महामारी से उबरने की रणनीति में टीकाकरण अहम
जैसे-जैसे इस महामारी ने फिर से पांव पसारे और संक्रमण अपने चरम पर है, कुछ राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार से युवा लोगों के टीकाकरण कवरेज के लिए अनुरोध किया है। साथ ही दिन-प्रतिदिन बढ़ते हुए संक्रमण को देखते हुए राज्यों ने अधिक से अधिक मात्रा में टीके प्रदान करने की बात कही है।
हाल ही में भारत ने बढ़ते संक्रमण के बीच 1 मई से 18 वर्ष की आयु के सभी वयस्कों को टीकाकरण में शामिल करते हुए कवरेज का विस्तार किया है। एक तरफ जहां 45 से ऊपर आयुवर्ग के लिए केंद्र की तरफ से वैक्सीन आएँगी वहीं दूसरी तरफ राज्यों के लिए बड़ी चुनौती है कि वयस्कों के टीकाकरण हेतु उन्हें वैक्सीन कंपनियों के साथ मोलभाव करना होगा। अब तक 20 राज्यों के करीब ने कहा है कि वे अपने नागरिकों को मुफ्त में वैक्सीन की सुविधा देंगे।
हालांकि COVID टीकाकरण का पहला चरण 16 जनवरी, 2021 को शुरू हुआ। जिसके तहत मुख्यतया हेल्थ वर्कर और फ्रंट लाइन वर्कर को टारगेट किया गया। दूसरे चरण में 60 साल से ऊपर की आयु और 45-59 के गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों का टीकाकरण हुआ।
1 अप्रैल 2021 से टीकाकरण कार्यक्रम का तीसरा चरण शुरू हो गया है। जिसमे 45 वर्ष से अधिक आयु के सभी पात्र नागरिकों को टीका लगना है। साथ ही टीकाकरण को गति देने हेतु 8 अप्रैल 2021 को चार दिवसीय टीकाकरण कार्यक्रम ‘टीका उत्सव‘ कोरोना वायरस के खिलाफ पात्र लोगों की अधिकतम संख्या को टीका लगाने के उद्देश्य से शुरू हुआ।
एक तरफ जहां कुछ राज्य जैसे महाराष्ट्र और उड़ीसा टीके की पर्याप्त खुराक नहीं होना टीकाकरण में मुख्य बाधा बता रहे है वहीं केंद्र का कहना है कि समस्या आपूर्ति की नहीं है, बल्कि राज्यों को बेहतर प्लानिंग बनाने की आवश्यकता है।
वर्तमान स्थिति को देखते हुए महामारी से उबरने की सारी कवायद (मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता, दवा और स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार) के नीतिगत कार्यान्वयन के साथ टीकाकरण बहुत अहम है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार संचरण की श्रृंखला को तोड़ने के लिए कम से कम 60 से 70% आबादी के पास प्रतिरोधक क्षमता होनी चाहिए। भारत प्रतिदिन लगभग 4 मिलियन खुराक तक पहुँचा है लेकिन पिछले सप्ताह भर में 100,000 से अधिक COVID-19 मामलों और प्रतिदिन अब तक की अधिकतम मौतों के मद्देनजर यदि देश को मृत्यु दर में कमी करनी है, तो टीकाकरण की गति को बढ़ाकर प्रतिदिन 7-10 मिलियन खुराक तक लाना होगा।
एक आम आदमी के नजरिये से देखें तो लगता है कि आयु-विशिष्ट टीकाकरण के साथ- साथ कुछ और समूह हैं जिन्हें टीकाकरण प्रक्रिया की प्राथमिकता में शामिल करना चाहिए था-जैसे दिहाड़ी मजदूर, कारखाने में काम करने वाले मजदूर (Factory Workers), घरों में काम करने वाले (maid), कैब व रिक्शा चालक एवं नौकरीपेशा युवावर्ग जो रोजाना घर से बाहर निकलता है और विभिन्न लोगों के संपर्क में आता है।
विडम्बना है कि, टीके के बारे में भ्रांतिया और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी, टीकाकरण के व्यापक कवरेज में सबसे बड़ी चुनौती है। ग्रामीण, अनपढ़ और ऐसे लोग जो अपने आप को पंजीकृत करने और नि:शुल्क टीकाकरण के बारे जागरूक नहीं हैं, वे पात्रता के बावजूद लाभ नहीं ले रहे हैं। साथ ही टीके की कमी और अनिश्चित उपलब्धता के बीच, कई राज्यों को 18+ के टीकाकरण को स्थगित करना पड़ा।