने उपलब्ध करवाए गये ?
विभाग से इस कार्य के लिए मास्क, सेनिटैजर, दस्ताने, स्टीकर, पेपर, कैप आदि सामान दिया गया था| साथ ही पंचायत की तरफ से थर्मल मशीन और ओक्सीजन देखने की मशीन दी गई |
Q. 6 आपकी विजिट के दौरान यदि घर का कोई सदस्य अनुपस्थित है तो आप उनका डाटा किस तरह से लेते थे?
सर्वे के दौरान अगर कोई परिवार का सदस्य अनुपस्थित है तो उस स्थिति में हम उस परिवार की सभी जानकारी लेते थे और जिस सदस्य की जानकारी लेना बाकि है उस के लिए फिर दोबारा उस परिवार को विजिट करते थे| पहले दिन उस परिवार कि जानकारी ऑनलाइन नहीं कि जाती थी और उस परिवार के सभी सदस्य की जानकारी पूरा होने के बाद ही उससे ऐप पे डाला जाता था|