बिहार विधान सभा चुनाव और लोगो के मुद्दे
बिहार विधानसभा चुनाव का दौर चल रहा है और इसी सन्दर्भ में सरकार और विपक्ष की तरफ से एक के बाद एक घोषणा हो रही है कि जीतने के बाद कौन कितना काम करेगा| प्रत्येक पार्टी रोज़गार देने का वादा कर रही हैं| चाहे राष्ट्रीय स्तर की पार्टी हो या क्षेत्रीय स्तर की लगभग सारी राजनीतिक पार्टियों का ध्यान रोज़गार पर है। इससे पहले की आगे बड़े चलिए देखते हैं बिहार चुनाव में पार्टियों के मैनिफेस्टो में कौन कौन से मुद्दे नज़र आये।
राष्ट्रीय पार्टी हो या स्थानीय पार्टी हो सभी के मुद्दे कुछ सामान्य है-
1. रोजगार
2. शिक्षा
3. स्वास्थ्य
4. सड़क
5. पानी
6. पुल/पुलिया
7. उध्मिता विकास हेतु अनुदान
8. सशक्त महिला सक्षम बिहार
9. सात निश्चय
10.जातीय जनगणना कराना
11.वृधापेंशन
12.मुफ्त कोरोना वैक्सीन
13.स्वास्थ्य विभाग में 1 लाख नौकरी
यह तो हो गयी पार्टियों के वादों की बात, पर बिहार का आम आदमी क्या सोचता है और उसकी क्या समस्याएं हैं, चलिए देखते हैं कि बिहार के लोग क्या कहते हैं।
पूर्णिया ज़िले से सुनते हैं एक नागरिक का क्या कहना हैं :
“पिछले कई वर्षो से कुछ भी नहीं बदला है जैसे पहले बिना रिश्वत का काम नही होता था, आज भी बिना रिश्वत का कोई काम नहीं होता है | यहाँ तक की जाति, आय जैसे प्रमाण पत्र के लिए पैसा लिया जाता है | PDS में 12 महीने के बदले 10 महीने का अनाज दिया जाता है, उसमें भी वजन कम दिया जाता है | कुछ भी नहीं बदला है और न बदलने वाला है|”
दरभंगा से एक विद्यार्थी :
“रोज़गार सबसे अहम मुद्दा है और बिहार में उद्योग बढ़ना चाहिए| BPSC और SSC के लिए रिक्तियां निकाली थी, BPSC के लिए 2014 में और SSC के लिए 2018 में आवेदन लिया गया था| सिर्फ प्राथमिक परीक्षा लेकर छोड़ दिया गया है और अभी तक मुख्य परीक्षा नहीं ली गयी|”
किसान वर्ग से आवाज़ :
“किसान आज महँगाई से परेशान है और फसल का उचित मूल्य नहीं मिलता है| बिचौलियों के माध्यम से अनाज बेचा जाता है| किसान आज कर्ज के बोझ तले है, उसपर सरकार का ध्यान नही है| आज के तिथि में हर पार्टी सब कुछ देने की बात कर रही है|”
गोपालगंज से एक नागरिक :
“बाढ़ चुनावी मुद्दा नहीं है, परन्तु स्थानीय विधायक ने अवश्य बात की है| पक्ष/विपक्ष के सभी नेता ने बाढ़ को लेकर बात की है| बाढ़ हर बार आती है इसलिए इसके लिए ठोस कदम उठाने चाहिए| इस बार आम जनता को बाढ़ से बहुत परेशानी हुई है, जान-माल की क्षति,फसल का नुकसान हुआ परन्तु उसके मुआवज़े के रूप में अभी तक कुछ नहीं मिला है| इसलिए जनता हर पार्टी के आने वाले नेता से सवाल पूछ रही है कि बाढ़ के समय कहाँ थे|”
वोट का विरोध
अलग–अलग स्थानों पर अलग-अलग तरीके से वोट देने का लोग विरोध कर रहे है| जैसे ग्रामीणों ने आवाज़ बुलंद की है “सड़क नहीं तो वोट नही“, “स्कूल नहीं तो वोट नहीं” इताय्दी नारों से विरोध हो रहा है| जनता आज भी भय मुक्त, सुशासन की सरकार चाहती है जहां बिना रिश्वत के काम हो और लोग अमन चैन से ज़िन्दगी गुज़ार सके।