प्रशासन के सितारे : हेमंत कुमार
नाम : हेमंत कुमार
पद : कार्यपालक सहायक
ज़िला प्रोग्राम कार्यालय (आई.सी.डी.एस) पूर्णियां, बिहार
1. आप अभी किस विभाग में और किस पद पे काम कर रहे है? आपका मुख्य कार्य क्या है?
मैं वर्तमान में समाज कल्याण विभाग के आई.सी.डी.एस. निदेशालय के तहत ज़िला स्तरीय कार्यालय, पूर्णिया में कार्यपालक सहायक के पद पर लगभग 8 वर्षों से कार्यरत हूँ| मेरा मुख्य कार्य आई.टी.से सम्बन्धित है, जिसमे विभागीय कार्य कम्प्यूटर के माध्यम से निष्पादन करने का हर सम्भव प्रयास करता हूँ| आनलाइन डाटा अपलोडिंग तथा योजनाओं के क्रियान्वन से सम्बन्धित वांछित प्रतिवेदन विभागीय निर्देश के आलोक में संकलित कर ज़िला प्रोग्राम पदाधिकारी से हस्ताक्षर करवाकर निदेशालय को ई-मेल के माध्यम से उपलब्ध करवाता हूँ |
2. अभी तक के सफर में सरकार से जुड़ के काम करने का अनुभव कैसा रहा है ?
अनुभव की बात करू, तो मिला जुला अनुभव कह सकता हूँ| क्योंकि मैं ज़िला मुख्यालय में कार्यरत हूँ तो अक्सर निदेशालय स्तर से विभाग में चल रहे योजनाओं का अधतन प्रतिवेदन की मांग मुझ से की जाती है| अधतन प्रतिवेदन उपलब्ध कराने हेतु मैं ज़िला प्रोग्राम पदाधिकारी महोदय का हस्ताक्षरित पत्र सभी सम्बन्धित बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को भेजता हूँ| ज्यादातर सभी प्रखंड से प्रतिवेदन समय से प्राप्त हो जाता है, संकलित होने के पश्चात मैं विभाग को उपलब्ध करवाता हूँ | कभी किसी कारणवश प्रखंड से प्रतिवेदन उपलब्ध नही होने पर थोड़ी कठिनाई उत्पन्न होती है | अन्यथा विभागीय निदेश एवं योजनाओं का समय पर अनुपालन करने के उपरान्त सुखुद अनुभव होता है|
3. करियर में अभी तक की क्या बड़ी सफलताएँ रही है ?
इस सन्दर्भ में मुझे कहना है कि मेरे पदाधिकारी महोदय एवं विभाग द्वारा दिए गए कार्यों एवं निर्देशों का समय पर मेरे द्वारा अनुपालन होना ही मेरी सफलता है| मेरे पदाधिकारी एवं सहयोगी कर्मियों का सम्बन्धित कार्य को समय पर पूर्ण कराने हेतु की गई सहभागिता एवं उनका मेरे प्रति सम्मान ही मेरे अभी तक के करियर की सफलता है|
4. इन सफलताओं के रास्ते में क्या कुछ अनोखी मुश्किलें या परिस्थितियां सामने आयी ? इनका समाधान कैसे हुआ ? क्या आप अपने अनुभव से इसके उदाहरण दे सकते है ?
वर्ष 2017 अगस्त माह में आई बाढ़ त्रासदी के सन्दर्भ में कहना है कि मुझे मेरे विभागीय पदाधिकारी श्री नन्दकिशोर साह सर के साथ कला भवन पूर्णियां में प्रतिनियुक्त किया गया था| कला भवन पूर्णियां से बाढ़ पीड़ितों के लिए सूखा राशन पैक कर पूर्णियां ज़िला सहित अररिया एवं किशनगंज के लिए भेजा जा रहा रहा था| बाढ़ पैकेजिंग का प्रथम दिवस ही था और हम लोग सुबह से कार्य कर रहे थे| तीसरे शिफ्ट में सभी लेबर कर्मी भी कार्य करने के लिए तैयार नही थे| लगातार सुबह से कार्य करने के कारण वह भी थक चुके थे | राशन की पैकेजिंग बाढ़ पीड़ितों के लिए बहुत ज़रूरी थी परन्तु कार्य पूरा करने के लिए लोग काफी नहीं थे । ऐसे में वहां के नोडल पदाधिकारी के मार्गदर्शन में सभी को समझा कर हम गाड़ी लेकर पास ही स्थित एक कालेज के हास्टल गए जहाँ कुछ सीनियर छात्र थे| उनसे अनुरोध करने पर उनमे से कुछ छात्र कुछ समय के लिए हमारे साथ आने के लिए तैयार हुए एवं उनकी मदद से हम लोगों ने सूखा राशन पैक करवाकर बाढ़ पीड़ितों को उपलब्ध करवाने हेतु गाड़ियों को बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में भेजवाया | उसके उपरान्त मेरे अधिकारियों महोदय एवं हम सभी के द्वारा उन सभी छात्रों को धन्यवाद ज्ञापन दिया गया| मेरी डयूटी बाढ़ पैकेजिग में लगभग डेढ़ माह रह रही और उस समय की परिस्थिति में कार्य पूर्ण होने को सुखद अनुभव मानता हूँ|
5. बेहतर शासन और सेवा वितरण में आप अपना योगदान किस प्रकार देखते है ?
बेहतर शासन और सेवा वितरण में अपने योगदान को इस तरह से देखता हूँ की मेरे पास जो लोग विभागीय योजनाओं से सम्बन्धित जानकारी लेने आये में उन लोगों को विभागीय मार्गदर्शिका एवं नियम के अनुसार उनकी समस्याओं को विधिवत दूर कर सकूँ | मेरा इस सन्दर्भ में लगातार यही प्रयास रहता है|
6. अपने काम के किस पहलु से आपको ख़ुशी मिलती है ?
जब में किसी भी तरह का विभागीय कार्य तथा मेरे पदाधिकारी द्वारा सौपा कार्य निर्धारित समय में पूरा कर दूँ|
7. अच्छे अधिकारी के तीन जरुरी गुण ?
1. लोगों की समस्याओं को ध्यान पूर्वक सुनना
2. समस्या के सभी पहलुओं पर गौर करना
3. विभागीय निर्देश के आलोक में समस्या का निराकरण करना
8. काम से सम्बन्धित वह ज़िम्मेदारी जिसमे सबसे ज्यादा मज़ा आता है ?
अपने सहकर्मी का किसी विभागीय कार्य, जिसे सम्पादित करने में उन्हें कठिनाई हो रही हो उसमे उन्हें सहयोग प्रदान करना मुझे अच्छा लगता है|
9. अपने क्षेत्र में कोई ऐसा कार्य जो आप करना चाहते हो मगर संरचनात्मक या संसाधन की सीमाएं आपको रोक देती है ?
वर्तमान में विभाग के माध्यम से चलाई जा रही विभिन्न केंद्र एवं राज्य प्रायोजित योजनाओं (किशोरी योजना, बाल संरक्षण योजना, राष्ट्रीय शिशु गृह योजना व अन्य) का एक साथ क्रियान्वन किया जाता है, जिसके लिए योजनावार अलग-अलग वेबसाईट व पोर्टल पर जाकर हमें कार्य करना होता है| मेरा यह मानना है, अगर सभी योजनाओं की कार्य प्रगति रिपोर्ट, प्रतिवेदन एवं मूल्यांकन का विवरण एक ही पोर्टल पर कर दिया जाये, ऐसे होने से हमारा कार्य और सरल हो पायेगा|